कुछ भी अच्छा नहीं देश में , पूरा भ्रष्टाचार है ;
जो कुछ अच्छा दीख रहा है , हिंदू शिष्टाचार है ।
कहीं नहीं कानून का शासन , पूरा गुंडाराज है ;
कमजोर कहीं भी जी नहीं सकता , पूरा जंगलराज है ।
राजनीति हो गई है वैश्या , पैसे – वाले भोग रहे ;
चरित्रहीन हैं देश पे काबिज, राष्ट्र को नोंच खसोट रहे ।
आजादी इतनी है बदतर , इससे बेहतर तो गुलामी थी ;
भ्रष्टाचार नहीं था इतना , कुछ तो नेकनामी थी ।
अब तो है बदनामी केवल , सत्ता का नंगा- नाच है ;
कानून से कुछ न लेना देना , अराजकता का ही राज है।
मानवता पर धब्बे थे वे , गांधी – नेहरू नाम था ;
हिंदू- धर्म मिटाने का ही , उनका केवल काम था ।
गांधी आधा ईसाई था व आधा इस्लामी था ;
गाजी गयासुद्दीन का पोता , नेहरू पूरा इस्लामी था ।
हिंदू – जनता महामूर्ख थी , इनको सर पर बैठाया ;
इन दोनों ने साजिश रचकर , राष्ट्र का भट्टा बैठाया ।
झूठे – इतिहास की गंदी- शिक्षा , इन दोनों की देन है ;
वामी, कामी ,जिम्मी ,सेक्युलर , इस शिक्षा की देन है ।
जब तक ऐसी शिक्षा रहेगी , गंदगी का साम्राज्य रहेगा ;
पूरा भ्रष्टाचार रहेगा , सारा अत्याचार रहेगा ।
कानून का शासन हो न सकेगा,सब कुछ यूं बर्बाद रहेगा;
ऐसी शिक्षा से शिक्षित होकर , केवल चौपट राज रहेगा ।
कोई काम ठीक न होगा , बस केवल लफ्फाजी होगी ;
पूरा देश नर्क सा होगा , बस केवल नौटंकी होगी ।
बात – बहादुर सारे नेता और निकम्मे अफसर होंगे ;
जगह-जगह हों शाहीन बाग और रोड जाम ऐसे ही होंगे।
बेशर्मों को शर्म नहीं है , सारे एकदम नंगे हैं ;
भूमिगत हो गई अच्छाई , चारों तरफ लफंगे हैं ।
स्थिति इतनी बिगड़ चुकी है , आपत्-धर्म निभाना होगा ;
धर्म- सनातन धारण करके , हिंदू- राष्ट्र बनाना होगा ।
अच्छे जीवन का विकल्प है ,देश का पूरा चरित्र सुधारो ;
धर्म- सनातन की ताकत से , नर्क जा रहे देश को तारो ।
जल्दी ही ये करना होगा , वरना सब कुछ स्वाहा होगा ;
हिंदू -राष्ट्र बनाओ फौरन , वरना राष्ट्र को मरना होगा ।
“वंदेमातरम-जयहिंद”
रचयिता:ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”