अर्चना कुमारी। सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई । याचिका में सवाल उठाया गया है कि क्या मृत्यु पूर्व रिकॉर्ड किए गए वॉइस या वीडियो मैसेज को मृत्युपूर्व बयान माना जा सकता है या नहीं।
याचिका में राजस्थान हाईकोर्ट के उस फैसले को भी चुनौती दी गई है ,जिसमें हाईकोर्ट ने राजस्थान में ऑनर किलिंग के मामले में कोर्ट की देखरेख में जांच कराने या फिर सीबीआई जांच की मांग को खारिज कर दिया था।
याचिका उमा पालीवाल ने दायर की है। बताया जाता है 27 मई 2022 को उदयपुर के झल्लारा में एक मामला दर्ज किया गया था। जिसमें हत्या, सबूत मिटाने और आपराधिक साजिश रचने के आरोप लगे थे।
याचिकाकर्ता विशाखा संगठन में वरिष्ठ अधिकारी हैं और उन्हीं के संगठन में काम करने वाली एक युवती ने अपनी पसंद से शादी करने के लिए अपने ही परिजनों द्वारा हत्या की आशंका जताई थी।
युवती के परिजनों ने 10 मई 2022 को बुरी तरह से पीटा था, जिसके अगले दिन युवती अपने कार्यस्थल पर मृत पाई गई थी। मरने से पहले युवती ने एक वीडियो मैसेज रिकॉर्ड कर उमा पालीवाल को भेजा था, जिसमें हत्या की आशंका जताई थी।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि युवती की हत्या के मामले में पुलिस ने जांच में खानापूर्ति कर मामले को निपटा दिया है और चार्जशीट में सिर्फ पीड़िता की मां को आरोपी बनाया है।
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में सवाल उठाया है कि क्या मौत से पहले रिकॉर्ड किए गए वॉइस या वीडियो मैसेज को मृत्यु पूर्व बयान माना जा सकता है। साथ ही राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा मामले की सीबीआई जांच की मांग को खारिज करने को भी चुनौती दी है। इस बारे में सुनवाई होने वाली है