प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, आप अपना सीना निकाल कर दे दीजिए, लेकिन जो पिछले 15 साल से आपके नहीं हुए, अब आगे भी आपके कभी नहीं होंगे! आपने कश्मीर जाकर दीवाली मनाई, कश्मीर में बिजली प्रोजेक्ट की शुरुआत की, कश्मीर में स्किल्प डेवलपमेंट के लिए 1600 करोड़ से अधिक का फंड आवंटित किया, इसके बावजूद कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद राज्यसभा में कहते हैं कि वजीरे-आजम आपके मुंह से जम्हूरियत की बातें अच्छी नहीं लगती! इसके बावजूद वो अंग्रेजी दां पत्रकार, जिनके लिखने और बोलने के कारण आपकी सरकार दबाव में आ जाती है, आपको कश्मीर का दुश्मन प्रोजेक्ट कर रहे हैं! इसके बावजूद कि आपने पाकिस्तान से इतनी दफा बात करने की कोशिश की, नवाज शरीफ व उनके आतंकवादी साथी भारत को परमाणु हमले की धमकी दे रहे हैं! इसके बावजूद कि आप कश्मीरी अलगाववादियों को न नजरबंद कर रहे हैं न उन पर कार्रवाई करवा रहे हैं, लेकिन वो आपको लगातार कश्मीर का दुश्मन घोषित कर रहे हैं!
इसके बावजूद कि 2010 में कश्मीर में 112 कश्मीरी पैलेट गन का शिकार हुए थे, कांग्रेसी नेता और पत्रकार आपके कार्यकाल में सेना के पैलेट गन को मानव-संहारक बता कर जोर-जोर से ढोल पीट रहे हैं! आपके गृहमंत्री शायद इनके ढोल पीटने के कारण इतना डर गए हैं कि कश्मीर घाटी मंे जाकर कहते हैं, ‘पैलेग गन का उपयोग नहीं होना चाहिए’! सुना है, दिल्ली में इसकी जांच के लिए समिति भी बना दी है! कमाल है!
इसके बावजूद कि कश्मीर को आजादी के बाद से सर्वाधिक विकास पैकेज पिछले दो साल में मिला है, कांग्रेसी नेताओं से लेकर आपके सहयोग से चल रही पीडीपी की मुख्यमंत्री महबूबा मुफती तक आपको वाजपेयी होने की नसीहत दे रही हैं! कश्मीर की आजादी की वकालत करने वाला जेएनयू का वामपंथी छात्र नेता कन्हैया कुमार जमानत की शर्तों का खुलेआम उल्लंघन कर रहा है, लेकिन इसके बावजूद दिल्ली पुलिस जो गृहमंत्रालय के अधीन है, अदालत में उसकी जमानत को निरस्त करने के लिए हो रही बहस से गायब हो जाती है!
मोदी जी, आप प्रधानमंत्राी और राजनीतिज्ञ हैं इसलिए संभव हैं कि कुछ चीजों से बंधे हैं, लेकिन हम आम लोग हैं और पिछले 68 साल के राजनीतिक इतिहास को बेहद बारीकी से पढ़ा है! यह बखूबी जानते हैं कि जो लोग आपसे नफरत करते हैं, वो कभी आपके साथ नहीं आएंगे, लेकिन इस जद्दोनहद में कहीं आपके कोर वोटर न छिटक जाएं या कहीं घर न बैठ जाएं!
आपने तो देखा ही है, वाजपेयी जी की शाइनिंग इंडिया का हश्र 2004 में क्या हुआ था? वो क्या कम विकास कर रहे थे? देश की बुनियादी संरचना को खड़ा करने का श्रेय उन्हें ही जाता है, लेकिन जब वो सत्ता में थे तो वामपंथी पत्रकारों व बुद्धिजीवियों ने एक सुर से उनकी सरकार को फासिस्ट सरकार घोषित कर रखा था! तहलका से लेकर आउटलुक तक, वाजपेयी सरकार को गिराने के लिए न जाने कितने मीडिया हाउस कांग्रेस ने खड़े कर दिए थे! 2004 का परिणाम जब सामने आया तो विरोधी तो एकजुट रहे, लेकिन भाजपा के कोर वोटर घर में बैठ गए, क्योंकि सेक्यूलर बीमारी से परेशान होकर ही तो उन्होंने भाजपा को चुना था और वाजपेयी जी उसी सेक्यूलरपंथ के शिकार हो कर रह गए थे! कहीं आप सेक्यूलर होने की तो नहीं सोच रहे हैं? प्लीज वाजपेयी जी को याद कर लीजिएगा!
मोदी जी, याद रख लीजिए, लेफट लिबरल जमात, जेहादी मानसिकता वाले मुल्ला-मौलवी, कांग्रेस के नोटों पर पले-बढ़े पत्रकार व बुद्धिजीवी आपके कभी नहीं हो सकते, चाहे तो आप अपना गला काट कर उनके चरणों में रख दें! जब वाजपेयी जी सत्ता में थे तो ये वाजपेयी जी को फासिस्ट कहते थे, आज आप हैं तो ये लोग आपको नीचा दिखाने के लिए वाजपेयी जी का गुणगान करते हैं और आपको फासिस्ट बताते हैं! जनता को भ्रमित करने के लिए यही उनकी दोहरी नीति है!
यदि आप और आपकी सरकार समझ गई तो आपके कोर वोटर आपके साथ हमेशा रहेंगे, यदि नहीं समझे तो फिर कहीं ऐसा न हो जाए कि ‘न खुदा ही मिला और न विसाल-ए-सनम!’ मैं तो शुभचिंतक हूं! इस सरकार को सत्ता में लाने के लिए बहुत कुछ किया और सहा है, इसलिए पीड़ा होती है! आगे आपकी मर्जी! 2014 से पहले भी जी ही रहे थे और 2019 के बाद भी जी ही लेंगे!