बर्बर – हत्यारे जीत न पाये , भारत में हरदम हारे :
पर गांधी-नेहरू की साजिश थी जो, गंदी राजनीति से हारे ।
गांधी- नेहरू की चरित्रहीनता , हिंदू – नेता ने अपनायी ;
गजवायेहिंद ये ही करवाते , जेहादी की बन आयी ।
इसी से मंदिर टूट रहे हैं , मंदिर का धन लूट रहे हैं ;
सबके विश्वास का नारा देकर , मंदिर का धन लुटा रहे हैं ।
मजहब वालों को जजिया देकर , हिंदू का हक मार रहे हैं ;
कदम – कदम पर तुष्टीकरण है , हिंदू सब कुछ गंवा रहे हैं ।
हिंदू पर कानून सख्त है , मजहब पर कानून सुस्त है ;
चाहे जहां सड़क को घेरें , उनको पूरा देश मुफ्त है ।
वे जब चाहें शाहीन-बाग है , एक साल तक रोड-जाम है ;
हिंदू का वैधानिक धरना , उसको तोड़ो कानून आम है ।
मूलाधिकार केवल मजहब का , हिंदू तो बेमानी है ;
उनको पूरा देश दे दिया , संविधान बेनामी है ।
इसके पीछे चरित्रहीनता , कायर – डरपोक ये नेता है ;
यूपी या आसाम छोड़कर , रोता हुआ ही नेता है ।
इनके हाथों नहीं सुरक्षित , खतरे में पूरा देश है ;
व्यर्थ कर दिया पूरा – बहुमत , तोड़ा जनादेश है ।
नाकाबिल नेता को बदलो,इसकी जगह पर काबिल लाओ ;
शौर्यवान-सच्चरित्र को लाकर , अपना भारत-राष्ट्र बचाओ ।
अरे मूर्खों ! ये तो सोचो , राष्ट्र बचेगा तभी बचोगे ;
काहे राष्ट्र को तोड़ रहे हो ? क्या कुत्ते की मौत मरोगे ?
यदि ऐसी मौत नहीं मरना है , फौरन अपना नेता बदलो ;
यूपी या आसाम से लाकर, अपने राष्ट्र की किस्मत बदलो ।
बहुत लुट चुका राष्ट्र हमारा , और नहीं लुटने देना ;
आगे है अब मौत की खाई , राष्ट्र नहीं गिरने देना ।
सदा – सदा हो राष्ट्र सुरक्षित , ऐसा रक्षा-कवच बनाओ ;
कोई भी न तोड़ सकेगा , देश को हिंदू- राष्ट्र बनाओ ।
हिंदू – राष्ट्र बनेगा भारत , सबको जीवन-लक्ष्य मिलेगा ;
मानव-जीवन मिला जिसलिये ,सबका पूरा उद्देश्य वो होगा।
“जय हिंदू-राष्ट्र”
रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”