यौन कुंठित पुरुषों से जब राष्ट्रपति की बेटी तक सुरक्षित नहीं है, तो किसी निर्भया आदि की क्या हैसियत? मां-बाप सही उम्र में अपने बच्चों को महिलाओं का सम्मान करना नहीं सिखा पाते, सही ढंग से सेक्स एजुकेशन नहीं दे पाते, लेकिन उम्र के एक पड़ाव पर स्त्री और यौन तो जीवन में आना ही है- इसलिए जब राह सही नहीं दिखता तो गलत की ओर मुड़ ही जाता है!
यौन कुंठित लोगों की मानसिकता के कई अध्ययन बताते हैं कि ऐसे लोगों का बचपन में सही समाजीकरण नहीं हुआ था! आज के तेज इंटरनेट व मीडिया के युग में आप बच्चों से कुछ नहीं छिपा सकते, इसलिए अच्छा है कि उसके गलत राह पकड़ने से पहले मां-बाप उसे सही राह दिखा दें!
भारतीय समाज यौन का दमन नहीं दर्शन की शिक्षा देता था! यह दुनिया का पहला समाज था, जहां काम पर ‘कामसूत्र’ जैसी क्लासिकल पुस्तक लिखी गई और जीवन के चार पुरुषार्थ में काम को महत्वपूर्ण जगह दी गयी! काम को महत्व देने के कारण प्राचीन भारतीय समाज में बलात्कार आदि जैसी यौन विकृति कम ही थी।
यौन दमन पश्चिमी धर्म अर्थात इस्लाम और इसाईयत लेकर भारत में आए! इस्लाम के कारण बलात्कार व जबरन यौन संबंध और कैथोलिक चर्च के कारण यौन दमन और यौन विकृति से इस समाज का पाला पड़ा। इसके कारण पहले घरों में पिता, दादा आदि बेटे को और माता व अन्य महिलाएं बेटियों को जो यौन की समझ देती थी, वह बंद हो गया और यौन समझ की जगह विकृति का रूप लेता चला गया।
एक उदाहरण देता हूं, आदिवासी समाज में महिलाएं व पुरुष बहुत कम वस्त्र पहनते हैं, इसके बावजूद वहां बलात्कार, मानसिक यौन विकृति एवं अन्य यौन समस्याएं पैदा नहीं होती! हां जिस आदिवासी समाज में कैथोलिक चर्च धर्मांतरण के लिए पहुंच गये हैं, वहां यौन विकृतियों ने भी जड़ें जमा ली हैं! भारत की मूल धारा के खिलाफ आज का आधुनिक समाज बह रहा है, जिस कारण महिलाएं सम्मान की जगह भोग की वस्तु बनती जा रही रहैं और पुरुष यौन विकृतियों का दास होता जा रहा है!
हां कुछ लोग इसे लेकर स्कूलों में यौन पाठ्यक्रम की वकालत कर सकते हैं, लेकिन मैं इसे सही नहीं मानता। ब्रिटेन में इसके प्रयोग के कारण स्कूलों के बगल में गर्भपात केन्द्र खोलना पड़ गया! आखिर क्यों? दरअसल स्कूलों में पाठ्यक्रम को लागू कराने और पढ़ाने वाले को ही यौन की समझ नहीं है! वैसे भी शिक्षक से अधिक मां-बाप अपने बच्चों का भला चाहते हैं, इसलिए वो बेहतर तरीके से यौन को समझा सकते हैं। अधकचरे ज्ञान वाले शिक्षक से बच्चों के यौन शोषण का खतरा है। इसलिए मां-बाप पहले यौन को समझें और अपने बच्चों को बढ़ती उम्र के साथ समझाते चले जाएं, बिल्कुल खेल-खेल में! यही सही तरीका है, अगली पीढ़ी को यौन विकृति से बचाने और उन्हें सही तरीके से यौन शिक्षित बनाने का!
राष्ट्रपति की बेटी श्रमिष्ठा मुखर्जी से यौन अभद्रता करने वाले पार्थ मंडल जैसा कुंठित मन हर घर में पल रहा है! हर चौक- चौराहे पर किसी न किसी कुंठित मर्द की आंखें महिलाओं के वस्त्रों के अंदर झांकने को आतुर है! इसलिए देश की हर बेटी के लिए सावधान होने की जरूरत ज्यादा है, और देश के हर बेटे को इस मानसिक बीमारी में फंसने से रोकने की बेहद आवश्यकता!