मोनिका: नए साल में अब तक इस वायरस की वजह से 226 लोगो की मौत हो चुकी है और 6601 लोग इसकी वजह से बीमार हो चुके हैं और उनमें इस वायरस होने की भी पुष्टि हो चुकी है। इस बार भी राजस्थान में सबसे ज्यादा इस वायरस का अटैक है, वहां अब तक 2263 लोग इसकी वजह से बीमार हो चुके हैं, जिसमें से 85 की जान चली गई है। डॉक्टरों का कहना है कि घबराने वाली बात नहीं है, लेकिन लोगों को बचाव पर ध्यान देने की जरूरत है, इस वायरस का एंटी मेडिसिन व वैक्सीन उपलब्ध है।
नैशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) के रिपोर्ट के अनुसार तीन फरवरी तक पूरे देश में 6601 मरीज की पहचान हुई है। जहां पिछले साल महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा अटैक था वहीं इस साल राजस्थान में सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। राजस्थान में पिछले साल 2371 मामले आए थे, जिसमें से 221 की मौत हो गई थी, इस बार 3 फरवरी तक ही 2263 मामले आ चुके हैं और 85 की मौत हो चुकी है। इस साल महाराष्ट्र में इस वायरस का प्रकोप कम है, यहां अभी तक सिर्फ 138 में इसकी पुष्टि हुइ है और 12 लोगों की मौत हुई है, जबकि पिछले साल यहां पर 2593 मामले में 461 की जान चली गई थी, इस हिसाब से इस साल स्थिति कंट्रोल में कही जा सकती है।
हवा में है इसका वायरस:
इनफेक्शन एक्सपर्ट डॉक्टर नरेंद्र सैनी के अनुसर एच1एन1 एन्फ्लूएंजा वायरस है जो अब वातावरण में हर समय मौजूद है। यह समय-समय पर एक्टिव होता है, लेकिन जब यह एक्टिव होता है तो सांस से और एक दूसरे के संपर्क में आने से एक से दूसरे में पहुंच जाता है। डॉक्टर के अनुसार जहां नमी ज्यादा रहती है वहां पर यह वायरस तेजी से फैलता है। अगर मेट्रो या एसी बस में कोई स्वाइन फ्लू का मरीज है तो उसकी सांस से यह दूसरों में जा सकता है।
तीन फीट की दूरी बनाए रखें:
डॉक्टर का कहना है कि आपके आसपास अगर कोई खांस रहा हो तो उससे कम से कम तीन फीट की दूरी बना लें, या फिर उन्हें यह कहें कि खांसने के लिए टिशू पेपर का यूज करें या फिर अपनी कोहनी पर खांसे।
मास्क का इस्तेमाल करें:
अगर आप अस्पताल जा रहे हैं तो मास्क पहन लें, अगर किसी मरीज से मिलने जा रहे हैं तो उससे कम से कम तीन फीट की दूरी बनाकर रखें, अस्पताल में अगर कोई स्वाइन फ्लू का मरीज है, वह जहां-जहां छूएगा वहां वायरस छोड़ता जाएगा, अगर उसी जगह को कोई छूता है तो वायरस उसके साथ उसके घर तक पहुंच जाता है।
तुरंत नहीं मरता है यह वायरस:
डॉक्टर का कहना है कि यह वायरस 18 से 24 घंटे तक जिंदा रहता है। इसलिए अस्पताल से निकलते ही लोगों को सबसे पहले साबुन से हाथ धोना चाहिए। यह भी ध्यान रखना चाहिए कि हाथ से खुद को भी नहीं छुएं।
इलाज में देरी न करें:
डॉक्टर सैनी का कहना है कि आज कल कई प्रकार के वायरस और बैक्टीरिया एक्टिव हैं, ऐसे में कई बार इससे होने वाले लक्षण भी एक जैसे होते हैं। अभी जो स्वाइन फ्लू का वायरस एक्टिव है वह नॉर्मल है, इसलिए लक्षण दिखने पर तुरंत अस्पताल जाएं और जांच कराएं, जांच में पॉजिटिव आने पर डॉक्टर के अनुसार इलाज कराएं, जरूरी यह है कि खुद को आइसोलेट करें, दूसरे लोगों से दूरी बना कर रहें, ताकि घर में किसी और तक यह वायरस न पहुंचे। अगर घर में मरीज हो तो उन्हें मास्क पहना कर रखें।
बुजुर्ग व बच्चों को बचा कर रखें:
डॉक्टर अनिल बंसल का कहना है कि वातावरण में अचानक बदलाव से बॉडी के इंटरनल टेम्प्रेचर कम हो जाता है, इससे बॉडी का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है। जब इम्यून कमजोर होता है तब वायरस का अटैक जल्दी असर करता है और कमजोर लोगों को जल्द अपना शिकार बना लेता है। बीमार हैं, बच्चे हैं, बुजुर्ग हैं, उनके लिए यह वायरस खतरनाक हो सकता है।
क्या है स्वाइन फ्लू:
स्वाइन फ्लू एक ऐसी बीमारी है जो एच1एन1 वायरस से फैलती है, जो एक प्रकार का एंफ्लूएंजा वायरस की कैटेगरी में आता है। जब साल 2009 में स्वाइन फ्लू की शुरुआत हुई थी तब यह काफी खतरनाक था, अब यह पहले की तुलना में माइल्ड हुआ है।
कैसे फैलता है यह वायस:
हर वायरस की तरह यह भी हवा में ट्रांसफर होता है। खांसने, छींकने, थूंकने की स्थित में यह वायरस बीमार मरीज से बाहर आता है और जो इसके संपर्क में आते हैं उसमें यह वायरस ट्रांसफर हो जाता है। इसलिए बीमार इंसान से कम से कम तीन फीट की दूरी बनाए रखना चाहिए और मरीज जहां जिस चीज को छूए उसे किसी को नहीं छूना चाहिए।
क्या है लक्षण इस वायरस के पहचान के:-
नाक का लगातार बहना, छींक आना, नाक जाम होना।
– मांसपेशियां में दर्द या अकड़न महसूस करना।
– सिर में भयानक दर्द।
– कफ और कोल्ड, लगातार खांसी आना।
– नींद नहीं आना, बहुत ज्यादा थकान महसूस होना।
– बुखार होना, दवा खाने के बाद भी बुखार का लगातार बढ़ना।
– गले में खराश होना और इसका लगातार बढ़ते जाना।
रहें ज्यादा अलर्ट
– 5 साल से कम उम्र के बच्चे
– 65 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग और गर्भवती महिलाएं
– फेफड़ों, किडनी या दिल की बीमारी
– कमजोर इम्यून सिस्टम वाले
– डायबिटीज के मरीज
– सर्जरी करा चुके मरीज
केंद्र सरकार के गाइडलाइंस के अनुसार हाई रिस्क वाले लोगों और हेल्थ वर्कर्स के लिए वैक्सीनेशन जरूरी है। हाई रिस्क में बुजुर्ग मरीज और बीमार लोग के अलावे छह महीने से लेकर आठ साल तक के बच्चे शामिल हैं, वहीं हेल्थ वर्कर में डॉक्टर, नर्स व सभी स्टाफ को इसका वैक्सीनेशन करवाना चाहिए।
URL: Once again the swine flu virus spreading rapidly across the country!
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