निर्लज्जों को कभी लाज नहीं आती। यह वही प्रशांत भूषण है जो मोदी सरकार द्वारा आलोक वर्मा को सीबीआई के निदेशक बनाने के विरोध में कोर्ट तक पहुंच गया था, लेकिन वहीं आज उनकी पैरवी करने कोर्ट में खड़ा है। प्रशांत भूषण ही नहीं बल्कि कॉमन कॉज नाम के एक एनजीओ (NGO) ने भी आलोक वर्मा को सीबीआई का निदेशक बनाए जाने का पुरजोर विरोध किया था। पिछले साल की तो बात है जब प्रशांत भूषण ने आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक बनाए जाने के विरोध में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, और उसके पीछे कॉमन कॉज एनजीओ (NGO) ने उसका सहयोग किया था लेकिन लेकिन एक ही साल बाद सत्ता के लालच में आज वे दोनों उनकी पैरवी में खड़े हैं। उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट सत्ता के इस खेल पर भी ध्यान दे।
मुख्य बिंदु
* पिछले साल आलोक वर्मा के सीबीआई निदेशक बनाए जाने पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था
* आज सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा की बलात छुट्टी को चुनौती देने सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है, आखिर माजरा क्या है?
Big day in SC today. People who opposed Alok Verma’s appointment as CBI Director are suddenly in love with him. Last year they approached SC to oppose him this time same people want to protect him. Hope Supreme Court will see through the power games.
— Sudhir Chaudhary (@sudhirchaudhary) October 26, 2018
जो खेल प्रशांत भूषण खेल रहे हैं वह बिना स्वार्थ के नहीं खेल सकते हैं। नहीं तो ऐसे कैसे हो सकता है कि जो व्यक्ति पिछले साल आलोक वर्मा की नियुक्ति के खिलाफ कोर्ट गया था आज उनकी बलात छुट्टी को कोर्ट में चुनौती देने पहुंच गया है। प्रशांत भूषण को कोर्ट पहुंचने से पहले लोगों को यह बताना चाहिए कि आखिर वह आलोक वर्मा के साथ मिलकर मोदी सरकार के खिलाफ कौन सा षड्यंत्र रच रहा है?
The NGO which challenged Alok Verma’s appointment as CBI director last year is now challenging his ‘forced leave’. #Fact
— Manak Gupta (@manakgupta) October 26, 2018
URL: Prashant Bhushan opposed appointment of alok verma as cbi director now stand with him
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