दिल्ली की कड़कड़डूमा अदालत एशिया के सर्वाधिक सुरक्षित माने जाने वाले तिहाड़ जेल में बंद दंगे की साजिश रचने के आरोपी उमर खालिद के खिलाफ दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की ओर से दायर पूरक चार्जशीट पर संज्ञान ले लिया।
अदालत का कहना है कि उमर खालिद के खिलाफ दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा को अंजाम देने के लिए आपराधिक साजिश रचने का मामला चलाने के लिए पर्याप्त साक्ष्य हैं और इस मामले पर अगली सुनवाई 7 जनवरी को होगी।
सनद रहे कि दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने उमर खालिद पर दंगे भड़काने, दंगों की साजिश रचने, और देशविरोधी भाषण देने के अलावा अन्य कई दूसरी धाराओं के तहत चार्जशीट दाखिल की थी और करीब 100 पेजों की इस पूरक चार्जशीट में कहा गया है कि
8 जनवरी 2020 को शाहीन बाग में उमर खालिद, खालिद सैफी औऱ ताहिर हुसैन आदि ने मिलकर दिल्ली दंगों की योजना बनाने के लिए कोर ग्रुप की मीटिंग की थी।
उमर खालिद ने नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ प्रदर्शनों में मध्यप्रदेश, राजस्थान, बिहार और महाराष्ट्र में हिस्सा लिया और बेहद उत्तेजित भड़काऊ भाषण दिए। उमर खालिद ने दंगों के लिए मुस्लिम लोगों को भड़काया और वह जिन-जिन राज्यों में गया,
उसके लिए उसे आने-जाने और रुकने का पैसा प्रदर्शनकारियों के कर्ता-धर्ता इंतजाम करते थे। पूरक चार्जशीट में बताया गया है कि दंगे के लिए यूनाईटेड अगेंस्ट हेट नामक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया और इस व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए दिल्ली हिंसा की प्लानिंग की गई थी।
इस व्हाट्सएप ग्रुप के जरिये नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन आयोजित किए गए और यह ग्रुप राहुल राय ने बनाया तथा इसकी आड़ में दंगे किए गए ।
ज्ञात हो कि पिछले साल 24 नवंबर को अदालत ने उमर खालिद, शरजील इमाम और फैजान खान आदि के खिलाफ स्पेशल सेल की तरफ से दायर पूरक चार्जशीट पर संज्ञान लिया था।
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने उमर खालिद, शरजील इमाम और फैजान खान के खिलाफ 22 नवंबर को पूरक चार्जशीट दाखिल किया गया ।
इस पूरक चार्जशीट में स्पेशल सेल ने यूएपीए की धारा 13, 16, 17, और 18 के अलावा भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 109, 124ए, 147,148,149, 153ए, 186, 201, 212, 295, 302, 307, 341, 353, 395,419,420,427,435,436,452,454, 468, 471 और 43 के अलावा आर्म्स एक्ट की धारा 25 और 27 और प्रिवेंशन आफ डेमेज टू पब्लिक प्रोपर्टी एक्ट की धारा 3 और 4 के तहत आरोप लगाए गए थे।
उधर, कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा के मामले में एक फल व्यापारी के गोदाम में लूटपाट और आगजनी के मामले के तीन आरोपियों को जमानत दे दिया। एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने काफी लापरवाही से चार्जशीट बनाया और दाखिल किया।
अदालत ने कहा कि पुलिस ने इस मामले में जांच काफी असावधानीपूर्वक की है और पुलिस ने चार्जशीट में गवाहों की सूची और नाम जरुर दिया है, लेकिन किसी भी गवाह के बयान तक दर्ज नहीं किए गए हैं।
कोर्ट ने कहा कि आरोपियों को 8 और 10 अप्रैल से हिरासत में रखा गया। ऐसे में तीनों आरोपियों को दस-दस हजार रुपये के मुचलके पर जमानत दी जाती है जबकि कोर्ट ने तीनों आरोपियों को निर्देश दिया
कि वे बिना कोर्ट की अनुमति के दिल्ली से बाहर नहीं जाएंगे और किसी भी आपराधिक गतिविधि में हिस्सा नहीं लेंगे। कोर्ट ने तीनों आरोपियों को साक्ष्यों से छेड़छाड़ और गवाहों से संपर्क नहीं करने का निर्देश दिया
और साथ ही कोर्ट ने तीनों आरोपियों को कोर्ट की सुनवाई में हर तिथि पर उपस्थित होने का निर्देश दिया। इनके नाम है ओसामा, गुलफाम उर्फ सोनू चिकन और आतिर जिन्हें कोर्ट ने ज़मानत दी ।