काल: 3500 ई० पू०
जाड़ों का दिन था। ‘वोल्गा’ की धारा जम गई थी और महीनों के बरसते हिम के कारण वह दूसरे रजत बालुका या घने कपास की राशि सी मालूम होती थी। दूसरी ओर जंगल में शिशिर की निर्जीवता और स्तब्धता छाई थी। निशा-जन की संख्या अब और भी ज्यादा थी, इसलिए उसके आहार की मात्रा भी अधिक होनी जरूरी थी, किन्तु साथ ही उसके पास काम करने वाले हाथ भी अधिक थे और काम के दिनों में वह अधिक मात्रा में आहार संचय करते। जाड़ों में भी सधे कुत्तों के लिए निशा-पुत्र और पुत्रियाँ शिकार में कुछ-न-कुछ प्राप्त कर लेतीं। आज से सवा दो सौ पीढी पहले के एक आर्य-जन की यह कहानी है। उस वक्त भारत, ईरान और रूस की श्वेत जातियों की एक जाति थी, जिसे हिन्दी स्लाव या शतं-वंश कहते हैं।’
राहुल सांकृत्यायन की अमर कृति ‘वोल्गा से गंगा’ का एक अंश
रूस की वोल्गा नदी का महत्व आर्यों के लिए गंगा से कम नहीं था। राहुल सांकृत्यायन की किताब का ये अंश लेख शुरू करने से पहले पढ़वाना आवश्यक था। मानव सभ्यता लगभग पचास हज़ार साल से अस्तित्व में है। इस बात पर बहस जारी है कि विश्व का सबसे प्राचीन धर्म कौनसा है। यूरोप सदा से इस बात को नकारता आया है कि सदियों पूर्व पृथ्वी पर एक ही सनातन धर्म हुआ करता था। हिन्दू सभ्यता उस समय में पृथ्वी के एक बड़े भू भाग पर काबिज थी। ये मूर्ति पूजक सभ्यता विश्व के हर कोने में अपना परचम लहरा रही थी।
वहां के आदिवासियों को ‘कृषि और चक्के’ का महत्व समझा रही थी। जब ये बहस चल रही है, विश्व के कोने-कोने से शिव, विष्णु और राम के मंदिरों के पुरावशेष प्राप्त हो रहे हैं। दो वर्ष पहले मध्य अमेरिका के वर्षा वन क्षेत्र के एक द्वीप ‘होंडुरस’ में हनुमान की गदा लिए एक मूर्ति मिली है। इस हनुमान उपासक प्राचीन नगरी पर पुराविदों की देखरेख में काम चल रहा है।
सोवियत रूस और भारत का क्या प्राचीन सम्बन्ध हो सकता है?
भारत से 4983 किमी दूर सनातन धर्म के चिन्ह प्राप्त हो तो उसे क्या समझना चाहिए? क्या आप जानते हैं रूस की कुल जनसँख्या में 0.1 प्रतिशत हिस्सा हिन्दुओं का है? यहाँ लगभग एक लाख चालीस हज़ार हिन्दू रहते हैं। एक हज़ार साल पहले तक रूस में वैदिक धर्म प्रचलन में रहा है। पतन का कारण था पुजारियों की गलत नीतियां और मनमानी। इसके चलते वैदिक धर्म के अनुयायियों की संख्या घटने लगी थी। दसवीं शताब्दी का खात्मा होते-होते रूस के राजा व्लादीमिर के पास दो विकल्प रह गए। या तो वह इस्लाम के साथ जाए या ईसाईयत के साथ। जाहिर है उन्होंने ईसाईयत को चुना। वर्तमान में यहाँ वैष्णव और शैव सम्प्रदाय मुख्य रूप से हैं और नियमित रूप से आराधना भी कर रहे हैं।
रूस के कई शब्द संस्कृत से लिए गए हैं। पहले से प्रचलित शब्दों में रुसी अधिक हेरफेर नहीं कर सके। रूस का नाम ही संस्कृत से लिया गया है। ऋषिया:रशिया और सोवियत: स्वेत। यानि वह प्रदेश जहाँ की भूमि अत्यधिक बर्फ के कारण सफ़ेद दिखाई देती है। राहुल सांकृत्यायन अपनी किताब के अध्यायों में ‘पानी के लिए ‘उद’ शब्द का प्रयोग करते हैं। रशियन भाषा में पानी को ‘वोदका’ कहते हैं। ये शब्द ‘वोदा’ से आया है जो ‘उद’ से ही बना है। ऐसे सैकड़ों शब्द हैं जो संस्कृत से लिए गए हैं।
सन 2007 में वोल्गा क्षेत्र के एक गांव सतारया मैना से विष्णु भगवान की एक सुंदर मूर्ति खुदाई में प्राप्त हुई। खुदाई में प्राप्त पुरावशेषों से पता चला कि ये क्षेत्र आज से लगभग 1700 साल पहले बहुत समृद्ध था। पुराविदों के मुताबिक वोल्गा की सहायक नदी समारा के किनारों पर कई प्राचीन गांव बसे हुए थे। 2010 में साइबेरिया में एक आर्यों का नगर जमीन में से बाहर आया। हज़ारों साल से जमीन में दबी इस नगरी में जो कुछ मिला उससे इसके आर्य सभ्यता के होने के संकेत मिले हैं। यहाँ पाए गए हर भग्नावेश पर स्वस्तिक का चिन्ह अंकित है। कार्बन डेटिंग ने बताया कि इस नगरी का बसने का समय ठीक वहीँ है जब यूरोप के कई भागों में पश्चिमी सभ्यता का उदय होना शुरू हो गया था, वे अंक भाषा का प्रयोग करते थे।
वोल्गा नदी के वे पवित्र किनारे आर्यों को त्यागना पड़े लेकिन पीछे वे छोड़ गए पत्थरों पर अंकित इतिहास। साथ ही ये सवाल भी छोड़ गए कि कैसे सनातन धर्म सम्पूर्ण विश्व में प्रचलित था। वोल्गा के किनारे अब गंगा के किनारे बन गए हैं। आज सनातन पहले के मुकाबले एक सीमित क्षेत्र में सिमट कर रह गया है। पृथ्वी जब समृद्ध अतीत का वैभव उगलती है तो पता चलता है कि आर्यों का अपना एक भव्य इतिहास रहा है।
URL: On the banks of the river Volga, the Vedic Mantra was resonant
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मात्र एक किताब से कैसे मान लिया जाए, कुछ और भी किताब होनी चाहिए ।