संदीप देव :-
हिंदू मंदिरों पर सरकारी कब्जे का नतीजा देखिए! क्रिश्चियन मुख्यमंत्री (पूर्व) जगन मोहन रेड्डी के शासन में तिरुपति बालाजी के भक्तों को प्रसाद में पशुओं (क्या पता गाय की भी हो) की चर्बी मिलाकर बांटा जा रहा था ताकि हिंदुओं का धर्म भ्रष्ट हो! इसका खुलासा आंध्र के वर्तमान मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने किया है।
कारतूस में चर्बी मिलाने जैसी बात पर मंगल पांडेय ने 1857 की क्रांति कर दी थी, लेकिन आज के हिंदुओं को कोई फर्क ही नहीं पड़ता! यही कारण है कि सरकारी व्यवस्था द्वारा हिंदुओं का सर्वाधिक दोहन हो रहा है। आज हिंदुओं के लिए विश्व में एक भी देश नहीं है, यह हिंदुओं की अपने धर्म के प्रति उदासीनता और विधर्मियों जैसे आचरण के कारण ही है!
मंदिर सरकारों के नियंत्रण से मुक्त होने ही चाहिए ताकि सनातन धर्म में ‘सेक्युलर’ (असल में प्रो-अब्राहमिक) सरकारों की दखलंदाजी बंद हो! जब मस्जिद, चर्च और गुरुद्वारों पर सरकारों का नियंत्रण नहीं है तो अकेले मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण क्यों? हिंदुओं के साथ उसके ही देश में इतना निकृष्ट व्यवहार क्यों?
शास्त्र स्पष्ट कहते हैं:- धर्मो रक्षति रक्षित: अर्थात तुम धर्म की रक्षा करोगे तो ही तुम्हारी रक्षा होगी।