हिंदी सिनेमा के बेहतरीन कलाकार नवाजुद्दीन सिद्दिकी ने कहा कि थियेटर ने हमेशा मेरे अंदर आत्मविश्वास का संचार किया है। जब मेरे बुरे दिन थे और मैं सिनेमा के लिए संघर्ष कर रहा था, तब भी मुझे राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) से ही ताकत मिलती थी। मैं आज भी थियेटर करना चाहता ह़ूं, लेकिन सिनेमा की व्यस्तता के कारण मैं थियेटर नहीं कर पाता। एनएसडी से ही स्नातक नवाजुद्दीन सिद्दिकी राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय द्वारा आयोजित 19 वें अंतरराष्ट्रीय नाट्य महोत्सव ‘भारत रंग महोत्सव-2017’ में रविवार को कलाकरों व विद्यार्थियों को संबोधित कर रहे थे। नवाजुद्दीन के अभिनय ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
साधारण से चहरे-मोहरे और संकोची स्वभाव का होने के बावजूद इतने सफल कलाकार होने के रहस्य के बारे में जब छात्रों ने सवाल किया तो नवाजुद्दीन ने मजाक के लहजे में कहा, मेरे व्यक्तित्व को सराहना कांस फिल्म फेस्टिवल में तो मिल गयी, लेकिन भारत में नहीं। ऐसे में एनएसडी में की गयी मेहनत और थियेटर से सीखे अभिनय ने भी मुझे आगे बढ़ाया। मेहनत और अभिनय के आगे सब फीका है।
रविवार को राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय द्वारा आयोजित 19 वें अंतरराष्ट्रीय नाट्य महोत्सव ‘भारत रंग महोत्सव-2017’ में कई भारतीय व विदेशी भाषाओं में पांच नाटकों का मंचन किया गया। इसमें सुरेश भारद्वाज का ‘वेलकम जिंदगी’ सचिन शिंदे ‘हंदाभर चंदन्या’, वामन केन्द्री का ‘मोहे पिया’ और अफगानिस्तान के मोहम्मद जहीर सैंगर के ‘दरी’ के मंचन को लोगों ने खूब सराहा।
मीडिया और प्रशंसकों से बातचीत के दौरान निर्देशक शांतनु बोस, त्रिपुरारी शर्मा, ब्लदिमीर बिचेर, टीकम जोशी, अजीत दास, शुभदीप गुहा ने अपने-अपने अनुभव, संस्मरण और अपने नाटकों से जुड़ी जानकारियों को साझा किया।.
रविवार को भारत रंग महोत्सव में ‘कथा कार्यशाला’ का भी आयोजन किया गया। पहली कार्यशाला में ‘गोंड पेंटिंग’ का प्रदर्शन किया गया। इसमें इंदिरा मुखर्जी, आनंद सिंह श्याम, कला बाई श्याम, दुर्गा बाई व्याम की पेंटिंग्स को लोगों ने खूब सराहा। गोंड आदिवासी जनजाति है, जो मूलत: मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में बसते हैं। गोंड की चित्रकारी में मूलत: देवी-देवताओं, मिथकों को कथा के रूप में चित्रित किया जाता है।