ये जिम्मेदारी जिस संत समाज के ऊपर थी, क्षमा के साथ कहना चाहूंगा कि वो कहीं न कहीं इसे पूरा करने में असमर्थ रहे हैं!
आधुनिक बाबाओं ने आर्थिक साम्राज्य तो बड़े खड़े कर लिए, परंतु सनातनी समाज का निर्माण वो नहीं कर पाए!


यही कारण है कि आज हिंदू शिव, राम, कृष्ण और शक्ति के बताए मार्ग की जगह किसी अभिनेता, अभिनेत्री, क्रिकेटर, राजनेता या किसी बाबा को आदर्श बनाए घूम रहे हैं।
ये क्षणभंगुर तुम्हें क्षणभंगुर आदर्श ही देंगे, जो तुम्हें, तुम्हारे परिवार और इस राष्ट्र को दास ही बना रहा है, जबकि ईश्वर ने तुम्हें स्वतंत्र चेतना दी है! भारतवर्ष एक राष्ट्र के रूप में सिकुड़ता चला गया, सनातन धर्मियों की संख्या घटती चली गई, लेकिन हिंदू क्षणभंगुर मानवों के पीछे भागना बंद अभी भी नहीं कर रहा है। अरे तुम्हारा उद्धार सि़र्फ गुरु, गोविंद और ग्रंथ ही कर सकते हैं, और कोई नहीं!


मैं एक साधारण गृहस्थ आध्यात्मिक पथिक के रूप में चल पड़ा हूं उस सनातन यात्रा पर, जो एक मात्र सत्य है।
लोग साथ जुड़ते जा रहे हैं।


इस बार #कालिकापुराण कथा कहने की जो अनुभूति मुझे हो रही है, मेरे कुछ श्रोता भी इसी अनुभूति से गुजर रहे हैं। वाचिक परंपरा का मुख्य आधार ही श्रोता हैं।

अतः सभी श्रोताओं का धन्यवाद। कुछ श्रोताओं की निम्न टिप्पणियां माता के सभी भक्तों के लिए…जय माता दी!