
पीएम मोदी ने गंगा तट पर स्वच्छता कर्मियों की पैर धोकर पूरे विपक्ष को धो दिया !
लोकतंत्र में नेता कुछ भी करें उसके राजनीतिक मायने तो होते ही हैं । भारत के प्रधानमंत्री ने कुंभ के दौरान गंगा तट पर समाज के सबसे निचले पायदान पर खड़े छूआ छूत का अपमान झेलने वाले स्वच्छता कर्मियों के पैर धोए और पैर पूछे तो राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई । घंटे दो घंटे पहले ही अपने 53वें मन की बात की समाप्ति यह कह कर करते हुए कि चुनाव के बाद आपके आशीर्वाद से दूबारा लौट कर आऊंगा और अगला मन की बात मई महीने के आखरी हफ्ते के रविवार को करुंगा कह कर बेचैनी बढ़ा दी थी। विपक्ष इस बात के लिए प्रधानमंत्री मोदी को अहंकारी कह ही रही थी । कांग्रेस के प्रवक्ता ने प्रेस कांफ्रेस बुला कर यह कहना ही शुरु किया था कि ऐसा अहंकारी प्रधानमंत्री जो धमकी देता है! मन की बात करेंगे। काम की बात कब करेगें! कुंभ पहुंच कर जो तस्वीर पेश की उसने भाव विभोर कर दिया। इस पर भी विपक्ष को राजनीति नजर आने लगी। सवाल किया जाने लगा कि प्रधानमंत्री ने चुनाव के ठीक पहले ऐसा करके क्या संदेश दिया है! तो सवाल यह भी उठा कि इससे पहले 16 बार लोकसभा के ही चुनाव हो चुके हैं तो आज तक देश के किसी प्रधानमंत्री ने उस वंचित समाज के लिए सुध क्यों नहीं ली ! जब प्रधानमंत्री मोदी ने अछूत माने जाने वाले स्वच्छता कर्मियों के पैर पखारे तो तस्वीर देखकर पूरा देश भाव विभोर हो गया ।आंखें नम हो गई । लेकिन मोदी विरोध के स्वर वाले को उस दृश्य ने हिला कर रख दिया। उसमें उन्हें साफ राजनीति नजर आने लगी। जो उनके हर राजनीति पर भारी पर रही थी। मोदी के पैर पखारने की इस राजनीति ने उनकी उस राजनीति की चूले हिला दी, जो जाति और मजहब की राजनीति के गणित का महागठबंधन तैयार कर रहे थे। नरेंद्र मोदी ने कुछ ही महीने पहले हिंदुस्तान के सदन के अंदर कहा था कि कम से कम उनके लिए यह कतई ना सोचा जाए तो उन्हें राजनीति नहीं आती। लोकतंत्र में किसी भी राजनेता के लिए अंतिम लक्ष्य सत्ता हासिल करना होता है। तो सवाल यह है कि जो काम नरेंद्र मोदी ने किया वह काम अब तक दलितों और पिछड़ों के लिए राजनीति करने वाले राजनेताओं ने क्यों नहीं किया ! मायावती, मुलायम सिंह यादव या लालू यादव जैसे नेता दलितों और पिछड़ों की राजनीति करते – करते सुपर सवर्ण खुद बन गए। दलित वहीं के वहीं रह गए । माया,मुलायम या लालू अपने कुनबे संग न सिर्फ अरबों के सामराज्य के मालिक बन गए दलितों और पिछड़े अपने ही लोगों संग अछूत जैसा अपमान जनक व्यवहार करने लगे। मोदी ने सफाई कर्मियों की पैर पखार फिर उसे पोछकर दलितों की राजनीति करने वालों की चूल्हे हिला दी। सफाई कर्मी प्यारेलाल और होरीलाल जैसे पांच सफाईकर्मी को जब यह कहा गया कि प्रधानमंत्री उनसे मिलेंगे और जहां उन्हें प्रधानमंत्री से मिलना था उस जगह रखी बर्तन में जब पानी उन्होंने देखा तो नहीं यह अंदेशा हुआ उन्हें प्रधानमंत्री के पैर धोने का अवसर मिलेगा। फिर वह संकोच इस बात को लेकर करने लगे कि हम तो अछूत हैं लोग हमसे छुआछूत मानते हैं ऐसे में प्रधानमंत्री को हम कैसे छू सकेंगे ! यह बात प्यारे लाल ने मीडिया के कैमरे पर कहा। लेकिन जब उन्हें यह कहा गया कि प्रधानमंत्री स्वयं उनके पांव पखारेंगे तो उनकी आंखों से आंसू आ गए। कुंभ में 5 सुरक्षाकर्मियों के पैर धोकर, फिर उनके पैर पोछकर, शॉल से सम्मानित कर नरेंद्र मोदी ने यह संदेश दिया कि सफाई करने वाले अछूत नहीं होते। आप को स्वच्छता के वातावरण में रहने का अवसर प्रदान करते हैं। इसलिए वह सम्मान के सबसे बड़े हकदार हैं। मोदी की राजनीति पर जवाब देना विपक्ष को भारी पड़ गया है। गंगा तट पर यह दृश्य, कृष्ण और सुदामा की दृष्टि को याद कराने वाला ।था ।जिसमें गरीब सुदामा के पैर राजा कृष्ण को खुद पखारते हैं फिर अपने अंग वस्त्र से पोछते हैं। ठीक उसी तरह मोदी ने संगम में डुबकी लगाई और कुंभ की सफाई में अहम योगदान देने वाले सफाई कर्मियों की पैर धोकर एक बड़ा संदेश दिया । गंगा तट से पीएम मोदी ने संदेश दिया यही हिंदुत्व यही समाजिक समरसता है। यह संदेश देने से कुछ घंटे पहले नरेंद्र मोदी ने देश के लिए आकाशवाणी पर की जाने वाली अपनी 53 में मन की बात की समाप्ति के साथ ही जब यह कहा कि अगली बार मन की बात मई के आखिरी हफ्ते की रविवार को करेंगे। पीएम मोदी के मन के बात की समाप्ति के बाद देश में यह सवाल उठने लगा यह प्रधानमंत्री कितना अहंकारी है, जो यह कहता है कि प्रधानमंत्री वहीं बनेगा। कांग्रेस ने इसके लिए एक विशेष प्रेस कॉन्फ्रेंस की आयोजित किया और कहा प्रधानमंत्री धमकी देता है कि मन की बात करेगा ! लेकिन मोदी ने एक दिन पहले यह संदेश दिया , एक नया नारा दिया ‘ मोदी है तो मुमकिन है’। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के मुखिया का जमीन पर बैठकर सफाईकर्मी के पैर धोने के दृश्य ने पूरी दुनिया को एक बड़ा संदेश दिया है। लेकिन दलितों पिछड़ों की राजनीति करने वालों को इस दृश्य ने झकझोर कर रख दिया। मोदी ने 16वीं लोकसभा में चुनाव जीतने के बाद कहा था ‘सबका साथ सबका विकास’ अब तक देश में जाति के नाम पर और मजहब के नाम पर राजनीति होती रही। 5 साल का मोदी सरकार की कोई भी योजना किसी जाति के लिए, किसी संप्रदाय के लिए कभी साबित नहीं हुई। जन धन योजना से लेकर स्वास्थ्य योजना तमाम योजनाएं, आम भारतीयों के लिए रही। उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में सपा और बसपा के महागठबंधन ने यह संदेश दिया था कि एक तरफ दलितों की राजनीति करने वाली. दूसरी तरफ पिछड़ों और मुस्लिमों की राजनीति करने वाले ने यदि गठबंधन कर लिया तो अब उत्तर प्रदेश जैसे सबसे बड़े राज्य से जहां से सत्ता की सीढ़ी चलती है मोदी के विजय रथ को रोक दिया जाएगा। लेकिन इस तस्वीर ने आम जनता को भाव विभोर किया। उसी तस्वीर ने दलितों और पिछड़ों के नाम पर राजनीति करने वालों की चूल्हे हिला दी । उन्हें लगता है कि स्वच्छता कर्मियों के पैर धोकर मोदी ने सही मायने में विपक्ष को धो दिया है । महा गठबंधन की राजनीति को धो दिया है। मोदी ने महागठबंधन को कितना धोया यह तो चुनाव बाद पता चल जाएगा लेकिन मोदी ने जो तस्वीर पेश कि वो लोकतंत्र के उस सपने को साकार होते देखने जैसा है जहां लोकतंत्र में लोक के राजा होने तस्वीर को पेश किया। दरिद्र में नारायण होने के तस्वीर को साकार किया। Keywords: pm modi,Narendra modi,kumbh, नरेंद्र मोदी, कुंभ,स्वछताकर्मी,सफाईकर्मी, |
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