विपक्षी पार्टियों द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर हुई बहस का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपीए सरकार पर जमकर हमला बोला। मोदी ने अपने संबोधन के दौरान कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि एनपीए का मकड़जाल यूपीए की करतूत है। प्रधानमंत्री ने सोनिया गांधी नियंत्रित यूपीए सरकार पर भूमिगत लूट व्यवस्था स्थापित करने का आरोप लगाया। उन्होंने प्रश्न पूछने के लहजे में कहा कि कहां किसी योजना की उचित जानकारी के बैंक ऋण देता है। लेकिन यूपीए सरकार के दौरान बिना किसी योजना की जानकारी के बैंक से लोन मिल जाता था। मोदी ने इसका जन्मदाता फोन बैंकिंग को बताया। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार ने फोन बैंकिंग व्यवस्था जनता के लिए नहीं बल्कि भूमिगत लूट के लिए की थी।
मुख्य बिंदु
* पिछले साठ साल में देश वासियों को करीब 18 लाख करोड़ रुपये का ऋण दिया गया है
* यूपीए सरकार ने अपने 6 साल के कार्यकाल में 34 लाख करोड़ रुपये के ऋण बांट दिए
* फोन बैंकिग की वजह से ही देश के अधिकांश बैंक दिवालिया होने के कगार तक पहुंच गए थे
मोदी ने कहा कि यूपीए सरकार 2009 लोकसभा चुनाव से पहले साल 2008 में फोन बैंकिग की शुरुआत की थी। कांग्रेस ने सोचा कि यह साल बैंकों को खाली करने का साल है। इसलिए उस साल जितना हो सका कांग्रेस ने देश के बैंकों को खाली कर दिया। जब कांग्रेस 2009 में दोबारा सत्ता में आई तब तक उसे इस लूट की लत पड़ चुकी थी। इसलिए उसने इस व्यवस्था को 2009 से 2014 तक जारी रखा। मोदी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस जब तक सत्ता में रही इस लूट को अंजाम देती रही। उन्होंने कहा कि अब तक जितने लोन दिए गए सभी के साक्ष्य हैं। मोदी ने कहा कि पहले साठ सालों में यानि 2008 से पहले तक करीब 18 लाख करोड़ रुपये ऋण दिए गए। जबकि 2008 से 2014 के बीच यह रकम बढ़कर 52 लाख करोड़ रुपये हो गई। कहने का मतलब पिछल छह साल में 34 लाख करोड़ रुपये ऋण बांटे गए। मोदी ने कहा कि इंटरनेट बैंकिंग तो बाद में शुरू हुई उससे पहले कांग्रेस फोन बैंकिंग शुरू करवाई थी। उन्होंने कहा कि फोन बैंकिंग का ही दुष्परिणाम था कि पूरी बैंक व्यवस्था एनपीए (गैर लाभकारी संपत्ति) के मकड़जाल में फंस गई।
मोदी ने अपने जवाब के दौरान उस समय की व्यवस्था पर रोशनी डालते हुए कहा कि उस समय की यह व्यवस्था थी कि फोन जाते ही लोन दे दिया जाता था। न योजना की जांच होती थी न उसकी सत्यता जांची जाती थी। बाद में जब लोन चुकाने का समय आता था तो फिर लोन चुकाने के नाम पर लोन दिया जाता था। और प्रक्रिया चलती रहती थी। और अंत में एक समय ऐसा आया कि ऋण देने वाले सारे बैंक एनडीपी के जाल में फंसते चले गए।
बैंकों के एनपीए बढ़ने का दूसरा कारण प्रधानमंत्री ने कस्टम ड्यूटी कम करने को बताया। यूपीए सरकार ने कस्टम ड्यूटी कम कर घरेलू उत्पाद को तबाह कर दिया। क्योंकि जैसे आयात बढ़ा घरेलू उत्पाद कम होता चला गया। उधर बैंक आयात करने वालों के बिल के लिए भी ऋण देना शुरू कर दिया था। इससे जहां आयात बिल का दबाव बढ़ा वहीं पूंजीगत वस्तुओं पर प्रभाव पड़ना शुरू हो गया। वहीं बिना जांच की योजना पास होती चली गई। कंपनी की हिस्सेदारी भी बैंक से लोन लेकर चुकाए जाने लगी। और इसका नतीजा ये हुआ कि अधिकांश बैंक दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गया। मोदी ने तो कांग्रेस और यूपीए सरकार पर ‘जयंती टैक्स’ लगाने का कटाक्ष किया।
मालूम हो कि जब जयंती नटराजन पर्यावरण मंत्री थी तो एक टैक्स लगा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस पर प्रहार करते हुए कहा कि यूपीए सरकार ने देश की तिजोरी खाली कर अपनी तिजोरी भरने के लिए ही यह टैक्स लगाया था। गौर हो कि जब जयंती को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ तो उन्होंने इशारे में ही सही राहुल गांधी का भी नाम बताया था।
URL: PM Narendra Modi speaks on banking system during upa govt
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