
राजनीति, जनमानस और कुचक्र
राजीव नांदल। राजनीति वह पाठशाला है जहाँ मनुष्य कितना भी पढ़ ले सदा छात्र ही रहता है। इस पाठशाला में कोई मुख्य अध्यापक नहीं होता। जहाँ छात्र यह मान लेता है कि अब वह ज्ञाता हो चुका है वही से उसके उत्तरार्द्ध के आरम्भ शुरुआत हो जाती है।
चुनाव हमेशा दो ही मुद्दों पर होता है। पहला “धर्म” और दुसरा “अर्थ“। तीसरा या चौथा, कोई मुद्दा नहीं होता। राजनीति की समझ होना और राजनीति करना, दोनों अलग है। जहाँ राजनीति की समझ होगी वह व्यक्ति कुचक्र में नहीं फंसेगा और वह स्पष्ट रूप से बातों को समझ पायेगा। लेकिन जहाँ राजनीतिक समझ का अभाव होगा, वहां कुचक्र में फंसने से कोई भी रोक नहीं सकता।
जनमानस को इस कुचक्र में धकेलने के लिए आजकल सबसे ज्यादा प्रयोग सोशल मीडिया का हो रहा है। इस तरह के वीडियो आते है जहाँ मतलब की बात को उठाकर, जहाँ एक राजनीतिक दल को फायदा या नुक्सान हो चलाया जाता है। इन वीडियो को हम एक दूसरे को चिढ़ाने या मज़े लेने के लिए शेयर करते है। इससे ना सिर्फ भीतरी द्वेष उत्पन्न होता है बल्कि विभाजन की रेखा भी खींच जाती है।
किसी भी बात को किस सन्दर्भ में कहा गया है यह हम तभी जान पाएंगे जब हमने पूरा उसको पूरा सूना हो। एक उदाहरण से समझते है। ईसाई मत के प्रचारक जब बाइबिल में दानव कौन है को सिद्ध करने के लिए भागवत गीत का प्रयोग करते है। वह लोगों को बताते है कि गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि “मैं ही दानव है” लेकिन वह यह नहीं बताता कि भगवान श्री कृष्ण ने ठीक इससे पहले यह भी कहा है कि “मैं ही भगवान हूँ”। इस तरह अपने हित को सिद्ध करने के लिए वाक्य को तोड़कर अपने हित के लिए प्रयोग किया जाता है।
इस तरह वाक्य को तोड़कर अपने हित के लिए प्रयोग करके एक कुचक्र तैयार होता है जिसमें जनमानस फंसता चला जाता है। आज भी जनमानस इस कुचक्र में फंसा हुआ है जहाँ वह राजनीति की पाठशाला के मुख्य अध्यापक बनने का स्वप्न देखता रहता है।
हमारे पास आमोद-प्रमोद के अलग-अलग साधन उपलब्ध है। इन कुचक्रों में फंसकर हम अपने लिए सिर्फ तनाव और एक दूसरे के प्रति द्वेष भावना ही उत्पन्न करते है। इन कुचक्रों से अपने-आप को बचाने के लिए अपनी समझ विकसित करें और बगैर यह जाने की कौन सी बात किस सन्दर्भ में और कहाँ कही गयी है और उसके पीछे उद्देश्य क्या है, किसी भी मित्र या परिजन के साथ साझा करने से बचें। यह हमें तनाव से भी बचाएगा और हमारे बीच एक परस्पर प्रेम की भावना बनी रहेगी और जो विभाजन की एक रेखा हमारे बीच खींची जा रही है, वह नहीं खींचेगी। अपने परिवार के साथ समय बिताएं।
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