कमलेश कमल। प्लाज्मा की बात करें, तो यह सच नहीं है कि मेरी टीम अधिक लोगों की मदद कर पा रही है। सच्चाई यह है कि प्रतिदिन अगर 500 लोग हमसे प्लाज्मा माँगते हैं, तो 5 लोग हमें प्लाज्मा देने हेतु एप्रोच करते हैं। मतलब मेरी टीम की इस मायने में सफलता 1% है।
कहने का आशय यह है कि अब जबकि बेड, ऑक्सीजन आदि की मदद हमलोग पूरी कर पा रहे हैं, प्लाज्मा के अधिकतर मामलों में हम हाथ ही जोड़ रहे हैं। इसके अलावा एक वेंटीलेटर के मामले में कभी-कभी खाली नहीं रहने पर मन मसोस कर रहना पड़ता है।
सोचिएगा कि लेना हर कोई चाहता है, देना कोई नहीं। इतने लोग कोरोना से ठीक हुए, अगर वे ठान ले तो चमत्कार संभव है। बहुतों की जिंदगी बच सकती है। हम आपका कोई ख़र्च नहीं होने देंगे, पूरी व्यवस्था हमारी होगी। सदा के लिए जिसे मिलेगा उसका परिवार और हम आपके ऋणी रहेंगे।
आइए, मुझे भीख में प्लाज्मा दान कीजिए! जीवन बचाइए! देश बचाइए!
कोर_टीम
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{साझा कर दीजिए, उपकार होगा। प्रणाम!}