जिस प्रकार देश अभी एनपीए यानि नन परफार्मिंग एसेट के बोझ तले दबा है इससे एक सहज सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर यह पाप है किसका? इसके लिए वर्तमान सरकार दोषी है या फिर पूर्ववर्ती डॉ मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार। आइये इसे बिंदुवार समझते हैं।
* जो बैंक एक किश्त चूक जाने पर आम आदमी का जीना मुहाल कर देता है
* वही बैंक उन बिजनेस मैन का क्यों कुछ नहीं कर पाता, जिनके सिर पर लाखों करोड़ बकाया है
* यूपीए तथा एनडीए सरकारों के एनपीए आंकड़ें बहुत कुछ बया करतें हैं
* 2014-15 में जब कांग्रेस सत्ता से गई तब बैंकों का एनपीए आंकड़ा 57,396 करोड़ का था
* एनपीए का यही आंकड़ा 2018-19 तक आते-आते बढ़कर 69,954 करोड़ तक पहुंच गया
* यूपीए सरकार के पहले कार्यकाल के पांच सालों में बैंकों के एनपीए में 12 हजार करोड़ की बृद्धि हो गई।
* यूपीए एक के दौरान बैंकों का एनपीए बढ़ना शुरू हुआ और वह यूपीए के दौरान भी जारी रहा
* यूपीए के दूसरे कार्यकाल के शुरुआती साल (2009-100 के दौरान बैंकों का एनपीए बढ़कर 81,718 करोड़ तक पहुंच गया।
* यूपीए के दूसरे कार्यकाल के अंत (2013-14) के आते आते यह आंकड़ा बढ़कर दो लाख 63 हजार करोड़ तक पहुंच गया।
* यहां ध्यान देने की जरूरत है कि यह दौर छूट के तहत कर्ज बांटने का दौर था
* हालांकि मोदी सरकार का भी पिछले चार साल का एनपीए रेकॉर्ड बुरा ही नही बहुत रहा
* लेकिन इसके पीछे पूर्व कांग्रेस सरकार की करतूत और मोदी सरकार की सख्त नीति रही
* मोदी सरकार के कार्यकाल के तहत यानि 2015-16 में तो एनपीए में आश्चर्यजनक से उछाल देखने को मिला
* बैंकों के एनपीए की बढ़ती गति को देखकर किसी को भी यकीन हो सकता है कि मोदी ने देश को रसातल में डाल दिया
* लेकिन नहीं मोदी सरकार ने बैंकों पर जो सख्ती की इसी के परिणामस्वरूप कांग्रेस के समय में बांटे गए कर्ज भी बाहर निकल आए, इसी कारण एनपीए में एकबारगी उछाल देखने को मिली
* बैंकों का एनपीए का यह आंकड़ा साल 2016-17 तक आते आते 7,90,268 करोड़ तक पहुंच गया।
* मोदी सरकार ने जैसे ही पारदर्शी तरीके से बैंकों पर अंकुश लगाया वैसे ही कांग्रेस सरकार के दौरान दबे सारे कर्ज बाहर निकल आया
* कांग्रेस सरकार हमेशा ही बैंकों पर दबाव डालकर एनपीए को दबाती रही
* कांग्रेस के दबाव के कारण ही बैंकों ने पारदर्शी तरीके से लोन री-स्ट्रक्टरिंग का काम भी नहीं किया
* हालांकि कांग्रेस की इस करतूत का भांडा भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर रहे चक्रवर्ती ने साल 2012 में ही फोड़ दिया था।
* कांग्रेस सरकार ने साल 2010 में 1,32,426 करोड़ रुपये कर्ज को री-स्ट्रक्चर कर दिया था, इसका मतलब यह हुआ कि ये कर्ज कभी एनपीए में शामिल ही नहीं हुए
* यही लोन बाद में मोदी के अंकुश के चलते एनपीए में शामिल कर लिए जाने के कारण एनपीए में इतना बड़ा उछाल देखने को मिला
* मोदी सरकार ने यहाँ इमानदारी ही नहीं दिखाई बल्कि देश को भी कभी अंधकार में नहीं रखा
* लेकिन कांग्रेस सरकार न केवल चोरी करवाई बल्कि देश की जनता को भी अंधकार में रखा
* कांग्रेस सरकार ने साल 2012 में भी दो लाख 18 हजार करोड़ रुपये के कर्ज को भी री-स्ट्रक्चर किया
कांग्रेस द्वारा दोनों हाथ से अपने नजदीकी व्यवसाइयों को लाखों करोड़ रुपये के लोन बांटने के कारण ही मोदी सरकार के दौरान एनपीए में इतनी उछाल देखी गई है! पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की करतूत की वजह से ही आज देश का बैंकिंग सिस्टम एनपीए के बोझ तले दब गया है
URL: NPA is growing during the Modi government due to Congress
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