Equal Rights for Hindus (ई.आर.एच.एफ) नामक संस्था द्वारा निर्मित डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म “दिल्ली में हिन्दू पुजारियों की दुर्दशा” का प्रथम मंचन कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया, नई दिल्ली में दिनांक 11 नवंबर 2022 को किया गया, इसमें दिल्ली के पुजारियों की दयनीय स्थिति , विशेषतः कोरोना महामारी के मध्य उनके द्वारा जिन कठिनाइयों का सामना किया गया और कैसी आर्थिक विपत्तियां उन पर टूट पड़ीं उसका मार्मिक चित्रण दर्शाया गया।
जैसा कि हमें ज्ञात है कि हिन्दू पुरोहित तथा पुजारी वर्ग पूर्णतयः भक्तों तथा यजमानों द्वारा दी जाने दक्षिणा पर निर्भर हैं, ऐसी स्थिति में कोरोना महामारी के मध्य मंदिरों कई दिन तक बंद रहने से उनकी दयनीय आर्थिक स्थिति हो गयी थी और उनको सरकार की ओर से न कोई सहायता न ही कोई आश्वासन प्राप्त हुआ। उस समयकाल में उनके द्वारा किया गया जीवन यापन एक भयावह स्वप्न के समान है।
कोविड के उपरांत मंदिर खुलने के बाद भी उनकी आर्थिक स्थिति में कोई विशेष सुधार नही हुआ है। हिन्दू समाज ने भी पुजारियों के सहयोग में उदासीनता दिखाई ।आज का पुजारी वर्ग ऐसे दो मार्गों के मध्य खड़ा है जहाँ वह सोच रहा है कि उनकी अगली पीढ़ी को अपने पारंपरिक कार्य में डालें की नहीं। ऐसी स्थिति हिन्दू धर्म एवं हिन्दू भविष्य के लिए भयावह है।
फ़िल्म में मांग की गई कि दिल्ली के पुजारियों को दिल्ली तथा केंद्र सरकार 25000₹ का मासिक अनुदान दिया जाए जैसे मुस्लिम समाज के इमामों को दिया जाता है।
फ़िल्म के मंचन के उपरांत ई.एच.आर.एफ. के संस्थापक तथा भूतपूर्व सी.बी.आई निदेशक श्री एम नागेश्वर राव ने कंप्यूटीकृत प्रस्तुतिकरण द्वारा समझाया कि कैसे हिंदुओं को इस देश में अल्पसंख्यकों की भांति समान अधिकार नही प्राप्त हैं और इसके लिए उत्तरदायी संविधान ही है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध विद्वान एवं भाषाविद प्रो० कपिल कपूर ने समझाया कि कैसे पुजारी वर्ग ने विदेशी आक्रमण से हिन्दू धर्म एवं हिन्दू संस्कृति की रक्षा की।
कार्यक्रम में अन्य वक्ताओं ने भी चर्चा में भाग लिया तथा अपने विचार रखे। जिनमें श्री विजय जॉली, स्वामी विज्ञानंद, श्री आशीष धर, पंडित राम गोपाल शुक्ला, तथा सेवानिवृत आई.ए. एस. अधिकारी श्री श्रीनिवासुलु सम्मिलित हुए। ई.एच.आर.एफ कि श्रीमती रति हेगड़े तथा श्रीमती ऋतु राठौर ने क्रमश: चर्चा का संचालन तथा अतिथिगणों और दर्शकों को धन्यवाद प्रस्तुत किया ।
समारोह में उन पुजारियों को सम्मानित किया गया जिन्होंने फ़िल्म में सहयोग दिया था। अंत में दिल्ली तथा केंद्र सरकार से मांग की गई कि दिल्ली के पुजारियों को ₹25000/- का मासिक अनुदान दिया जाए। जिस प्रकार से इमामों को दिया जाता है।