केवल आसाम में नहीं बल्कि पूरे भारत में बांग्लादेशी घुसपैठियों का अच्छा खासा संख्याबल है! और यह संख्या बल एकत्रित होकर हिंसा पर उतारू हो जाता है! ज्यादा पुरानी घटना नही ही पिछले एक साल की घटनाओं पर नजर डालें तो आपको इन बांग्लादेशियों द्वारा मचाया उत्पात नजर आ जायेगा! सरकार को इस तरफ भी ध्यान देना होगा! पिछले साल नोएडा एक्सटेंशन की मॉडर्न महागुन सोसाइटी में करीब पांच सौ लोगों ने हमला कर दिया था! उनका आरोप था कि एक नौकरानी के साथ फ्लैट में रहने वाले एक परिवार के लोगों ने मारपीट की थी! इसी बात पर गुस्साई बेकाबू भीड़ ने सोसाइटी पर लाठी डंडों और पत्थरों से हमला कर दिया था! गुस्साई भीड़ को रोकने के लिए तीन थानों की पुलिस बुलानी पड़ी! सोसाएटी के लोगों का यह आरोप है कि इन हमलवारों में काफी संख्या में बांग्लादेशी मुसलिम घुसपैठिए थे! आखिरी लाइन में…अवैध बंगलादेशियों को भारत में बसाने की लिए शोर मचा रहे विपक्ष की खबर लेता वरिष्ठ पत्रकार दयानंद पांडेय जी का लेख…
दयानंद पांडेय। बहुत देर से सही लेकिन आसाम में चालीस लाख घुसपैठियों को उन की भारतीय नागरिकता से खारिज कर दिया गया है। यकीन मानिए अगर बिना किसी दबाव के यह सूची तय की गई होती तो आसाम में घुसपैठियों की यह संख्या, चालीस लाख पर नहीं एक करोड़ पर होती। राजनीति तो हमारी हिंदू , मुसलमान हो चुकी है पर सुप्रीम कोर्ट अगर हिंदू, मुसलमान नहीं हुई तो देश के बाक़ी हिस्सों से भी घुसपैठियों की संख्या करोड़ो में चिन्हित हो जाएगी।
ज़रूरत इन घुसपैठियों को चिन्हित कर इन्हें सम्मान सहित इन के देशों में वापस भेजने की है। ताकि देश के तमाम संसाधनों को इन के बोझ से छुट्टी मिले। अंधे वोट बैंक के नरक से छुट्टी मिले। मैं आसाम घूमा हूं और पाया है कि आसाम के मूल निवासी मुस्लिम समाज के लोग भी इन बांग्लादेशी घुसपैठियों से बेहद नाराज और आजिज हैं। और इन से मुक्ति चाहते हैं। इस लिए कि इन घुसपैठियों ने इन के काम छीन लिए हैं, इन की मज़दूरी का रेट गिरा दिया है।
आसाम जैसे मुस्लिम बहुल क्षेत्र में भाजपा की सरकार बनना उन के इसी गुस्से का परिणाम है। देश के बाक़ी हिस्सों में भी स्थिति भयावह है। समय रहते चेत जाना ज़रूरी है। पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली जैसी जगहों पर भी यह घुसपैठिए करोड़ों की संख्या में उपस्थित हैं।
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साभार: दयान्द पांडेय जी के फेसबुक वाल से
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