भारत की आजादी फर्जी , पूरा गुंडाराज है ;
पाँच बार हो शोर-शराबा , जिसपे गुंडों को नाज है ।
पूरी धिम्मी हैं सरकारें , कोर्ट का ऑर्डर न मनवायें ;
इतना हल्ला – गुल्ला होता , बीमार भले ही मर जाये ।
धिक्कार है ऐसे शासन पर,कानून का शासन ला न पाये ;
पूरा मखौल है- आजादी का , गुंडा जैसा चाहे पाये ।
दाढ़ी वाला बाबा आया , हम समझे अब अच्छा होगा ;
पर सारे सपने टूट गये , अब राम ही जाने क्या होगा ?
अब तो गुंडे सड़क भी घेरे , पहले ऐसा न होता था ;
हालांकि पहले कठपुतला था , वो भी इतना न रोता था ।
ये बाबा तो पिन्ना निकला , जो बात- बात पर रोता है ;
झूठा इतिहास हटा न पाया , झूठ अभी भी हंसता है ।
इस देश में झूठा हंसता है , सच्चाई हरदम रोती है ;
कदम – कदम पर गुंडागर्दी , ऐसी आजादी होती है ?
व्यर्थ हो गयी हर कुर्बानी , देशभक्त बलिदान हुये ;
केवल चोरों की खुली लाटरी , वे ही मालामाल हुये ।
भले लोग अब ज्यादा पीड़ित,विफल हुयी कानून व्यवस्था;
भ्रष्टाचार हर तरफ हावी , जो है सबसे बुरी अवस्था ।
जब नाकारा शासन होता , भ्रष्टाचार बढ़ जाता है ;
लूट, डकैती ,हत्या ,दंगा , जगह-जगह ये सब होता है ।
निष्फल होता उद्देश्य राज्य का , जंगलराज आ जाता है ;
ताकतवर कमजोर को खाता,ताकत का शासन चलता है ।
जिसकी लाठी भैंस उसी की , ताकत की भाषा चलती है ;
भले लोग लुटते पिटते , पुलिस कुछ नहीं करती है ।
कोर्ट का भी आदेश न लागू , इससे बदतर क्या होगा ?
ध्वनि प्रदूषण बढ़ता जाता , पूरा समाज बहरा होगा ।
मीनारों में लाउडस्पीकर , चिल्लाकर छाती में दले मूंग ;
जिसका सीना छप्पन इंची , सब होशयारी गया भूल ।
सात साल बर्बाद कर दिये , पता नहीं .क्या है मन में ?
लगता किस्मत से सत्ता पायी,जबकि कमजोरी तन मन में ।
राष्ट्र को छोड़ेगी न कहीं का , तेरी ये जो कमजोरी ;
गुंडागर्दी कदम – कदम पर , करते हरदम सीनाजोरी ।
हिंदू को कमजोर कर दिया , पढा – पढा झूठा इतिहास ;
अब सच्चा इतिहास पढ़ाओ ,वरना होजा तू इतिहास ।
“जय हिंद-वंदे मातरम”
रचयिता:ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”