संदीप देव । आज अपनी मां के 100वें जन्मदिन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अंग्रेजी में लिखे अपने संस्मरण में (PM ने स्वयं ट्वीट किया है) अपने बचपन के एक साथी अब्बास को याद किया है।
प्रधानमंत्री मोदी के पत्र के अनुसार, अब्बास के पिता की मौत हो गई थी, फिर मोदी जी के पिता उसे अपने घर ले आए थे। अब्बास ने अपनी पूरी पढ़ाई मोदी जी के घर में रहकर ही पूरी की। मोदी जी की मां अपने सभी बच्चों के समान ही अब्बास को स्नेह देती थी। ईद पर उनके घर में अब्बास के लिए उसकी पसंद के पकवान बनते थे!
वैसै प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जीवनीकार एस.वी.कामथ व कालिंदी रंडेरी ने ‘विकास शिल्पी नरेंद्र मोदी’ में नरेंद्र मोदी के बचपन के एक मुस्लिम दोस्त का नाम जसूद खान पठान लिखा है। नरेंद्र व जसूद ने पहली से 11 वीं कक्षा तक न केवल एक साथ पढ़ाई कि, बल्कि दोनों एक ही बेंच पर साथ बैठा करते थे।
संभवतः अब्बास और जसूद पठान दो अलग-अलग व्यक्ति हों और दोनों मोदी जी के बचपन के साथी हों। या फिर दोनों एक ही हैं, यह स्पष्ट नहीं है।
अब आज मां के जन्मदिन पर बेटे नरेंद्र मोदी द्वारा लिखे संस्मरण पर आते हैं। प्रधानमंत्री मोदी शायद चाहते हैं कि उनके घर में उनके साथ रहकर पढ़े अब्बास पर खुलकर और खासकर अंग्रेजी मीडिया में चर्चा हो। इसीलिए पत्र अपनी मातृभाषा गुजराती या फिर उनके बोलने की भाषा हिंदी की जगह उन्होंने अंग्रेजी में लिखा है और अब्बास वाले पैरा को उन्होंने बोल्ड कर हाईलाइट किया है।
शायद प्रधानमंत्री चाहते हैं कि उन पर एकतरफा हिंदू हृदय सम्राट की जो छवि चिपका दी गई है, उसके पार भी देखा जाए कि वह एक मानवतावादी, सेक्यूलर और ‘सबका साथ, सबका विश्वास’ में यकीन रखने वाले नेता हैं। उनके जीवन और कार्य को संपूर्णता से देखा जाए न कि आधा-अधूरा काट-छांट कर!
मोदी जी के प्रेरणास्रोत और गुजरात से ही आने वाले मोहनदास करमचंद गांधी जी के बचपन में भी उनके एक प्रिय मित्र शेख माहताब की चर्चा आती है, जिसने गांधी जी को मांस खाना सिखाया था। गांधी जी के पूरे जीवन पर शेख माहताब का असर पड़ा। शेख महताब का गांधी जी के जीवन पर इतना अधिक प्रभाव था कि वह अपनी पत्नी कस्तूरबा पर शक तक करने लगे थे।