अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव में हार के बाद जिस तरह लगातार कहा कि ‘हमारी जीत चोरी की गई’, उसने अमेरिका में गृहयुद्ध की स्थिति उत्पन्न कर दी।
आज अमेरिकी संसद में घुसकर ट्रंप समर्थकों ने अमेरिकी संसद में घुसकर कब्जा करने का प्रयास किया, जिसमें एक महिला सहित चार लोगों की मौत हो गई।
याद हो कि कुछ इसी तरह भारत में पिछले छह साल से सारा विपक्ष और मीडिया ‘EVM हैक हुआ’ चिल्ला कर देश की जनता को गुमराह कर भड़काने के प्रयास में जुटी है।
वो चाहती थी कि आज अमेरिका में गृहयुद्ध जैसी स्थिति बनी हुई है, वैसा ही कुछ भारत में भी बने, ताकि कांग्रेस के नेतृत्व में उनकी सत्ता में वापसी हो जाए, लेकिन भारत की जनता अमेरिका की जनता से कहीं अधिक समझदार है।
उसने इन भेड़ियों को ठीक से पहचान लिया है, इसलिए इन भेड़ियों की दाल भारत में नहीं गली।
आज वही भारतीय विपक्षी नेता और यहां के मीडियाकर्मी अमेरिका के हालात के लिए ‘नफरत’ पर प्रवचन दे रहे हैं। वो ट्रंप को समाज में नफरत पैदा करने वाला कह कर अप्रत्यक्ष रूप से भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साध रहे हैं।
असल में सच तो यह है कि ये विपक्षी नेता और पत्रकार कट्टरपंथी मुस्लिमों, शहरी माओवादियों, क्रिश्चियन मिशनरियां और विदेशी शक्तियों के साथ मिलकर 2014 से ही लगातार समाज को बांटकर नफरत पैदा करने के प्रयास में जुटे हैं।
ये मक्कार जरा अपने गिरेबान में झांक लें, क्योंकि उन्होंने भी मोदी से अपने नफरत के कारण ही ईवीएम पर लगातार झूठ फैलाया था और लोकतंत्र के अपहरण का प्रयास किया था! आज ये पाखंडी ज्ञान बांच रहे हैं!
असल में भारत की जनता परिपक्व और भारत के लोकतंत्र की जड़ बहुत गहरी है, इसलिए इन ‘पंचमक्कारों’ को बार-बार मु़ंह की खानी पड़ रही है।
आज यह भी साबित हुआ कि 200-250 साल पुराना अमेरिका का लोकतंत्र सबसे पुराना लोकतंत्र नहीं है, बल्कि वैशाली गणराज्य के जरिए हजारों वर्ष पूर्व दुनिया को लोकतंत्र का पाठ पढ़ाने वाले भारत में ही सच्चा लोकतंत्र है, और वह बार-बार साबित होता रहा है।