विपुल रेगे। अक्षय कुमार की सम्राट पृथ्वीराज रिलीज के दूसरे सप्ताह में ही अर्श से फर्श पर आ टिकी है। रिलीज के सातवें दिन तक फिल्म के कलेक्शन तीन करोड़ से भी कम रह गए। विगत चार माह में बच्चन पांडे के बाद अक्षय कुमार दूसरी बार बॉक्स ऑफिस के गणित में उलझ गए हैं। इस परिणाम से सिद्ध हो गया कि राजनीतिक पार्टियों और केंद्रीय मंत्रियों से प्रमोशन करवाने का कोई असर बॉक्स ऑफिस पर नहीं होता है।
विगत 3 जून को जब सम्राट पृथ्वीराज रिलीज होने जा रही थी, उसके ठीक पहले यशराज फिल्म्स ने फिल्म के निर्देशक डॉ.चंद्रप्रकाश द्विवेदी के साथ मिलकर प्रचार रणनीति पर काम करना शुरु कर दिया था। अभिनेता अक्षय कुमार ने भारत के इतिहास को लेकर स्क्रिप्टेड बयान देना शुरु कर दिए थे। प्रेस वार्ताओं में चंद्रप्रकाश और अक्षय कुमार को आमंत्रित किया जा रहा था। यहाँ तक की शाम की टीवी चर्चाओं में भी फिल्म का उल्लेख कर दिया गया था।
टाइम्स नाउ नवभारत ने तो फिल्म की टीम को बुलाकर एक विशेष शो आयोजित किया। कपिल शर्मा का शो अब कॉमेडी की अपेक्षा नई फिल्मों के प्रमोशन मंच के रुप में अधिक जाना जाता है। पृथ्वीराज की टीम उस शो में भी गई। फिल्म के बारे में रिलीज के पहले ही नकारात्मक प्रतिक्रियाओं को देखते हुए प्रमोशन बजट और बढ़ाया गया। अबकी बार इस प्रमोशन बजट में नए नवेले युट्यूबर्स को भी लाभान्वित किया गया।
इन युट्यूबर्स ने पहले दिन उन्ही दर्शकों की प्रतिक्रियाएं दिखाई, जो अक्षय कुमार के डाई हार्ड प्रशंसक थे। यशराज फिल्म्स ने केंद्रीय मंत्री अमित शाह के लिए एक विशेष शो आयोजित करवाया था। इस शो में अमित शाह के अलावा उनके सहायक और भाजपा के कई पदाधिकारी उपस्थित हुए। प्रमोशनल शो खत्म होने के बाद मंत्री जी ने फिल्म की प्रशंसा की और इसे देखने योग्य बताया। स्वाभाविक था कि अमित शाह फिल्म की प्रशंसा ही करते।
आखिरकार वे कोई फिल्म समीक्षक तो हैं नहीं। उन्हें तो कला के प्रति एक उदार जेस्चर देना था और उन्होंने दिया। पुरानी बात है। भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी और अटल विहारी वाजपेयी फ़िल्में देखने के बड़े शौक़ीन थे। कई बार बड़े निर्देशकों की फ़िल्में रिलीज होती तो इन दोनों नेताओं के लिए विशेष शो आयोजित किये जाते थे। हालांकि उस समय का मीडिया और फिल्म निर्माता ऐसे नहीं थे, जो ऐसे विशेष शो को कैश कराने की कोशिश करते थे।
अभी हमने देखा कि केंद्रीय मंत्री के फिल्म से जुड़ते ही सोशल मीडिया पर इसके समर्थन की बाढ़ आ गई। द कश्मीर फाइल्स को जो समर्थन मिला वह स्वःस्फूर्त था। वहां समर्थन लेने की कोई कोशिश नहीं की गई थी। लेकिन यहाँ तो केंद्रीय मंत्री के फिल्म देखने को प्रमोशनल कंटेंट की भांति इस्तेमाल किया गया। ट्वीटर और फेसबुक पर फिल्म को देखने की अपील की जाने लगी।
कुछ लोगों ने तो यहाँ तो कहा कि अक्षय के लिए नहीं बल्कि पृथ्वीराज चौहान के लिए ये फिल्म देखिये। हालांकि पृथ्वीराज के इतिहास का जो चूरा इस फिल्म में किया गया, उसके बाद तो ऐसी अपील बेमानी लगने लगी। अब फिल्म के कलेक्शन पर नज़र डालते हैं। पहले दिन फिल्म ने अनमनी शुरुआत कर 10.66 करोड़ का कलेक्शन किया। शनिवार को कलेक्शन थोड़ा सा बढ़ा। रविवार को ये सर्वाधिक 16.07 करोड़ रहा।
सोमवार से कलेक्शन गिरने लगे। सोमवार को बड़ी गिरावट देखने को मिली। कलेक्शन घटकर 5 करोड़ रह गया। गुरुवार को सम्राट पृथ्वीराज चौहान के कलेक्शन सबसे कम (2.75 करोड़) रहे। यशराज फिल्म्स के कर्ताधर्ता आदित्य चोपड़ा ने सोच लिया कि डॉ.चंद्रप्रकाश द्विवेदी और अक्षय कुमार के राजनीतिक संबंधों का लाभ लेकर फिल्म को अच्छी ओपनिंग मिल जाएगी। बॉक्स ऑफिस निर्मम होता है।
वह राजनीतिक संबंध, मंत्री जी के लिए विशेष शो, ट्वीटर और फेसबुकबाज़ी नहीं देखता। वह केवल और केवल कंटेंट देखता है। इस फिल्म के बुरी तरह फ्लॉप होने का एक सशक्त संदेश दर्शकों और फिल्मकारों के लिए पढ़ा जा सकता है। फिल्म पर और उसके कंटेंट पर मेहनत कीजिये। राजामौली और श्रीराम राघवन जैसे फ़िल्मकार आधे-अधूरे मन से फ़िल्में बनाते और बाद में उसका प्रमोशन मंत्रियों से करवाते तो आज उनका कहीं नाम नहीं होता। बॉक्स ऑफिस का ये कड़वा सत्य है।