ब्रजेश सिंह सेंगर
कोऊ नृप होय हमें का हानि ? बहुत पुरानी है ये कहानी ;
“राम-राज्य” अब हमें चाहिये , यही व्यवस्था हमें हैं लानी ।
सबसे-बड़ा अवरोध है इसमें , भारत का चुनाव-आयोग ;
अब्बासी-हिंदू की कठपुतली है , सारे-दुर्गुण सारे-भोग ।
लगातार अपमान कर रहा , जनादेश का – जनता का ;
लोकतंत्र का दमन कर रहा , पूरा गुलाम है नेता का ।
नेता जो अब्बासी – हिंदू , हर तरह से पूरा – गंदा है ;
राजनीति को वैश्या करके , चला रहा पापी – धंधा है ।
धर्म – संस्कृति व मर्यादा , परम – शत्रु ये इनका है ;
हिंदू – धर्म मिटा देने का , ये उद्देश्य ही इसका है ।
चरित्रवान इसे जान रहे हैं , इसे मिटाना ठान रहे हैं ;
चरित्रहीन मुट्ठी भर हिंदू ! इसका दामन थाम रहे हैं ।
नब्बे – प्रतिशत नेता – अफसर , इस श्रेणी में आते हैं ;
इनमें भी हिंदू नब्बे – प्रतिशत , इसे बचाते जाते हैं ।
इस श्रेणी में अव्वल-नम्बर , चुनाव-आयोग है भारत का ;
हर-मर्यादा त्याग चुका है , ये कलंक है भारत का ।
इस चुनाव-आयोग के रहते , निष्पक्ष-चुनाव नहीं हो सकते ;
अच्छी-सरकार न बन पायेगी , अच्छे-लोग नहीं आ सकते ।
इसको कौन ठीक कर सकता ? एकमात्र सुप्रीम-कोर्ट ही ;
वरना विप्लव हो सकता है , इसका भी जिम्मेदार कोर्ट ही ।
अब्बासी-हिंदू है देश का दुश्मन, अरब-अमेरिका का गुलाम ;
दुराचार में पूरा डूबा , गंदी – वासना का गुलाम ।
हर – हिंदू को आना होगा , हर हालत में देश बचाओ ;
जन-जन में उत्साह को भर दो व अच्छी-सरकार बनाओ ।
चुनाव-आयोग अब हर-स्तर पर , पूरी तरह बहिष्कृत हो ;
सुप्रीम-कोर्ट ढीले मत पढ़ना , हर हाल में ये परिष्कृत हो ।
एकमात्र बस यही मार्ग है , अच्छा – शासन पाने का ;
अंतिम-विकल्प भी इसको मानो ,भारत-वर्ष बचाने का ।
जल्दी ही सरकार गिरेगी , मध्यावधि – चुनाव होंगे ;
चुनाव-आयोग दुरुस्त हो पूरा , तब ही सपने पूरे होंगे ।
हर-हिंदू का यही है सपना , “ राम-राज्य” को पाना है ;
चुनाव-आयोग बदलना होगा , निष्पक्ष-चुनाव कराना है ।
“राम-राज्य” पाना ही होगा , तब ही भारत बच पायेगा ;
“धर्म-सनातन” नहीं रहा तो सम्पूर्ण-विश्व मिट जायेगा ।
“जय सनातन-भारत”, रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”