साल की शुरुआत में ‘नेचर कम्युनिकेशंस’ ने हिमालय के बारे में एक नई रिपोर्ट छापी है। रिपोर्ट के मुताबिक खतरा दबे पांव हिमालय की ओर बढ़ रहा है। शोध के नए परिणाम बता रहे हैं कि हिमालय क्षेत्र में कभी भी 8.5 रेक्टर स्केल या इससे भी अधिक तीव्रता वाला भूकंप आ सकता है। ये ताज़ा रिपोर्ट बता रही है कि हिमालय वासियों और सरकार को सतर्क रहने की जरूरत है। हैरानी की बात है 3 जनवरी को प्रकाशित हुई ये रिपोर्ट अब तक देश के जागरूक मीडिया के पास नहीं पहुँच सकी है।
‘नेचर कम्युनिकेशंस’ में प्रकाशित हुई स्टडी की अहमियत इसलिए बढ़ जाती है क्योंकि ये मंच वैज्ञानिक जर्नल्स को ओपन एक्सेस देता है। ‘नेचर कम्युनिकेशंस पर मुख्य रूप से फिजिक्स, केमेस्ट्री, पृथ्वी विज्ञान और बायोलॉजी से संबंधित वैज्ञानिक जर्नल्स प्रकाशित किये जाते हैं। स्टडी स्पष्ट रूप से बता रही है कि हिमालय क्षेत्र पर बड़े भूकंप का खतरा मंडरा रहा है।
स्टडी के मुताबिक हिमालय पर आने वाले इस खतरे का ‘ट्रिगर’ सन 2015 में ही दब गया था, जब नेपाल में 7.8 मेग्नीट्यूड का विनाशकारी भूकंप आया था। उस भूकंप ने हिमालय क्षेत्र में आने वाले और भी अधिक भयावह भूकंप की शुरुआत कर दी है। ये अन्तर्गर्भीय हलचल छोटे भूकम्पों की श्रंखला में आगे बढ़ रही है। स्टडी में ‘न्यूमेरिकल सिम्युलेशन’ के जरिये बताया गया है कि कैसे एक बड़ा भूकंप आगामी दूसरे भूकंप के लिए जिम्मेदार होता है।
नेपाल के भूकंप में नौ हज़ार लोग मारे गए थे और लगभग छह लाख मकान चंद सेकंड में तिनके की तरह बिखर गए थे। झटकों से आए ‘ऐवेलांच’ ने भयंकर तबाही मचाई थी। जबकि वह 7.8 तीव्रता का भूकंप था और जो आने वाला है, वह इससे कहीं अधिक तीव्रता का हो सकता है। इस स्टडी को तैयार करने वाले भू भौतिकविद ‘लुका डेल ज़िलो’ ने बहुत स्पष्ट रूप से कहा है कि इस क्षेत्र में रहने वाले करोड़ों लोग भूकम्पीय जोख़िम के साथ रह रहे हैं। समस्या बस यही है कि इसकी कोई तारीख तय नहीं है। ये आज भी हो सकता है और दस साल बाद भी।
स्टडी के मुताबिक हिमालय क्षेत्र में एक ‘सुपर साइकिल’ काम करती है। यहाँ हर 500-600 साल में विनाशकारी भूकंप आता है। इसके पहले यहाँ जमीन के भीतर ऊर्जा इकट्ठी होती रहती है। चिंता की बात ये है कि नेपाल भूकंप के बाद ‘सुपर साइकिल’ पूरी होने के संकेत मिल रहे हैं। यदि होता है तो तबाही अनुमान से कहीं ज्यादा होगी। इस बारे में सरकार को ठोस योजना तैयार करनी चाहिए।
इन दिनों विश्व में भूकंप रोधी मकानों को लेकर नए प्रयोग किये जा रहे हैं। विश्व के कई हिस्सों में प्लास्टिक की बोतलों से मकान तैयार किये जा रहे हैं। भूकंप आने की दशा में जान और माल की सुरक्षा के लिए ऐसे मकान बेहद सुरक्षित माने जा रहे हैं। ऐसे मकान 450 साल तक खड़े रह सकते हैं। सरकार को ऐसे ही रचनात्मक उपाय अपनाने चाहिए। पहाड़ों पर देश के करोड़ों लोग जीवन बसर करते हैं। उनके जीवन रक्षण के लिए अभियान चलाने ही होंगे।
URL: Growing warnings by scientists of an impending high-magnitude earthquake in the Himalayas
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