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India Speaks Daily > Blog > समाचार > देश-विदेश > जनकपुर के रास्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नेपाल में प्रवेश राजनीतिक रूप से काफी महत्व रखता है।
देश-विदेश

जनकपुर के रास्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नेपाल में प्रवेश राजनीतिक रूप से काफी महत्व रखता है।

ISD News Network
Last updated: 2018/05/11 at 1:06 PM
By ISD News Network 283 Views 10 Min Read
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प्रवीण कुमार कर्ण, जनकपुर, नेपाल। अपने दो दिवसीय नेपाल दौरे के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज जगत जननी जानकी के धाम जनकपुर पहुंचे। मिथिला के राजा जनक की राजधानी जनकपुर में उनका भव्य स्वागत हुआ। इस मौके पर उन्होंने जनकपुर और अयोध्या के संबंधों को नए सिरे से मजबूत किया। इस मौके पर उन्होंने अपने समकक्ष नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के साथ जनकपुर से सीधे अयोध्या के लिए नेपाल-भारत मैत्री बस सेवा की शुरुआत की। इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि राम-जानकी वैवाहिक संबंध के कारण भारत और नेपाल का संबंध प्रेम से जुड़ा है जो हजारों साल पुराना है।

मुख्य बिंदु
* नरेंद्र मोदी ने अपने समकक्ष नेपाल के प्रधानमंत्री के साथ रामायण सर्किट का किया उद्गाटन
* अयोध्या से सीधे जनकपुर को जोड़ने के लिए नेपाल-भारत मैत्री बस सेवा की शुरुआत की
* धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता के साथ ही जनकपुर का रहा है राजनीतिक महत्व

आज सुबह जनकपुर एयरपोर्ट पर पहुंचे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नेपाल के प्रधानमंत्र केपी ओली ने स्वयं स्वगात किया। एयरपोर्ट से दोनों प्रधानमंत्री सीधे जानकी मंदिर दर्शन करने पहुंचे। यहां दोनों नेताओं ने रामायण सर्किट तथा नेपाल-भारत मैत्री बस सेवा का उद्घाटन किया। इस सेवा के तहत आज से जनकपुर से सीधे अयोध्या तक की बस सेवा शुरू हो गई है। इसके बाद दोनों नेता जनकपुर स्थित बारह बीघा के नाम से प्रसिध रंगभूमि मैदान पहुंचे। यहां नरेंद्र मोदी का नागरिक अभिनंदन किया गया।

यहां एकत्रित लाखों लोगों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबोधित किया। मोदी ने अपने संबोधन के दौरान जहां भारत-नेपाल के प्रगाढ़ संबधों के बारे में बताया वहीं नेपाल के विकास में भारत के सहयोग की अपेक्षाओं को भी रेंखाकित किया। अपने संबोधन में मोदी ने कहा कि जब वे कहते हैं सबका साथ सबका विकास तो इसमें केवल अपना देश भारत ही नहीं होता बल्कि पड़ोसी देश भी शामिल होते हैं। उन्होंने कहा कि जब नेपाल का विकास होता वे देखते हैं तो उन्हें बहुत ही खुशी होती है, और आज जब नेपाल तेजी से विकाग की गति पर आगे बढ़ रहा है तो इससे भी भारत सबसे आनंदित है। क्योंकि हमारा रिश्ता ही हजारों साल पुराने होने के साथ ही प्रेम की डोर से बंधा है।

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चूंकि मोदी का नेपाल दौरा दो दिवसीय है इसलिए जनकपुर के दौरे के बाद आज ही वे काठमांडू जाएंगे। वहां दोनों देशों के शासनाध्यक्षों के बीच द्विपक्षीय बैठक होगी। राजनीति के साथ कूटनीति पर चर्चा होगी। काठमांडू से वे शनिवार यानि 12 मई को मुस्तांग की यात्रा पर जाएंगे। मुस्तांग में मोदी मुक्तिनाथ महादेव का दर्शन करेंगे। वहां से फिर वे स्वदेश लौट जाएंगे।

जनकपुर का धार्मिक महत्व

हिंदुओं के सनातन धर्म में जनकपुर का स्थान सर्वोपरि रहा है। त्रेता युग से ही जनकपुर प्रसिद्ध रहा है। जनकपुर मिथिला के राजा जनक की राजधानी रहा है। यह जगत जननी जानकी का मायका है। यहीं पर धरती से मां जानकी प्रकट हुईं थी। यही यह भूमि है जहां मर्यादा पुरुषोत्तम राम का विवाह जानकी से हुआ था। जनकपुर त्रेता युग से ही सीता स्वयंवर से लेकर परशुराम को दिया भगवान शिवा का धनुष और उसके भंग होने का साक्षी रहा है। इसी भूमि पर भगवान परशुराम का क्रोध सदा के लिए राम ने शांत किया था। यह भूमि इतनी पावन है कि कहा जाता है कि यहां कदम रखते ही हर प्रकार का पाप नष्ट हो जाता है।

जनकपुर के दर्शनीय स्थान

जनकपुर का हमेशा से ही धर्म के साथ ऐतिहासिक महत्व रहा है। यहां कई ऐसे दर्शनीय स्थान है जो ऐतिहासिक होने के साथ पूरे हिंदू समाज के लिए आस्था के केंद्र रहे हैं। यहां का जानकी मंदिर सबसे प्रसिद्ध है, इसके साथ राजा जनक की कुल देवी राजदेवी का भी मंदिर है। कहा जाता है कि यहां आने वाले हरेक व्यक्ति के लिए इनका दर्शन करना अनिवार्य है। यहां कई दर्शनीय स्थान हैं। इसी में शामिल है गंगा सागर। गंगा सागर के बारे में कहा जाता है कि इसकी उत्पत्ति भगवान राम के बान से हुई थी। गंगा सागर पर संध्या काल की आरती दर्शनीय होती है। इसके अलावा धनुषा भी यहीं है। धनुषा के बारे में कहा जाता है कि जब राम ने शिव धनुष भंग किया था तो उसका एक टुकड़ा यहीं गिरा था। इसलिए तब से यह धनुषा के नाम से प्रसिद्ध है। जनकपुर से ठीक दो किलोमीटर वह जगह है जहां राम-जानकी का विवाह हुआ था। वह जगह आज भी मणि मंडप के नाम से प्रसिद्ध है।

जानकी मंदिर का इतिहास

मां जानकी मंदिर की स्थापना श्री सुर किशोर दास ने की थी। मान्यता के मुताबिक किशोर दास जानकी को अपनी बेटी मानते थे। विवाह के बाद जब जानकी अयोध्या चलीं गई तो एक दिन उन्हें ख्याल आया कि विवाह उपरांत जानकी अभी तक अयोध्या नहीं आईं, ऐसे में लोग क्या कहेंगे कि कैसे पिता हैं? यही सोच विचार कर किशोर दास जानकी को लाने अयोध्या चल पड़े। पहले बेटी के गांव जाना वर्जित था, यह परंपरा आज भी प्रचलित है, मिथिला में तो आज भी कन्यादान करने वाले बेटी के घर का पानी तक नहीं पीते। इसलिए किशोर दास अयोध्या ना जाकर सरयू नदी के किनारे बैठ गए और हर आने जाने वालों को बेटी सीता और दामाद राम को संदेश पहुंचाने का अनुरोध करने लगे। लेकिन किसी को उनकी बात पर विश्वास ही नहीं होता था कि उनकी बेटी जानकी हो सकती है और दामाद स्वयं भगवान राम। लोग उन्हें पागल समझ उनकी बात अनसुनी कर दी।

ऐसे करते कई दिन और महीने बीत गए। एक रात उन्हें राम-जानकी के दर्शन हुए, लेकिन भगवान राम ने कहा कि अब हम दोनो इस रूप में वहां नहीं जा सकते, इसलिए आपको वहां हम दोनों की मूर्तियां ही ले जानी होगी। किशोर दास सहर्ष दोनों की मूर्तियां लेकर मिथिला लौट आए। उसी समय उन्होंने जनकपुर में एक मदिर बनवाकर उसमें राम-सीता की मूर्ति की स्थापना कर दी। तभी से उस मंदिर का नाम जानकी मंदिर पड़ गया।

लेकिन आधुनिक जानकी मंदिर का निर्माण टीकमगढ़ की महारानी ने करवाया था। कहा जाता है कि उन्हें कोई संतान नहीं थी। एक दिन जानकी मंदिर आकर संतान की मन्नत मांगी और मन्नत पूरी होने पर नौलखा मंदिर बनाने का संकल्प किया था। उन्हें संतान की प्राप्ति हुई, इसलिए उन्होंने अपनी मन्नत पूरी करने के लिए उन्होंने वहां नौलखा मंदिर का निर्माण कराया।

जनकपुर दौरे का आध्यात्मिक महत्व

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दौरे को दौरान जनकपुर से ही रामायण सर्किट का उद्घाटन किया है। इस योजना के अंतर्गत जहां-जहां भगवान राम के चरण पड़े थे उन जगहों को रेल मार्ग से या फिर सड़क मार्ग से जोड़ा जाएगा। इसी योजना के प्रथम चरण के तहत जनकपुर से अयोध्या को जोड़ने के लिए चार लेन वाली सड़क बनाने की घोषणा की गई है। इसी के तहत भारतीय रेलवे जनकपुर रेल बिस्तर पर काम कर रहा। इस परियोजना के पूरा होते है जनकपुर से अयोध्या सीधी ट्रेनें चलेंगी।

जनकपुर दौरे का राजनीतिक महत्व

धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के साथ ही जनकपुर राजनीतिक रूप से भी काफी महत्वपूर्ण है। जनकपुर नेपाल में हुए मधेशी आंदोलन का भी केंद्र रहा है । भारत में रहने वाले मधेशी नेपाल के मधेशी आंदोलन के समर्थक रहे हैं । भारत नेपाल के संविधान संशोधन की जरूरत पर बल देता रहा है । मधेश के रास्ते मोदी का नेपाल में प्रवेश राजनीतिक रूप से काफी महत्व रखता है। नेपाल और भारत में रोटी-बेटी का रिश्ता जमाने से रहा है। चीन के साथ नेपाल की बढ़ती दोस्ती के बीच मोदी का यहां आना काफी राजनितक महत्व रखता है। दरअसल मोदी जहां मधेशी और सरकार के बीच सामंजस्य बैठाना चाहते हैं वहीं मधेशियों को यह संदेश भी देना चाहते हैं कि भारत उनके साथ है।

URL: Pm Narendra Modi In Janakpuri

Keywords: PM Narendra Modi In Nepal, Janakpur-Ayodhya Direct Bus Service, Janaki temple, Hindu goddess Sita, Janakpur and Ayodhya – the two sacred cities for Hindus, pm modi visit to foreign countries, Janakpur, Ayodhya, Goddess Sita, Hindus cities

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ISD News Network May 11, 2018
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