फिल्म अभिनेता प्रकाश राज काफी दिनों से भाजपा के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोद और अमित शाह के खिलाफ बोलते रहे हैं। लेकिन कर्नाटक विधानसभा के लिए होने वाले मतदान की तारीख 12 मई को नजदीक आते ही एक शगूफा छोड़ा है। उन्होंने नरेंद्र मोदी का खौफ दिखाते हुए कहा है कि जब से उन्होंने मोदी के खिलाफ बोला है उन्हें बालीवुड में काम मिलना बंद हो गया है। लेकिन प्रकाश राज शायद ये भूल गए कि उनका यह बयान बालीवुड के गाल पर करारा तमाचा है। ताज्जुब की बात तो ये है कि ये करारा तमाचा खाकर भी बालीवुड के दूसरे कलाकार चुप क्यों हैं? क्या देश के खिलाफ फिर या मोदी के खौफ को विस्तारित करने की उनकी कोई चाल तो नहीं?
मुख्य बिंदु
* अलग पहचान के लिए प्रसिद्ध बॉलीवुड को अपने दामन के दाग को धोना चाहिए
* ‘मोदी के खौफ’ को फैलाकर उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने की है साजिश
जब केंद्र सरकार ने गजेंद्र चौहान को फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया का अध्यक्ष बनाया तो संस्थान के छात्र समेत पूरा बालीवुड केंद्र के फैसले के विरोध में खड़ा हो गया था। जो बॉलीवुड देश का सबसे बड़ा सेक्युलर होने के नाम से प्रसिद्ध है। प्रकाश राज ने आज अपने बयान से उसी बॉलीवुड के गाल पर करारा तमाचा मारा है। सवाल उठता है कि बॉलीवुड में अनगिनत नरेंद्र मोदी विरोधी हैं। वो भी छिपकर नहीं सरेआम विरोध करते हैं, कई सितारों ने तो भाजपा के खिलाफ चुनाव भी लड़ा है। इसका पूरा इतिहास भी है। पुराने दौर की बात तो दूर इस दौर में भी कई धुर विरोधी हैं?
हाल ही में आमिर खान ने तो एक टीवी डिबेट के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु चतुर्वेदी को सरेआम चुनौती देते हुए पूछा था कि आपकी पार्टी जिस राज्य में सत्ता में है वहां सोशल मॉनिटरिंग की व्यवस्था लागू होगी की नहीं। ये बात दीगर है कि आमिर खान के इस सवाल से ही जाहिर होता है कि वे स्वयं सोशल मॉनिटरिंग से अनभिज्ञ हैं। अगर सोशल मॉनिटरिंग के बारे में जानते होते तो ये सवाल ही नहीं करते। मुद्दा ये नहीं है मुद्दा ये है कि सरकार या मोदी के विरोध करने की वजह से उन्हें तो काम मिलना बंद नहीं हो गया? जितने सितारे भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़े उन्हें तो काम करना नहीं बंद हुआ। प्रकाश राज को ही काम मिलना क्यों बंद हुआ? यहां सवाल यह भी महत्वपूर्ण नहीं है सवाल इससे ज्यादा महत्वपूर्ण ये है कि क्या वाकई में प्रकाश राज को मोदी विरोध के कारण काम मिलना बंद हुआ है? प्रश्नवाचक चिन्ह यहां है।
क्योंकि जब हमारा इतिहास ये दिखाता है कि किसी के विरोध से किसी को काम मिलना बंद नहीं हुआ है तो फिर प्रकाश राज यह तमाशा क्यों कर रहे हैं? तमाशा वो इसलिए कर रहे हैं कि मोदी को अधिनायकवाद का नायक साबित किया जा सके। ये लोग तो यही खेल पिछले चार सालों से खेलते आ रहे हैं, ताकि किसी तरह पूरे देश में विशेषकर अल्पसंख्यकों में मोदी के खौफ को फैलाया जाए? इसलिए तो पूरा बॉलीवुड भी अपने गाल पर झन्नाटेदार चांटा खाने के बावजूद चुप बैठा है। क्योंकि इस साजिश में वह भी शामिल है। नहीं तो ऐसे कैसे हो सकता है कि जिसके अस्तित्व और मान पर ही चोट किया गया हो लेकिन वह मौन रह जाए?
प्रकाश राज ने मोदी को बदनाम करने का वही रास्ता अख्तियार किया है जो रास्ता रवीश कुमार, एनडीटीवी के पत्रकार क्यों! अब तो सेलिब्रिटी कहिए ने यह कहते हुए चुना था कि पूरी केंद्र सरकार उसकी नौकरी के पीछे पड़ी हुई है। जबकि वह मजे से नौकरी कर रहा है, लेकिन बीच-बीच में बोलता रहता है कि केंद्र सरकार मेरी नौकरी के पीछे पड़ी हैं क्योंकि वह मुझसे डर गई है। हो सकता है प्रकाश राज कर्नाटक के विधानसभा चुनाव के दौरान मोदी की छवि को बदनाम करने के लिए ‘पत्रकार गैंग’ के कहने पर यह शगूफा छोड़ा हो!
प्रकाश राज ने अपने बयान से बॉलीवुड के अस्तित्व और मान पर जो दाग लगाया है उसे साफ करने के लिए बॉलीवुड को आगे आकर उसकी असलियत बतानी चाहिए। उसे बताना चाहिए कि बालीवुड में ही क्या सच्चे लोगों के लिए मोदी का खौफ कहीं नहीं है। और प्रकाश राज को एक तो काम मिलना बंद नहीं हुआ है क्योंकि बालीवुड का यह इतिहास ही नहीं रहा है। और अगर काम मिलना बंद भी हुआ है तो उसके लिए उसका विरोध नहीं वह खुद जिम्मेदार है।
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