विश्व में फैली कोरोना महामारी के शमन के लिए ब्रह्म सेना की ओर से काशी में “जनपदोध्वंस रक्षा अभिषेक” का आयोजन 24 मई 2021 दिन सोमवार (प्रदोष तिथि )को अनादि तीर्थ दशाश्वमेध घाट पर प्रात: 06 बजे से किया गया।श्रुति स्मृतियों के आधार पर कहा जाता है,कि इससे पूर्व यह यज्ञ गोस्वामी तुलसीदास जी के काल मे लगभग 400 वर्ष पूर्व काशी में आयोजित हुआ था, यह एकमात्र ऐसा अनुष्ठान है जिसमें 12 की संख्या अथवा 12 के गुणांक का विशेष महत्व है।
इस अनुष्ठान के लिए प्रदोष तिथि का चयन किया गया। इस अनुष्ठान में 12 ज्योतिर्लिंगों का अभिषेक किया गया। द्वादश ज्योतिर्लिंगों का आह्वान पर्थिव शिवलिंग में काशी के वैदिक ब्राह्मणों द्वारा किया गया। आचार्य एवं 12 वैदिक ब्राह्मणों द्वारा संपादित होने वाले अनुष्ठान में 12 पवित्र नदियों का आह्वान किया गया। इस अवसर पर विद्वान आचार्य दिनेश अंबाशंकर उपाध्याय द्वारा इस यज्ञ की महिमा को विधिवत हिंदी में अपने उध्बोधन द्वारा उपस्थित यजमानों के मध्य प्रस्तुत किया और इस बीमारी से निजात दिलाने के संदर्भ में यज्ञ के महत्व को बतलाया।
डॉ कुलपति तिवारी जी पूर्वमहंत श्री काशी विश्वनाथ मंदिर,बताया कि उमाशक्ति पीठाधीश्वर शंकराचार्य परंपरा संवाहक वृंदावन के द्वारा मिले परामर्श के द्वारा यह यज्ञ गंगा किनारे संपन्न हुआ,आचार्य प्रवर चरक द्वारा प्रतिपादित जनपदोध्वंस रक्षा अभिषेक में कुशादक प्रक्रिया का पालन किया गया। आवाह्ति नदियों के जल में 12 प्रकार की औषधियों का मिश्रण किया गया।
रुद्राभिषेक के उपरांत 12 प्रकार की औषधियों से ही हवन भी सम्पन्न किया गया। कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए वैदिक पंचदल के सदस्य, 12 वैदिक आचार्य ही अनुष्ठान स्थल पर उपस्थित हुए। अनुष्ठान आरंभ होने से पूर्व अनुष्ठान स्थल को सेनेटाइज किया गया। वहां उपस्थित होने वाले सभीजन मास्क और फेसशील्ड धारण किए थे।
जनपदोध्वंस रक्षा अभिषेक की समस्त शास्त्रीय प्रक्रिया के अनुपालन के लिए वैदिक पंच दल का गठन किया गया है। इस दल में काशी के प्रकांड विद्वान पं. बटुकनाथ शास्त्री, पं. दिनेश अम्बाशंकर उपाध्याय, पं. राजेश पांडेय, पं. भृगुनाथ शास्त्री एवं पं. राघवेंद्र शास्त्री हैं। पवित्र नदियों गंगा, यमुना, सरस्वती, कृष्णा, ताप्ति, नर्मदा, शिप्रा, सिंधु, ब्रह्मपुत्र, कावेरी, गोदावरी एवं अलकनंदा का आह्वान करने के लिए मिट्टी के विशेष पात्र बनाए गए थे,तथा इसी क्रम में तीन महा सागर के जलो को सम्मलित करते हुए, बाबा विश्वनाथ जी के प्रतीक स्वरूप दण्ड पूजन के उपरांत पंच बदन प्रतिमा व सभी नदियों व तीनो सागर के जल को विद्वानों के मंत्रों उच्चारण से प्रारंभ किया गया और समापन आयुर्वेद के 125 औषदियो के द्वारा हवन कर पूर्ण किया गया
कार्यक्रम संयोजक:::पं० संजीव रत्न मिश्र,पं०संतोष ओझा,पं०अजय शर्मा