बहुत बड़ी ताकत है हिंसा , पूरा शासन डरता है ;
गांधी ने कर दिया अहिंसक , बेचारा हिंदू मरता है ।
शाहीन बाग से शासन डरता , रोड- जाम हो जाता है ;
हिंसा से डर करके पीएम , ब्लैकमेल हो जाता है ।
हिंसा से संसद भी डरती , कानून को वापस लेती है ;
सरकारें हिंसा से डरती , तभी तो जजिया देती हैं ।
काहे की कानून- व्यवस्था , जेहादी बेखौफ है ;
नरभक्षी तक खुले घूमते , कश्मीर में ऐसा खौफ है ।
गजवायेहिंद के पीछे केवल , हिंसा की ही ताकत है ;
गांधी ने डरना सिखलाया , शुरू मोपला लानत है ।
गांधी ने हिंसा से डरकर , ईश्वर अल्ला एक किया ;
जेहादी से थर-थर कांपे , धर्म को मटियामेट किया ।
गुंडों की हिंसा से डरकर , ही तो पाकिस्तान बना ;
बरकरार ये डर तो अभी भी , बंगाल में कैसा राज बना ?
गुंडों की हिंसा से डरकर जिम्मी , जेहादी का गुलाम बना ;
जिम्मी के इस डर को छुपाने , गांधीवाद ही ओट बना ।
अभी भी सारे जिम्मी नेता , इसी ओट में छिपते हैं ;
गुंडों से हरदम डरते हैं , बात अहिंसा की करते हैं ।
कश्मीर समस्या इसी वजह से , नेता जिम्मी- डरपोक हैं ;
इतना अधिक हिंसा से डरते , केवल कुत्तों की भौंक है ।
शेर के बच्चे गीदड़ कर दिये , झूठा – इतिहास पढ़ाते हैं ;
और फिर गीदड़ डरा-डरा कर , देश की सत्ता पाते हैं ।
जिम्मी नेता डर के मारे , इतना नीचे गिर जाता है ;
तुष्टीकरण बढ़ाता जाता , गजवायेहिंद करवाता है ।
इसके हाथों नहीं सुरक्षित , अपना हिंदुस्तान ;
ये ही रहा अगर सत्ता में , बनवा देगा पाकिस्तान ।
जिन्हें प्यार है धर्म से अपने , प्यारा है हिंदुस्तान ;
गांधीवाद का करो सफाया , बचा लो हिंदुस्तान ।
गांधीवादी जितने भी नेता , उनसे पल्ला झाड़ो ;
जनप्रतिनिधि जो भी हैं तेरे , उनको जाकर पकड़ो ।
अपने – अपने सांसद घेरो , कहो कि नेता बदलो ;
वरना कुछ भी नहीं बचेगा , अब न आग से खेलो ।
जनता में जो जनार्दन होता , उसकी शक्ति जगाओ ;
अब तो केवल यही रास्ता , हिंदू – राष्ट्र बनाओ ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”,
रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”