जो मुझे व सारे देश को दिखाई दे रहा है, वह देश के सूचना व प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से क्यों चूक रहा है। हम साफ़ देख पा रहे हैं कि तेज़ी से आगे बढ़ते एक चैनल को रोकने के लिए जावड़ेकर जी का सिस्टम ही काम पर लग गया है। मीडियाई स्वतंत्रता सारे चैनलों के लिए बरक़रार है लेकिन एक चैनल को वे स्वतंत्रता नहीं देना चाहते हैं।
बार्क के नियम बदला जाना, मंत्री जी का टीआरपी युद्ध में विशेष रुचि लेना दिखा रहा है कि देश के सूचना-प्रसारण मंत्री एक विशेष गुट के हाथ में खेल रहे हैं और सरकार को इस बारे में कुछ पता नहीं है। शीर्ष पदों पर बैठे लोगों के साथ एक ही समस्या होती है कि वे एक समय आने पर आमजन से कट जाते हैं।
उनका जनता से सीधा संपर्क कम हो जाता है। यही कारण है कि प्रकाश जावड़ेकर का ज्वलंत विरोध केंद्र को दिखाई नहीं दे रहा है। शुक्रवार को भारतीय प्रेस की स्वतंत्रता पर महाराष्ट्र सरकार ने बड़ा काला धब्बा लगा दिया।
तेज़ी से ये खबर फैली कि महाराष्ट्र विधानसभा ने अर्नब गोस्वामी के घर दोपहर 2:50 बजे नोटिस चिपकाया और उनको दस मिनट बाद तीन बजे विधानसभा में हाजिर होने के लिए कहा। नोटिस चिपकाने वाले को भी उस महानगर में स्थित विधानसभा भवन तक पहुँचने में एक घंटा लगा होगा।
मज़े की बात ये कि मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है और ऐसे समन के नोटिस नियमानुसार अर्नब गोस्वामी को नहीं भेजे जा सकते थे। क्या प्रेस की आजादी पर हुए इस असंवैधानिक आक्रमण पर प्रकाश जावड़ेकर ने संज्ञान लिया। वे शुक्रवार को चिराग पासवान की पार्टी को वोटकटुआ बोल रहे थे।
ठीक है, उनको स्वतंत्रता है कि अपनी पार्टी को सहयोग देने वाले बयान दे लेकिन शुक्रवार को ही महाराष्ट्र विधानसभा ने अर्नब को नोटिस भेजा था। प्रकाश जावड़ेकर जिस विभाग के मंत्री हैं, ये मामला उसी विभाग का था लेकिन वे नहीं बोले। कुछ दिन पूर्व वे बोले थे कि बार्क की रेटिंग को नियंत्रित करने की आवश्यकता है।
उसके कुछ दिन बाद ही खबर आती है कि अब बार्क की रेटिंग हर सप्ताह प्रकाशित नहीं हो सकेगी। देश को आसानी से समझ में आ गया कि केबीसी, बिग बॉस और कपिल शर्मा के ढहते किलों को बचाने के लिए ये नियम लाया गया है। जब तक आजतक जैसे चैनल और बिग बॉस जैसे कार्यक्रम रेटिंग में टॉप पर थे, मंत्री जी को नियम बदलने की आवश्यकता नहीं पड़ी थी।
जब सुशांत सिंह राजपूत इफेक्ट के कारण चैनलों का बहिष्कार होने लगा तो प्रकाश जावड़ेकर सक्रिय हो जाते हैं। हम समझते हैं कि उन पर मनोरंजन बाजार का गहरा दबाव है कि वे ऐसा करें। आज रिपब्लिक भारत को सूचना व प्रसारण मंत्रालय का सहयोग चाहिए, नहीं तो भविष्य में राजनीतिक पार्टियां उसकी हत्या कर डालेगी।
इसकी कोशिशें अभी से शुरु भी कर दी गई है। प्रकाश जावड़ेकर एक बयान उद्धव सरकार के लिए क्यों नहीं जारी कर पा रहे हैं कि मीडिया पर हमले बंद करो। उन्हें ऐसा करने से कौन रोकता है। प्रधानमंत्री को जावड़ेकर से स्पष्ट प्रश्न करना चाहिए और इस मामले में उनकी संदिग्ध भूमिका की जाँच होनी चाहिए।
जनता इस समय केंद्र सरकार से अपेक्षा कर रही है कि एक न्यूज़ चैनल पर असंवैधानिक हमले को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दे। केंद्र को सोचना चाहिए कि शरीर का सड़ा-गला अंग तुरंत काटकर फेंक देना चाहिए, नहीं तो बाकी का शरीर भी सड़ने का खतरा बना रहता है।
संदीप जी एचएम आप से पूर्ण सहमत है माननीय प्रधानमंत्री जी आप से नम्र नवेदन है कि प्रकाश जावड़ेकर जी को निर्देशित करे कि संज्ञान ले इस मामले में ।
धन्यवाद जी
Must terminate this gaddar from mantri pad