धर्म ध्वजा खुलकर फहराओ,अपने गुरु का ऋण लौटाओ ;
सत्ता तो जूती पैरों की , जब चाहे उसको ठुकराओ ।
ब्रह्म वाक्य है गुरु की वाणी, सदा ही गुरु का मान बढ़ाओ ;
अब्बासी – हिंदू से बचना , उसके फंदे में मत आओ ।
अब्राहमिक-षड्यंत्र चल रहा , दुनिया भर का , भारत में ;
अब्बासी – हिंदू कठपुतली है , प्लांट हुआ है भारत में ।
सदा से धोखा खाता आया , हिंदू अपने नेताओं से ;
सब के सब अब्बासी – हिंदू , तुष्टीकरण – कर्ताओं से ।
सारे दल बन चुके हैं दलदल , सड़े हुये दुर्गंधित हैं ;
पर तू अपनी गुरु – कृपा से , कर सकता इसे सुगंधित है ।
याद करो तुम गुरु की वाणी , केवल उस पर चलना है ;
कभी नहीं समझौते करना , गुंडों की कभी न सुनना है ।
सारे गुंडे शत्रु धर्म के , भारत के भी दुश्मन हैं ;
भारतवर्ष मिटा देने की , कसक भरी इनके मन है ।
अब्बासी – हिंदू जो नेता , इन गुंडों से डरता है ;
कोई गोट दबी है इसकी , ब्लैकमेल गुंडा करता है ।
तू ! अपनी पार्टी का हीरो , बाकी लगभग जीरो हैं ;
तुझे घेरते रहते हैं सब , पीछे साइड – हीरो है ।
इस साइड – हीरो से बचना , सबको साइड करता है ;
डूब जायेगी पूरी पार्टी , ऐसी हरकत करता है ।
जिस पर हाथ गुरु का होता , बाल न बांका होता है ;
नाक रगड़ कर मर जायेगा , जो भी तुझसे जलता है ।
तेरे पीछे धर्म की ताकत , जिसका कोई नहीं है सानी ;
यूँ ही कड़क बने तुम रहना , हर दुश्मन मांगेगा पानी ।
सदा गुरु का ध्यान धरो तुम , और किसी की मत मानो ;
गुरु – कृपा से राह मिलेगी , लक्ष्यवेध करके मानो ।
लक्ष्य तुम्हारा धर्म – सनातन , सर्वश्रेष्ठ इसको मानो ;
इसी से सबको शांति मिलेगी,सभी समस्या का हल जानो ।
सदा ही अपने दिल की सुनना , दल तो लगभग दलदल है ;
उसको सही राह पर लाओ , यदि समझो मीठा फल है ।
जो भी फल कड़ुवा हो जाये , उसे फेंकना बेहतर है ;
मीठे – फल का ढूँढ बगीचा , अब तो ये ही श्रेयस्कर है ।
सत्य की राह कभी मत छोड़ो , चाहे जितने कांटे हों ;
सर्वश्रेष्ठ जननायक वो है , सबके दुखड़े बांटे हों ।