कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम एयरसेल-मैक्सिस घोटाला मामले में बुरी तरह फंसते नजर आ रहे हैं। प्रवर्तन निदेशालय द्वारा अभी तक की गई पूछताछ में उनके जवाब में अंतर देखा गया है। प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले शुक्रवार को तीसरी बार उनसे पूछताछ की थी। एयरसेल-मैक्सिस घोटाला मामले में ईडी इससे पहले भी दो बार पूछताछ कर चुकी है। लेकिन इस बार की पूछताछ में चिदंबरम ने जो जवाब दिए हैं वे पहले से मेल नहीं खाते। इससे उनपर संकट और गहरा गया है। प्रवर्तन निदेशालय ने उनके बयान को लिखित रूप में लेकर उनसे हस्ताक्षर भी करवा लिया है।
मुख्य बिंदु
*प्रवर्तन निदेशालय ने एयरसेल-मैक्सिस घोटाला मामले में पी चिदंबरम से तीसरी बार की पूछताछ
*दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा दोनों बाप-बेटे की गिरफ्तारी से 8 अक्टूबर तक रोक लगाने के बाद हुई पूछताछ
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पी चिदंबरम ने अलग-अलग समय में पूछताछ के दौरान एक ही प्रश्न के अलग-अलग जवाब दिए हैं। इससे उनपर संदेह और संकट दोनों गहरा गया है। प्रवर्तन निदेशालय ने इससे पहले भी पी चिदंबरम से जून के दूसरे सप्ताह में पूछताछ की थी। मालूम हो कि दिल्ली हाईकोर्ट ने बाप-बेटे को इस मामले में 8 अक्टूबर तक गिरफ्तार करने पर रोक लगा रखी है।
देश की सर्वोच्च जांच एजेंसियां सीबीआई और ईडी की जांच का सामना कर रहे पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम को पिछले गुरुवार को ही दिल्ली हाईकोर्ट गिरफ्तारी से बचने को 8 अक्टूबर तक के लिए राहत दी थी। उसके अगले दिन यानि शुक्रवार को ही ईडी ने पी चिदंबरम से करीब पांच घंटे तक पूछताछ की। मौके पर मौजूद विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि इस बार पी चिदंबरम पूरी तरह से घिर गए हैं। शुक्रवार को दोपहर से पहले ईडी दफ्तर पहुंचे चिदंबरम से एयरसेल-मैक्सिस डील के लिए फॉरेन इनवेस्टमेंट प्रोमोशन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी देने को लेकर कई सवाल पूछे गए।
मालूम हो कि इस मामले में पहले भी चिदंबरम से पूछताछ हो चुकी है। सूत्रों का कहना है कि ईडी ने एफआईपीबी सदस्यों द्वरा दिए गए जवाब के बारे में भी चिदंबरम से सवाल जवाब किया। सूत्रों का कहना है कि इस बार पी चिदंबरम ने जो जवाब दिए हैं वे पहले के जवाब से मेल भी नहीं खाते हैं।
मालूम हो कि पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम के खिलाफ कानून को ताक पर रखकर एयरसेल-मैक्सिस में विदेशी निवेश को मंजूरी देने का आरोप है। सीबीआई और ईडी इसी मामले की जांच कर रही है। इस मामले में कार्ति चिदंबर जेल की सैर भी कर आए हैं। लेकिन पी चिदंबरम आरोप है कि अपनी ऊंची पहुंच और अपने समय में रखे गए बेईमान अधिकारियों की वफादारी की बदौलत बचते चले आ रहे हैं। हालांकि चिदंबरम इन आरोपों को सिरे से खारिज करते आ रहे हैं। उन्होंने कहा है कि बिना किसी एफआईआर के ईडी उनके खिलाफ जो जांच कर रही है।
चिदंबरम द्वारा एक ही प्रश्न के अलग-अलग जवाब देने के संदर्भ में ईडी का कहना है कि इसका पूरा सबूत उसके पास है। ईडी का कहना है कि चिदंबरम के साथ जून में जो पूछताछ की गई थी वह सरकारी दस्तावेज के रूप में रिकार्डेड है। ईडी का कहना है कि चिदंबरम का पूरा बयान बिना किसी गलती के टाइप करने के बाद उन्हें पढ़ने के लिए दिया गया था। पढ़ने के बाद उस पर उन्होंने हस्ताक्षर भी किया है। यह बात उन्होंने अपने ट्वीट में भी कहा है।
गौरतलब है कि इससे पहले 12 जून को भी पी चिदंबरम से ईडी ने दूसरी बार पूछताछ की थी। एयसेल-मैक्सिस मामले में दूसरी बार हुई पूछताछ छह घंटे तक चली थी। इस मामले में पहली बार 5 जून को पी चिदंबरम से ईडी ने पूछताछ की थी। उस दौरान हुई पूछताछ को भी जांच अधिकारियों ने मनी लांडरिंग रोकथाम अधिनियम के तहत रेकॉर्ड किया था। ईडी ने एयरसेल-मैक्सिस को विदेशी निवेश की मंजूरी देने वाले एफआईपीबी के तत्कालीन अधिकारियों से भी पूछताछ की थी। उनके भी बयान दर्ज किए गए थे। अधिकारियों से मिले विवरण के आधार पर ही पी चिदंबरम से भी पूछताछ की गई थी। आरोप है कि पी चिदंबरम ने अपने बेटे को फायदा पहुंचाने के लिए कानून को ताक पर रखकर एयरसेल-मैक्सिस को विदेशी निवेश की मंजूरी दी थी।
जब से यह जांच शुरू हुई है गिरफ्तारी से बचने के लिए पी चिदंबरम कोर्ट का चक्कर काटना शुरू कर दिया है। कोर्ट से कई बार उन्हें अंतरिम राहत भी उन्हें मिल चुकी है। तीसरी बार हुई पूछताछ से ठीक एक दिन पहले ही पी चिदंबरम और उनके बेटे को दिल्ली हाईकोर्ट ने आठ अक्टूबर तक गिरफ्तारी से बचने की राहत दी थी।
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल 12 मार्च को सीबीआई और ईडी को छह महीने के अंदर एयरसेल-मैक्सिस मनी लांडरिंग समेत टूजी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले की जांच पूरी करने का निर्देश दिया था। दोनों जांच एजेंसियों का कहना है कि मार्च 2006 में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम के कहने पर एफआईपीबी ने एयरसेल-मैक्सिस एफडीआई का अनुमोदन किया था। नियमानुसार पी चिदंबरम एफआईपीबी के माध्यम से महज 600 करोड़ रुपये तक के प्रस्तावित परियोजना को अनुमोदित करा सकते थे। लेकिन उन्होंने 3,500 करोड़ रुपये की मंजूरी दे दी थी। जबकि नियमानुसार 600 करोड़ से ज्यादा के अनुमोदन के लिए वित्त मंत्री पी चिदंबरम को आर्थिक मामले की कैबिनेट कमेटी का अनुमोदन लेना जरूरी था। आरोप है कि पी चिंदबरम ने कानून का उल्लंघन कर एयरसेल-मैक्सिस को साढ़े तीन हजार करोड़ रुपये की विदेशी निवेश करने की मंजूरी दे दी थी।
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