विनय झा। फ्री मैसन नामक इस गुप्त संस्था का वर्तमान भारतीय पन्ना है http://grandlodgeofindia.in/ जिसमें सारी महत्वपूर्ण सूचनाओं को हटा दिया गया है ताकि भारत के उच्च वर्ग में इनके कौन−कौन लोग हैं इसकी जानकारी गुप्त रहे । अब वैसे लोगों को ही पद दिये जाते हैं जो प्रसिद्ध नहीं हैं,और प्रसिद्ध लोगों की सूचना गुप्त रखी जाती है ताकि २०१४ ई⋅ के पश्चात वाली भारत की नयी सरकार की दृष्टि इनलोगों पर न पड़े,और पड़े भी तो कोई आपत्तिजनक सामग्री किसी को न मिले।
इनका उपरोक्त वेबसाइट भी असुरक्षित http वाला है,सुरक्षित https वाला नहीं,ताकि प्रोग्रामिंग स्क्रिप्ट द्वारा उक्ट वेबसाइट के माध्यम से भी ये लोग आपस में गुप्त सम्वाद कर सकें और दूसरों का डैटा चुरा सकें। किन्तु उक्त साइट पर भी स्वामी विवेकानन्द,जमशेदजी टाटा,“सद्गुरु” जग्गी वासुदेव आदि के फोटो मिलेंगे। उक्त साइट के होम पन्ने पर जो कम्पास का फोटो है उसके मध्य में गॉड का प्रतीक G रहता है किन्तु भारतीयों को बुरा न लगे इस कारण भारतीय संस्था ने हटा लिया है।
कई लोगों को भ्रम है कि यह G ईसाई गॉड का प्रतीक है,परन्तु ऐसी बात नहीं है। यह G ईसाई गॉड का झूठा प्रतीक है जिसकी आड़ में अमरीका और यूरोप के ईसाईयों को बाइबिल के विरुद्ध चालाकी से भड़काया जाता है जिस कारण वैटिकन चर्च एवं अनेक अन्य चर्चों ने इस संस्था पर प्रतिबन्ध लगाया था। अब भारत और बाहर भी यह संस्था अपने को समाजसेवी चैरिटी चाली संस्था कहती है,मदर टेरेसा की तरह।
यह संस्था कितनी व्यापक है इसका एक साक्ष्य है भारत में इसके ४५९ स्टेशनों की सूची http://grandlodgeofindia.in/station-wise-craft-lodges/ ॥
फ्रीमैसन का संस्था का चरित्र कैसा है इसे जानने के लिये सावधानी से इसकी भाषा को डिकोड करना पड़ेगा । उपरोक्त साइट के चैरिटी वाले पन्ने पर दक्षिण भारत टटोलने पर http://www.rglsi.org.in/ पन्ना खुलेगा जिसपर नीचे बाँयी ओर “Discover Freemasonry” के अन्तर्गत लिखा है
“Freemasonry is one of the world’s oldest secular fraternal societies, based on the principle of the Fatherhood of God and the Brotherhood of man. Its members are taught its precepts by series of ritual which follow ancient forms and use stone masons’ customs and tools and allegorical guides.”
यह ‘संसार की प्राचीनतम सेक्यूलर संस्था है जो गॉड के फादरहुड और पुरुषों के आपसी भाईचारा पर आधारित है।’ अर्थ लगा?हिन्दुओं को बरगलाने के लिए यह सेक्यूलर होने का नाटक करती है परन्तु एक तरफ “गॉड का फादरहुड” एवं दूसरी तरफ नारियों को किनारे कर “पुरुषों का आपसी भाईचारा” इस संस्था का मूलाधार है। इसके सदस्यों को प्राचीन प्रतीकों एवं साङ्केतिक allegorical प्रणालियों द्वारा विशिष्ट ritual के माध्यम से इस संस्था की अवधारणाओं में क्रमबद्ध तरीके से उत्तरोतर प्रशिक्षित किया जाता है।
“सेक्यूलर ritual” क्या बला है?इसका खुलासा ये लोग बाहरी लोगों के सामने नहीं करते। “सेक्यूलर” शब्द का सही अर्थ तो यह है कि सम्प्रदाय व्यक्ति का निजी विषय है और सामाजिक−राजनैतिक गतिविधियों से सम्प्रदाय का प्रवेश वर्जित रहे। परन्तु व्यवहार में “सेक्यूलर” शब्द का अर्थ यह है कि पूरे समाज को नास्तिक होना चाहिये क्योंकि सारे सम्प्रदाय आधुनिकता से हटाकर लोगों को पोंगापन्थी बनाते हैं तथा विकास को रोकते हैं।
व्यवहार में ऐसा होने का कारण यह है कि संसार के सारे सम्प्रदाय मानते हैं कि केवल निजी विषयों में ही नहीं बल्कि समस्त सामाजिक क्रियाकलापों में व्यक्तियों को अपने सम्प्रदाय के नियमों को वरीयता देनी चाहिये,अतः संसार के हर सम्प्रदाय का सेक्यूलरिज्म से सीधा विरोध हो ही जाता है। यदि आपकी आस्था किसी सम्प्रदाय में है तो आप केवल निजी मामलों में अपने सम्प्रदाय को मानेंगे तथा सामाजिक मामलों में अपने सम्प्रदाय को नहीं मानेंगे ऐसा सम्भव नहीं है,क्योंकि तब आप अपने सम्प्रदाय में सच्ची आस्था नहीं रखते ।
अतः सेक्यूलर होने का अर्थ व्यवहार में नास्तिकता की ओर ले ही जाता है। आरम्भिक चरण में सेक्यूलरिज्म सिखायेगा कि व्यक्ति को दूसरे सम्प्रदाय वालों के निजी मामलों में दखल नहीं देना चाहिये और केवल अपने निजी मामलों में ही अपने सम्प्रदाय का पालन करना चाहिये। परन्तु व्यवहार में “निजी” और “सामाजिक” की सीमारेखा होती ही नहीं है। मनुष्य स्वभावतः एक सामाजिक प्राणी है,अतः सामाजिक तौर पर सेक्यूलर होने का अन्तिम परिणाम यह होगा कि देर−सबेर निजी मामलों में भी सम्प्रदाय के बन्धन ढीले होते−होते टूट जायेंगे।
दूसरे सम्प्रदाय वालों के सम्प्रदायों को नष्ट करने के लिए सेक्यूलरिज्म का प्रयोग किया जाता रहा है। कैथॉलिक चर्च के विरुद्ध प्रोटेस्ट से प्रोटेस्टेण्ट ईसाई सम्प्रदायों की उत्पत्ति हुई जिन्होंने रोमन चर्च के प्रभाव को मिटाने के लिए सेक्यूलरिज्म को बढ़ावा दिया। प्रोटेस्टेण्टों ने अपने सम्प्रदाय को बचाने के लिए कट्टरवादिता अपनायी परन्तु दूसरों पर सेक्यूलरिज्म थोपा। सेक्यूलरिज्म का शब्दार्थ है संसारवाद,अर्थात् माया ही सत्य है और ब्रह्म मिथ्या।
भौतिक आँखों से दिखने वाला संसार ही सत्य है तो इस नास्तिकता में फ्रीमैसनों के “ritual” का क्या अर्थ है?ritual तो सम्प्रदायों में होते हैं,सेक्यूलरों में नहीं!अतः फ्रीमैसनों के तथाकथित “सेक्यूलर रिचुअल” का स्पष्टीकरण आवश्यक है जिसे ये लोग छुपाकर रखते हैं।
“सेक्यूलर रिचुअल” की तह में जाने से पहले भारतीय फ्रीमैसनों के इस पुराने वेबसाइट को देखें जो काँग्रेसी राज समाप्त होने पर बन्द कर दिया गया और वर्तमान वेबसाइट अधिक सावधानीपूर्वक बनाया गया। यह पुराना वेबसाइट अब अस्तित्व में नहीं है किन्तु एक व्यक्ति ने इस समूचे पुराने भारतीय वेबसाइट को ही कॉपी करके इण्टरनेट आर्काइव पर डाल दिया था,http://www.masonindia.org/WellKnownFreeMasons.htm साइट को अलग से ढूँढेंगे तो “Not Found” बतायेगा। किन्तु इण्टरनेट आर्काइव के निम्न पते पर 2010−01−19 के दिनाङ्क वाले इस पुराने साइट के कुल १४३ कैप्चर उपलब्ध हैं जिसमें १५० प्रसिद्ध भारतीयों की सूची वाला पन्ना यह है ।
अतः १५० भारतीयों की यह सूची “आधिकारिक” है जिसे फ्रीमैसनों की भारतीय संस्था ने ही जारी की थी। अगले अङ्कों में भारतीय फ्रीमैसनों के रिचुअल और गुप्त दर्शन का खुलासा करूँगा। फ्रीमैसनों के रिचुअल और गुप्त दर्शन का खुलासा करने वालों को ये लोग लापता कर देते हैं इस बात का भी प्रमाण दूँगा शव भी नहीं मिलता,क्योंकि भारत से लेकर अमरीका तक के सर्वोच्च पदों पर ये लोग बैठे हैं और अधिकांशतः यह पहचानना कठिन रहता है कि कौन फ्रीमैसन है तथा कौन नहीं!
अतः आपलोग अपने कमेण्टों को संयमित रखें,खुलकर किसी का नाम मत लें,वरना लेखमाला बन्द करनी पड़ेगी । जब से यह लेखमाला मैंने आरम्भ की है तब से मेरा फेसबुक अकाउण्ट हैक करने के अथक प्रयास होने लगे हैं। मेरी चिन्ता न करें।