अपने ही सिक्के खोटे हैं , गैरों की क्या बात करें ?
हिंदू नेता बना सेक्यूलर , चाहे हिंदू बेमौत मरे ।
अल्पसंख्यक की इन्हें है चिंता , तुष्टीकरण इन्हें भाता है ;
झूठे इतिहास को ठीक किया न, इनको बस रोना आता है।
मंदिर पर सरकारी कब्जा , सारा धन ले जाते हैं ;
राष्ट्र तोड़ने वालों पर ये , सारा धन लुटवाते हैं ।
हिंदू हित की कोई न चिंता , राष्ट्र है इनके ठेंगे पर ;
हिंदू को गुलाम ये समझें , मिल्कियत हिन्दू वोटों पर ।
आखिर कब तक सहन करेगा ? हिंदू भी तो मानव है ;
नेता उनके तलवे चाटे , देश में जो भी दानव है ।
बहुत लुट चुका राष्ट्र हमारा और न अब लुटने देंगे ;
बहुत मर चुका अब तक हिंदू और नहीं मरने देंगे ।
हिंदू – जन अब ठान चुका है , अब न सहेंगे अत्याचार ;
हम अपना हक लेके रहेंगे , बंद करो सब भ्रष्टाचार ।
तू न सही तो और सही , हम एक नया दल लायेंगे ;
चाहे कुछ भी करना पड़े ,पर अच्छी सरकार बनायेंगे ।
अब तो ऐसी ही सरकार बनेगी ,हिंदू हित की बात करेगी ;
हिंदू – राष्ट्र बनेगा भारत , दानवता सब दूर हटेगी ।
हिंदू – राष्ट्र से कमतर कुछ भी , अब हमको मंजूर नहीं ;
हमें चाहिये शीतल छाया , कोई पेड़ खजूर नहीं ।
या तो तू अब फौरन सुधरो , राष्ट्र के हित की बात करो ;
सबको एक बराबर दर्जा , हिंदू से न घात करो ।
जो भी हिंदू – घात करेगा , सत्ता से हट जायेगा ;
सारे धिम्मी , वामी , कामी , देशद्रोह मिट जायेगा ।
स्वर्णिम इतिहास को जान चुका है, एक-एक हिंदू बच्चा ;
झूठेइतिहास की साजिशटूटी,जाग गया हर शेर काबच्चा ।
गद्दारों की खैर नहीं अब , जगह नहीं मक्कारी की ;
जगह नहीं इस देश में बिल्कुल , तेरी गुंडों से यारी की ।
खुद को अब फौरन बदलो या हटने को तैयार रहो ;
हिंदू अब न छला जायेगा , अच्छा है होशियार रहो ।
गांधी का अब देश नहीं है , ये है वीर गोडसे का ;
हिंदू – राष्ट्र तो बनके रहेगा , ये उद्घोष गोडसे का ।
“जयहिंद-वंदेमातरम”
रचयिता:ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”