जो कहा वो कर दिखाया। जो उम्मीद थी वो पूरी हुई। राष्ट्र के नाम अपने सन्देश में प्रधानमंत्री श्री मोदी ने 500 व 1000 रूपये मूल्य के नोट बंद करने का ऐलान कर काले धन, भ्रष्टाचार एवं आतंकवाद की कमर तोड़ने का काम किया है। हालांकि जो आदतन मोदी सरकार के फैसलों बल्कि इस सरकार के अस्तित्व के ही विरोधी हैं वे जरूर इस फैसले में कमियाँ निकाल रहे हैं अन्यथा इस कदम से देश का हर नागरिक खुश है, संतुष्ट है। यह कदम न केवल भारत की अर्थव्यवस्था में नया अध्याय लिखने जा रहा है बल्कि समाज की सोच और उसके व्यवहार को भी बदलने का काम यह निर्णय करेगा।
जैसे ही इस विषय में घोषणा हुई तो बहुत से लोगों को थैलों में रूपये भर कर खरीददारी करते हुए देखा गया। कुछ लोग स्वर्ण आभूषणों सहित तमाम अन्य वस्तुओं को मुंहमांगे दाम पर खरीदने का प्रयास कर रहे थे। क्या यह इन लोगों की गाढ़ी कमाई का पैसा होगा? क्या अपनी गाढ़ी कमाई का पैसा कोई यूं बदहवास होकर लुटाना चाहेगा? जबकि सरकार ने लोगों की जायज और मेहनत की कमाई की पूर्ण सुरक्षा की गारंटी ली है। इसके लिए सख्त नियम व प्रावधान निर्धारित किये हैं जो दो दिन बाद अमल में भी आ जायेंगे लेकिन बावजूद इसके जो लोग इस फैसले से घबराए हुए हैं आधी रात को भारी भरकम खरीददारी के लिए निकल पड़े जाहिर है उनकी मंशा और नीयत ठीक नहीं है। यही काले धन का एक चेहरा है जो इस फैसले के बाद अब छुप नहीं पायेगा। काले धन के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने वाले, गरीबों के हक़ पर डाका डालने वाले अब छुप नहीं सकेंगे। इस देश की मेहनतकश जनता भी यही चाहती है कि देश के सफेदपोश आर्थिक आतंकवादी बेनकाब हों, दण्डित हों।
बड़े नोट भ्रष्टाचार की सबसे बड़ी वजह बने हुए थे। बड़े नोटों के माध्यम से विभिन्न प्रकार के आसान लेन-देन भ्रष्टाचार को पोषित करने का काम रहे थे। चाहे वह रिश्वत के माध्यम से हो या फिर नगद भुगतान के द्वारा कर चोरी के जरिये। इनमें हवाला कारोबार भी शामिल है जो देश में काली अर्थव्यवस्था का पर्याय बन गया था। माननीय प्रधनमंत्री जी के एक फैसले ने देश की अर्थव्यवस्था के दुश्मनों को संभलने तक का मौका नहीं दिया जिसके पास ईमानदारी और मेहनत का पैसा है उसके साथ सरकार है, व्यवस्था है और तमाम रास्ते भी हैं लेकिन जिन लोगों ने रिश्वतखोरी से, कर चोरी करके और गरीबों का पैसा हड़प कर नोटों के पिरामिड बनाये हैं ऐसे लोगों की जान पर जरूर आफ़त बन आई है और यही इस फैसले की सबसे बड़ी जीत है।
हम कई दशकों से आतंकवाद का दंश को झेल रहे हैं। आतंकवाद; जो देश के निर्दोष नागरिकों के जिंदगियों को छीन रहा है, उन्हें अपाहिज और असहाय बना रहा है, आज हमारे राष्ट्र और उसके अस्मिता के लिए सबसे बड़ा खतरा है। सरकार के इस कदम से उस आतंकवाद और उनके आकाओं को जरूर लकवा मार जायेगा। आतंकवाद अपने संगठित रूप में काले धन और नकली नोटों की दम पर ही चलता है। पाकिस्तान में छप कर अलग-अलग रास्तों से भारत आने वाले ये नकली नोट हमारी अर्थव्यवस्था के लिए घुन का काम काम कर रहे थे। नकली नोट हमारे दुश्मन को ऐसा दोहरा वार करने का मौका दे रहे थे जहाँ एक तरफ वे हमारे नागरिकों का खून बहाते थे वहीँ देश की आर्थिकी को भी खोखला कर रहे थे। अब उन आतंकवादियों के पास नकली नोटों के ढेर में आग लगाकर सर्द मौसम में राहत लेने के अलावा कोई दूसरा उपाय नहीं बचा है।
कई समझदार लोग यह भी शिकायत कर रहे हैं की पहले से क्यों नहीं बताया? क्या ये सवाल वाकई में सवाल होने के मायने रखता है? पहले से क्या बताया जाता कि सरकार इस प्रकार के कदम उठाने जा रही है? क्या ये उन लोगों को डैमेज कण्ट्रोल करने का मौका नहीं देता जो कालेधन, भ्रष्टाचार के अपराधी हैं, जो आतंकवाद को पाल पोष रहे हैं। यह एक ऐसा फैसला है जो इससे बेहतर तरीके से लागू नहीं हो सकता था। माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में यह सरकार बधाई की पात्र है जिसने न केवल यह साहसिक कदम उठाया बल्कि उसे उतने ही साहसिक तरीके से अंजाम भी दिया।
एक सवाल यह भी उठ रहा है की जब 500 और 2000 मूल्य के बड़े नोट बाद में लाने ही थे तो पहले से चल रहे बड़े नोटों को क्यों बंद किया गया? हमें यह समझना चाहिए कि पहले से चल रहे बड़े नोटों को बंद करने का उद्देश्य जहाँ कालेधन, भ्रष्टाचार और आतंकवादियों को फंडिंग को सर्जिकल स्ट्राइक की मानिंद खत्म करना था वहीँ नए नोटों को आधुनिक तकनीक और अभेद सुरक्षा मानकों के साथ नागरिकों की सहूलियत के लिए लाया जा रहा है। 500 और 2000 के नए नोट काले धन के रूप में इन्हें जमा करने वालों का साधन नहीं बन सकेंगे।
जैसा कि प्रधानमन्त्री जी ने कहा कि यह बहुत बड़ा फैसला है, देश की अर्थव्यवस्था और देश के हर नागरिक से जुड़ा हुआ है ऐसे में इसको अमल में लाने के लिए शुरुआत के कुछ दिनों में लोगों को असुविधा का सामना करना पड़ सकता है लेकिन यह देश के व्यापक हित में उठाया गया कदम है और इस कारण अगर हमें कुछ असुविधाएं होती भी हैं तो उन्हें बतौर असुविधा नहीं बल्कि अपने देश के नव निर्माण और उसकी मजबूती में हमारे योगदान की तरह देखना चाहिए। एक व्यक्ति के जीवन में ऐसे अवसर बहुत कम आते आते हैं जब वो जहाँ है, जैसे है उसी स्थिति में अपने राष्ट्र के लिए योगदान दे सकता है।
यह सरकार देश के 130 करोड़ लोगों की उम्मीदों, आकांक्षाओं और उनके सपनों को साकार करने के लिए बनी है, उनकी खुशहाली, तरक्की और बेहतर भविष्य की गारंटी के लिए बनी है और यह हमारे लिए गौरव का विषय है कि हमारी यह सरकार उस दिशा में तेजी से आगे भी बढ़ रही है। यह सरकार समस्याओं को पाल पोष कर उन्हें वोट बैंक बनाने में नहीं बल्कि उन्हें जड़ से समाप्त करने में विश्वास करती है।