
P. Chidambaram and Karti Chidambaram Exposed: ‘बेटा’ तो बेटा ‘पिता’ बाप रे बाप!
गोपाल मिश्रा| एक के बाद एक ऐसे-ऐसे खुलासे हो रहे हैं, जिन्हे देखकर लगने लगा है कि पूरा का पूरा चिदंबरम परिवार ही महाभ्रष्ट है। दस वर्षों की कांग्रेस सरकार के दौरान पूर्व वित्तमंत्री ने तो लगता है भ्रष्टाचार के अलावा कुछ किया ही नहीं। देश में जमकर लूट की गयी। कार्ति चिदंबरम सीबीआई की हिरासत में है और पी चिदंबरम को लेकर अब बड़ा खुलासा हुआ है, जिसे देख लगता है कि जल्द ही पी चिदंबरम भी सलाखों के पीछे जाने वाला है।
चिदंबरम का सोना आयात योजना घोटाला
खुलासा हुआ है कि पी चिदंबरम ने अपने पद का दुरूपयोग करके मेहुल चोकसी और नीरव मोदी जैसे आभूषण कारोबारियों को अरबों का फायदा पहुंचाया। साफ़ सी बात है कि इसके बदले में चिदंबरम ने इन कारोबारियों से मोटी दलाली भी खायी होगी। चिदंबरम के वित्त मंत्री रहने के दौरान यूपीए सरकार की ओर से 80:20 सोना आयात योजना शुरू की गई थी। मजे की बात तो ये है कि इस योजना को शुरू करने का उद्देशय केवल कुछ चुनिंदा कारोबारियों को फायदा पहुंचाने का था।
संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) की बैठक में इस योजना में पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम की भूमिका पर सवाल उठे। सीएजी ने 2016 में पेश अपनी रिपोर्ट में इस योजना पर सवाल उठाए थे। सोना आयात योजना को यूपीए सरकार ने अगस्त 2013 में अपनी मंजूरी दी थी।
देश को सवा लाख करोड़ रुपये का नुकसान
इस योजना के तहत 100 किलोग्राम से ज्यादा का सोना आयात करने वाली कंपनी को ही इंपोर्ट ड्यूटी में रियायत मिलती थी। साथ ही व्यापारियों को सोने का आयात करने की अनुमति तभी दी जाती थी, जब वे अपने पिछले आयात से 20 प्रतिशत सोने का निर्यात कर चुके हों। सीएजी रिपोर्ट के अनुसार 2013 से 2015 के बीच 80:20 सोना आयात योजना की वजह से सरकारी खजाने को करीब 1।25 लाख करोड़ रुपये का चूना लगा था।
खुलासा हुआ है कि मेहुल चोकसी जैसे आभूषण कारोबारियों ने मनी लॉन्ड्रिंग के लिए इस योजना का दुरुपयोग किया। बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की अध्यक्षता वाली पीएसी की उपसमिति के समक्ष राजस्व सचिव और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) तथा केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) के शीर्ष अधिकारी पेश हुए।
नीरव और मेहुल को हुआ मुनाफा
सीएजी की रिपोर्ट पर लोकलेखा की उपसमिति की बैठक में सोना आयात योजना को लेकर तत्कालीन वित्त मंत्री चिदंबरम की भूमिका पर सवाल उठे। इस योजना से जिन कंपनियों को फायदा पहुंचा, उनमें नीरव मोदी और मेहुल चौकसी की कंपनियां भी शामिल हैं, जिन्हें इससे हजारों करोड़ों का मुनाफा हुआ। पीएसी ने वित्त सचिव, सीबीडीटी, ईडी से गोल्ड स्कीम से जुड़े सारे तथ्य और फाइल पीएसी की उपसमिति के समक्ष 15 दिन में देने को कहा, साथ ही इस योजना में चिदंबरम की भूमिका की जानकारी देने को भी कहा गया है।
मोदी सरकार ने बंद की योजना
80:20 सोना आयात योजना की शुरुआत 2013 अगस्त में की गई थी, फिर 2014 फरवरी में इसमें बदलाव किए गए और सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि 2014 में आम चुनाव के नतीजे आने से महज दो दिन पहले 14 मई को इस योजना को आगे बढ़ाने का फैसला किया गया और यूपीए की हार के बाद 21 मई को इसका नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया। सूत्रों की माने तो समिति की ओर से CAG रिपोर्ट के आधार पर जांच की जाएगी। पूर्व वित्तमंत्री चिदंबरम ने योजना में तीन बदलाव क्यों किए, जाहिर सी बात है कि इसके पीछे सोना आयात करने वाली कंपनियों को फायदा पहुंचाने की मंशा थी। मोदी सरकार ने सत्ता में आने के कुछ महीने बाद नवंबर में इस योजना को बंद कर दिया।
समिति की अगली बैठक मार्च के तीसरे सप्ताह में होगी। पीएसी सभी एजेंसियों से एकत्र जानकारी आने के बाद पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम को इस संबंध में समन जारी कर सकती है। सूत्रों के अनुसार दुबे ने बैठक में कहा कि कैग की रिपोर्ट में स्पष्ट संकेत था कि चोकसी समेत आभूषण कारोबारियों ने काले धन को सफेद में बदलने के लिए योजना का इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि पी। चिदंबरम को इसकी जानकारी थी।
बिना दलाली खाये कोई काम नहीं करता था चिदंबरम?
बता दें कि आईएनएक्स मीडिया मनी लॉन्ड्रिंग मामले में भी पी चिदंबरम ही मुख्य भूमिका में है। इसी महाभ्रष्ट वित्तमंत्री ने अपने पद का दुरूपयोग करके आईएनएक्स मीडिया को अरबों का फायदा पहुंचाया और बदले में दलाली की रकम अपने बेटे कार्ति को दिलवाई।
जानकारों के मुताबिक़ दोनों बाप-बेटा ने मिलकर देश में खुली लूट चलाई।
सफ़ेद कुर्ता-लुंगी में घूमने वाला चिदंबरम अंदर से इतना काला है कि बिना दलाली खाये तो मानो कोई काम ही नहीं करता था। बहरहाल अब धीरे-धीरे मामले खुलने लगे हैं और स्पष्ट है कि जल्द ही चिदंबरम भी सलाखों के पीछे होगा। सूत्रों के मुताबिक़ चिदंबरम के बाद अहमद पटेल, रोबर्ट वाड्रा, सोनिया और राहुल के भी भ्रष्टाचार इसी तरह सामने आएंगे।
साभार: गोपाल मिश्रा, मूषक वाल से।
नोट: यह लेखक के निजी विचार हैं। IndiaSpeaksDaily इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति उत्तरदायी नहीं है।
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