हजार साल से चल रही गुलामी , हम अब भी आजाद नहीं;
गिरते पड़ते देश चल रहा , कानून का शासन कहीं नहीं ।
पांच बार भोंपू चिल्लाते , गहरी नींद में खलल डालते ;
ध्वनि प्रदूषण कानून बना है , खुलेआम धज्जियां उड़ाते ।
सरकारें तक उनसे डरतीं , तरह-तरह से जजिया देतीं ;
संविधान भी ठीक नहीं है , पूरी व्यवस्था घटिया बनती ।
एक समान अधिकार नहीं है ,शोषण से कोई मुक्ति नहीं है ;
घटिया- शिक्षा ,घटिया -कानून , भ्रष्टाचार से मुक्त नहीं है ।
अल्पसंख्यकवाद विकराल हो गया,तुष्टीकरण का अंत नहीं है
इतिहास भी जिसका झूठा बनता ,षड़यंत्रों का अंत नहीं है।
वैश्विक रूप से जो बहुसंख्यक , उन सबका षड्यंत्र है ;
हिंदू – धर्म को नष्ट कर रहीं , कई सरकारें भी यंत्र हैं ।
बेशर्मी की हदें पार है ,चोरों की सीनाजोरी है ;
शाहीन -बाग तक रोक न पाते ,इतनी ज्यादा कमजोरी है।
गुंडागर्दी की खुली छूट है , मंदिर में सरकारी लूट है ;
पक्षपात हर जगह है काबिज , रोड जाम की खुली छूट है ।
जो भी चाहे सड़क को घेरे , अवैध मजहबी हैं निर्माण ;
कानून व्यवस्था पंगु है सारी , जबरन हैं अवैध निर्माण ।
राष्ट्र – विरोधी हर एजेंडा , पूरी तरह सुरक्षित है ;
इनको मिलता हर संरक्षण , संविधान से रक्षित है ।
बॉलीवुड को है आजादी , राष्ट्र – विरोधी फिल्में बनती ;
कहने भर को सेंसर बोर्ड है , गंदी फिल्में कभी न रुकतीं ।
तरह – तरह से मदद मिल रही , राष्ट्र तोड़ने वालों को ;
भ्रष्टाचार सरकारी गहना , पुरस्कार करने वालों को ।
अंधकार को खुली छूट है , प्रकाश का रास्ता रोक रहे ;
पूरा सिस्टम सड़ा गला है , राष्ट्रभक्ति को तोड़ रहे ।
जेहादी की चाल सफल है , देश में जिम्मी बढ़ते जाते ;
प्रेस ,मीडिया ,शिक्षा- जगत में , सरकारों में बढ़ते जाते ।
हिंदू – हित का गला घोंटते, गद्दारी को बढ़ाते हैं ;
देश खोखला करते जाते , राष्ट्र तोड़ते जाते हैं ।
बची-खुची जो भी आजादी , वो भी जल्दी जा सकती है ;
हिंदू गफलत में पड़ा रहा तो , दानवता आ सकती है ।
जिंदा रहने का अंतिम मौका , हर हालत में इसे बचाओ ;
अब तो केवल तभी बचोगे , देश को हिंदू – राष्ट्र बनाओ ।
“वंदेमातरम-जयहिंद”
रचयिता:ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”