जिस प्रकार देश में कोर्ट के फैसले भेदभावूर्ण आने लगे हैं इससे अब पूरी न्यायपालिका पर ही सवालिया निशान लग गया है। लोगों ने तो अब यह भी सवाल पूछने लगे हैं कि आखिर सुप्रीम कोर्ट चल कहां से रहा है? ऐसा संदेह इसलिए होने लगा है कि कोर्ट हिंदू आस्था से जुड़े मामले को लाभ हानि के हिसाब से फैसला देने लगे हैं।
मस्जिद में महिला प्रवेश की याचिका पर केरल हाई कोर्ट ने सुनवाई करने से इंकार किया।
हिंदू मंदिर नहीं बनाएगा,
पटाखे नहीं चलाएगा,
दही हांडी पर मटकी की कितनी ऊंचाई होगी,
सबरीमाला में मुस्लिम महिला को प्रवेश की अनुमति मिली।
बड़ा सवाल: सुप्रीम कोर्ट चल कहां से रहा है?
— Anand Mahadev Thakur ?? (@mrathakur) November 1, 2018
मुख्य बिंदु
* खास समुदाय की नाराजगी और खुशी देखकर कोई कोर्ट नहीं कर सकता फैसला
* मसजिद में महिला प्रवेश की याचिका खारिज करते ही केरल हाईकोर्ट पर उठने लगे सवाल
गौरतलब है कि केरल हाईकोर्ट ने मसजिद में महिला के प्रवेश को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। जबकि सुप्रीम कोर्ट हो या संबंधित राज्य से जुड़ा हाईकोर्ट हिंदू आस्था से जुड़े मामले में चोट पहुंचाने के हिसाब से फैसला करते हैं और शीघ्र करते हैं। जैसे राम मंदिर को लेकर जहां हिंदुओं की भावना जल्द आदेश आने की है वहां पर सुप्रीम कोर्ट ने तीन मिनट की सुनवाई में तीन महीने के लिए लटका दिया। दंही हांडी मामले में कोर्ट ने हस्तक्षेप कर ऊंचाई तक निर्धारित कर दी। सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश को लेकर त्वरित फैसला दे दिया लेकिन पुनर्विचार याचिका की सुनवाई टाली जा रही है।
जब मसजिद में महिलाओं के प्रवेश की बात आई तो कोर्ट ने उस पर सुनवाई करने तक से इनकार कर दिया। क्योंकि यह मुसलिम समुदाय से जुड़ा मामला है इसलिए कोर्ट इस मामले की सुनवाई करने तक से परहेज कर रहा है। इस प्रकार के भेदभावपूर्ण फैसले से कोर्ट पर से विश्वास उठेगा कि नहीं? इसलिए तो आम लोगों का कोर्ट पर से भरोसा ही उठने लगा है।
URL: Plea for allowing Muslim women in mosques dismissed
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