हिंदू क्यों हिंदू का दुश्मन ? सबसे बड़ा ये प्रश्न है ;
खासतौर से हिंदू – नेता , क्यों इतना काला मन है ?
क्यों राज्य की सत्ता इतनी प्यारी ? राष्ट्र तोड़ने को तत्पर ;
कोई नहीं है आगे पीछे , फिर भी राष्ट्रद्रोह को सतवर ।
क्या मोल मिला है नीलामी में ? राष्ट्र को जो नीलाम किया ;
आखिर कितना भोग करेगा ? काहे को इतना पाप किया ?
धर्म को तोड़ा जात-पांत में , तुष्टीकरण से तोड़ा राष्ट्र ;
देश में कितने मंदिर तोड़े ? आंखों वाले हे धृतराष्ट्र !
वो तो था आंखों का अंधा , तू क्यों बना अक्ल का अंधा ?
सात साल से स्वर्णिम अवसर ,पर बढ़ा रहा गुंडों का धंधा ।
बहुमत की कायर सरकार , भय का नहीं है पारावार ;
सबसे बड़ी सुरक्षा तेरी , पर गुंडे घेरे तेरी कार ।
पीठ दिखा हर जगह से भागे , बढ़े कदम को वापस लेता ;
सीएनएन हो, एनआरसी हो, कृषि कानून भी वापस लेता ।
सुप्रीम कोर्ट के अच्छे निर्णय , परम मूर्खता उन्हें बदलता ;
आरक्षण का रोग भयंकर , तिल -तिल करके राष्ट्र मारता ।
काम,क्रोध,मद,लोभ,मोह में , भय व कायरता भी शामिल ;
नेता कम अभिनेता ज्यादा,वैश्विक छवि की चाहत शामिल।
नोबेल प्राइज की इतनी चाहत , चाहे राष्ट्र टूट ही जाये ;
मरते दम तक रहेगी इच्छा , गजवायेहिंद ही हो जाये ।
केवल अपने लिये ही जीना , निकृष्टतम सिद्धांत है ;
राष्ट्र , धर्म के लिये ही जीना , सर्वश्रेष्ठ सिद्धांत है ।
बात-बात पर आत्मसमर्पण , ये कैसी कमजोरी है ?
सौ – करोड़ हिंदू तेरे पीछे , फिर भी क्या मजबूरी है ?
राष्ट्र ने तुझको दिया है सब कुछ, फिर क्यों राष्ट्र तोड़ता है ?
लगता है कोई कमजोरी है , ब्लैकमेल तू होता है ।
फौरन वो कमजोरी त्यागो या फिर पद को त्याग दो ;
राष्ट्र नहीं अब सहेगा तुझको , जा तू योग्य को आने दो ।
परम – साहसी , राष्ट्रभक्त ही , नेता – पद पर आयेगा ;
राष्ट्र के दुर्दिन दूर हटेंगे , हिंदू – राष्ट्र बनायेगा ।
हिंदू – राष्ट्र बनेगा भारत , सारे अत्याचार मिटेंगे ;
धर्म – व्यवस्था , न्याय – व्यवस्था , मूलभूत स्तंभ बनेंगे ।
धारण करने योग्य जो होगा , वही राज्य अपनायेगा ;
सर्वश्रेष्ठ शासन आयेगा , जो रामराज्य कहलायेगा ।
“वंदेमातरम-जयहिंद”
रचयिता:ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”