सुमंत विद्वांस। आइसिस(ISISI) के आतंकवाद को बेरोज़गारी से जोड़कर राहुल गांधी ने एक और सेल्फ़ गोल कर दिया है, जिससे नुकसान खुद उनका और उनकी पार्टी का ही होना है। उनके इस बेतुके बयान से दुनिया भर के नेताओं को यह स्पष्ट सन्देश मिल गया है कि जो व्यक्ति मोदी को हटाकर भारत का प्रधानमंत्री बनना चाहता है, वह वास्तव में आतंकवाद को खत्म करने की बजाय आतंकवादियों के लिए सहानुभूति रखता है। अंतरराष्ट्रीय मामलों के बारे में उसकी समझ कितनी कच्ची है, यह भी स्पष्ट हो गया।
जिस जर्मनी ने खुद भी सीरिया और मध्य पूर्व में आइसिस के खिलाफ लड़ने के लिए अपनी सेना भेजी है, उसी देश में खड़े होकर आइसिस को सही ठहराना कितनी बड़ी मूर्खता थी, ये राहुल जी और उनके समर्थक कभी नहीं समझ पाएँगे। मुझे नहीं लगता कि दुनिया का कोई भी समझदार नेता ऐसे व्यक्ति को भारत का प्रधानमंत्री देखना चाहेगा।
राजनैतिक दृष्टिकोण से भी सोचूं, तो ऐसे बयान से फ़ायदा मोदीजी का ही हुआ है। उनके समर्थक क्यों सोशल मीडिया पर राहुल जी को कोस रहे हैं, ये मेरी समझ से परे है। आपको तो राहुल गांधी को धन्यवाद देना चाहिए।
मोदीजी के लिए जो काम २०१३ में मणिशंकर अय्यर ने चायवाला बयान देकर किया है, वही काम २०१८ में राहुल गांधी ने आइसिस वाला बयान देकर कर दिया है। पिछली बार भाजपा ने चायवाला बयान उठाकर मोदी के समर्थन में देश भर में चाय पे चर्चा के कार्यक्रम कर लिए थे। इस बार आइसिस वाला बयान उठाकर पूरे देश में आतंकवाद समर्थक कांग्रेस के खिलाफ अभियान चलाया जा सकता है। इस मौके का फायदा कैसे उठाया जाए, ये तय करना तो भाजपा के वरिष्ठों का काम है, लेकिन कम से कम सोशल मीडिया पर तो भाजपा समर्थकों को राहुल जी को धन्यवाद ही देना चाहिए, गालियां नहीं।
साभार:
राहुल गांधी की भूकंप वाणी:
URL: On Rahul Gandhi’s ISIS example, he is justifying terrorism
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