अंग्रेजियत महापाप है , भारत का अभिशाप है ;
धर्म – संस्कृति नष्ट कर रहा , इतना बड़ा ये ताप है ।
स्वतंत्रता है पूर्ण – निरर्थक , अंग्रेजियत की दासी है ;
भ्रष्टाचार की ये ही जननी , चरित्रहीनता की न्यासी है ।
मानसिक-दास बनाने वाली , सच्चरित्रता की दुश्मन है ;
पाश्चात्य-फैशन लाने वाली , नग्न किया नारी तन है ।
अर्धनग्न जो नारी घूमे , अंग्रेजियत की देन है ;
राष्ट्रीय-चरित्र मिटाती रहती , ये ही करती दिन-रैन है ।
अंग्रेजियत में पले- बढ़े हैं , नेता ,अफसर ,न्यायाधीश ;
इस कारण से धर्म-विरोधी , पर मजहब में झुकता शीश ।
ये ही मंदिर तोड़ रहे हैं , मंदिर का धन लूट रहे हैं ;
अंग्रेजी – शासन से लेकर , अब-तक भारत लूट रहे हैं ।
कहने भर को अंग्रेज गये हैं , पूरी अंग्रेजियत हावी है ;
शिक्षा , सत्ता इनके कब्जे में , चर्च का तंत्र प्रभावी है ।
न्याय – व्यवस्था अंग्रेजी है , कदम-कदम अन्याय है ;
पूरा तंत्र गुलामी का है , कहीं नहीं अब न्याय है ।
जागो हिंदू ! अब तो जागो ! , गुरुकुल-शिक्षा अपनाओ ;
अपने धर्म में जीना-मरना , अंग्रेजियत को मार भगाओ ।
अंग्रेजियत का मुंह काला हो , भारतीयता आयेगी ;
झूठा – इतिहास बनाने वाली , नीति नष्ट हो जायेगी ।
झूठे – इतिहास का जहर काटना , अपनी भाषा लाना है ;
मां समान अपनी भाषा है , सौतेली से बचना है ।
अपने घर से शुरुआत करें हम, अपने बच्चों को पढ़ाना है ;
पर्याप्त-समय बच्चों को देकर , अपना-धर्म बचाना है ।
सरकारों का मुंह मत देखो , ये भारत का दुर्भाग्य हैं ;
यूपी या आसाम के जैसा ही , अपना सौभाग्य है ।
अब पूरा सौभाग्य जगाओ , केंद्र में इन्हीं की सत्ता लाओ ;
अंग्रेजियत तो तभी मिटेगी , देश को हिंदू-राष्ट्र बनाओ ।
भारत हिंदू – राष्ट्र बनेगा , पूरा – विश्व शांति पायेगा ;
मानवता का परम-शत्रु है , वो मजहब मिट जायेगा ।
अंग्रेजियत पूरी तरह साफ हो , भारतीयता को लाना है ;
गुलामी – पसंद भारत की शिक्षा , पूरी तरह बदलना है ।
मिटे गुलामी – सारी मन से , पूर्ण – स्वतंत्रता पाना है ;
जन्म – सिद्ध अधिकार हमारा , नारा सफल बनाना है ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”
रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”