आठ साल पहले छत्तीसगढ़ स्थित दुर्ग प्रवास के दौरान स्वदेशीवाद तथा स्वदेशी आंदोलन के प्रवल प्रवक्ता राजीव दीक्षित की अकस्मात की मौत हो गई थी। मौत होने के बाद बिना पोस्टमार्टम कराए उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस घटना के बाद उनकी मौत पर संदेह गहराने लगा। दीक्षित की मौत पर संदेह तब और गहरा गया जब उनके परिवार वालों ने इसके पीछे बाबा रामदेव का हाथ होने का आरोप लगाया। हालांकि राजीव दीक्षित की मौत छत्तीसगढ़ स्थित दुर्ग में हुई थी, जबकि उस समय बाबा रामदेव हरिद्वार में थे। लेकिनअब जब उनकी मौत की जांच का आदेश प्रधानमंत्री कार्यालय ने दे दिया है तो अब इस मामले में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।
राजीव दीक्षित की संदेहास्पद स्थिति में मौत हो गई थी। हालांकि उस समय बिना पोस्टमार्टम कराए ही उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया था। परिवार वालों की मांग को देखते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने दुर्ग पुलिस को इस मामले की जांच करने का आदेश दिया है।
गौरतलब है कि दीक्षित स्वदेशी उत्पादों के प्रणेता और स्वदेशीवाद के प्रवल प्रवक्ता। वे स्वदेशी के समर्थन तथा विदेशी उत्पादों के खिलाफ देश भर में घूम-घूम कर व्याख्यान देते थे।
30 नवंबर 1967 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ स्थित नाह गांव में जन्मे राजीव दीक्षित 5 जनवरी 2009 को भारत स्वाभिमान आंदोलन का गठन किया था। इस आंदोलन के जरिए उन्होंने देश के लोगों को स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग के लिए प्रेरित किया। बाद में उन्होंने बाबा रामदेव के साथ मिलकर विदेशी कंपनियों के खिलाफ अपना अभियान तेज किया था।
इससे वह बहुराष्ट्रीय कंपनियों के निशाने पर आ गए थे। कहा जाता है कि कि मौत के बाद उनका शरीर नीला पड़ गया था। इसके बाद भी पोस्टमार्टम नहीं कराया गया। इसलिए उनकी मौत पर सवाल उठना लाजिमी था। PMO के इस कदम को स्वदेशीवाद के प्रबल समर्थक एक अच्छी शुरुआत बता रहे हैं।
URL : pmo ordered to investigate the case of rajiv dixit death!
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Rajiv bhai was a motivational speaker. He gives nice speech.his death is the loss of the nation.
Thanks a lot for sharing such a nice information.
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