पंडित नेहरू को एक विचारक के रूप में जिस प्रकाशक ने स्थापित किया था, वही देवदत्त पटनायक को भी स्थापित कर रहा है, आप आंखें कब खोलेंगे?
वामपंथ पहले अपने टूल को एक लेखक-विचारक के रूप में स्थापित करता है, फिर उसके मार्फत एजेंडा सेट करता है! कल मैंने ‘पॉप माइथोलॉजिस्ट’ देवदत्त पटनायक पर एक पोस्ट लिखा। खुशी है कि ज्यादातर लोगों ने इसका समर्थन किया! लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें यह नहीं लगता कि देवदत्त पटनायक वामी-मिशनरी साजिश का हिस्सा है! यह उनकी गलती नहीं है, बल्कि वामी-मिशनरी अपना जाल ऐसे बुनते हैं कि साधारण जन को इसका पता ही नहींं चलता! चलिए एक अन्य उदाहरण से समझाता हूं और जिस पर मैंने विस्तार से मेरी पुस्तक ‘कहानी कम्युनिस्टों की’ में प्रकाश डाला है, जो विश्वपुस्तक मेला, प्रगतिमैदान, दिल्ली में उपलब्ध है!
पंडित नेहरू ने कांग्रेस में आने से पहले ही अपनी आत्मकथा लिख दी थी! हुआ न आश्चर्य! कायदे से तो जब उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में अपना एक कार्यकाल पूरा कर लिया था, तब आत्मकथा लिखना चाहिए था! लेकिन उन्होंने तो आजादी के आंदोलन में भाग लेने से पहले ही इसे लिख दिया! यानी बिना किसी उपलब्धि के आत्मकथा आ गयी! आखिर क्यों?
न सिर्फ आत्मकथा, बल्कि उनकी लगातार तीन पुस्तकें आयी.. और इसका प्रभाव यह पड़ा कि नेहरू एक विचारक के रूप में पैराशूट की तरह कांग्रेस में उतार दिए गये! आप जानते हैं नेहरू को पहली बार कांग्रेस का अध्यक्ष बनवावे के लिए मोतीलाल नेहरू ने महात्मा गांधी को धमकी दी थी? पत्रों के जरिए पूरा सबूत मेरी किताब में है!
हां तो, ब्रिटेन का एक वामपंथी पब्लिशर ही नेहरू को कांग्रेस में घुसाने के लिए किताबों के जरिए यह खेल खेल रहा था! उस पब्लिकेशन हाउस का सह संस्थापक नेहरू के एक बड़े गहरे मित्र थे, जो उस वक्त दुनिया के घोषित कम्युनिस्टों में से एक थे! आप जानते हैं, वह बड़ा पब्लिकेशन हाउस भारत में एक कम्युनिस्ट दंपत्ति के सहयोग से स्थापित हुआ और उसका लक्ष्य भारत में अपने विचारक पैदा करने का रहा है? कम्युनिस्टों के उस पब्लिकेशन हाउस ने ही देवदत्त पटनायक को भी स्थापित किया है, भारतीय इतिहास, संस्कृति और प्रतीकों को झुठलाने के लिए! शॉक लगा?
मैं बहुत बारीकी से दुनिया के कम्युनिस्ट-मिशनरी गतिविधियों को पढने और समझने की कोशिश कर रहा हूं! तभी सरल भाषा में कम्युनिस्टों पर तीन पुस्तकों की श्रृंखला का मन बनाया ताकि जो मैं देख और समझ रहा हूं, वह केवल मुझ तक सिमट कर न रह जाए! आगे आप लोगों की मर्जी, लेकिन मैं राष्ट्र और हिंदू धर्म के खिलाफ काम करने वालों के प्रति आंखें मूंद कर नहीं रह सकता हूं।
आप सभी राष्ट्रवादियों से विनती करता हूं, जागिए और जगाइए!