प्रदूषण और लगातार बढ़ती वाहनों की तादाद पर जारी बहस के बीच केंद्र सरकार साल 2030 तक देश में पूरी तरह इलेक्ट्रॉनिक कारों का दौर लाना चाहती है।केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कार निर्माता कंपनियों को साफ लहजे में चेताया भी है कि पेट्रोल-डीजल की कारों का भविष्य ज़्यादा नहीं है।
गडकरी ने कहा, “हमें वैकल्पिक ईंधन का रुख करना चाहिए। मैं ये करने जा रहा हूं। आप इसे पसंद करें चाहे न करें! मैं आपसे पूछूंगा नहीं! मैं इसे उखाड़ फेकूंगा! प्रदूषण के लिए! आयात के लिए मेरे विचार बहुत साफ हैं।”
भारत में कार निर्माता कंपनियां 2020 तक बीएस-6 इंजन के साथ लाने के लिए ख़ुद को तैयार कर रही हैं, इसलिए गडकरी की बातों का उन पर ख़ास असर नहीं हुआ। गडकरी ने कहा कि जो कंपनियां सरकार की योजनाओं में सहयोग करेंगी उन्हें कुछ न कुछ फ़ायदा ज़रूर मिलेगा लेकिन जो सहयोग नहीं करेगा उसकी जेब पर असर ज़्यादा होगा।
ऑटोमोबाइल कंपनी से जुड़े एक कार्यक्रम में पहुंचे केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा कि पेट्रोल-डीजल से चलने वाले वाहनों को इलेक्ट्रॉनिक या फिर बायो ईंधन का रुख करना पड़ेगा। उन्होंने कहा, “पेट्रोल डीजल बनाने वालों का बैंड-बाजा बजाना है।” गडकरी ने सरकार की योजना पर बात करते हुए कहा कि उनका बड़ा लक्ष्य ये है कि 2030 तक देश में सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक वाहन हों! इसके लिए उन्होंने इंडस्ट्री के लोगों को “कुछ नया सोचने, रिसर्च करने और नई तकनीक पर काम करने” की सलाह दी।
उन्होंने कहा, आज हर आदमी के पास कार है. सड़कों पर कारों की संख्या बढ़ती जा रही है और अगर यही रफ़्तार रही तो सड़कों पर एक अतिरिक्त लेन बनाने की जरूरत पड़ जाएगी। केंद्रीय मंत्री ने कहा,”डीजल नहीं चलेगा, मैं इसे बंद कर दूंगा”। आपको बदलना होगा। “नई तकनीक अपनाने की बात के साथ उन्होंने यह चेतावनी भी दी कि बाद में कोई ज़्यादा गाड़ियां होने की बात कहकर बच नहीं पाएगा,सबको बदलना होगा!
नितिन गडकरी ने कहा कि केंद्रीय कैबिनेट में यह प्रस्ताव अपने अंतिम दौर में है. इसमें चार्जिंग स्टेशन खोलने का प्रस्ताव भी शामिल है। उन्होंने बताया कि सरकार की योजना क़रीब 2000 ड्राइविंग स्कूल खोलने की भी है।
साभार: अनुज अग्रवाल, संपादक डायलॉग इंडिया