प्रश्न – लोकतंत्र की आत्मा क्या है ?
उत्तर – कानून का शासन ।
प्रश्न – लोकतांत्रिक राज्य की सबसे पहली ड्यूटी क्या है ?
उत्तर – सभी के जीवन , धन – संपत्ति व सम्मान की पूरी – पूरी सुरक्षा करना ।
प्रश्न – क्या उक्त दोनों कसौटियों पर भारत खरा उतरता है?
उत्तर – बिल्कुल नहीं ।
प्रश्न – तो भारत के लोकतंत्र को क्या कहा जाये ?
उत्तर – विकृत लोकतंत्र ।
प्रश्न – विकृत लोकतंत्र का क्या अर्थ हुआ ?
उत्तर – लोकतंत्र का लबादा ओढ़े भ्रष्ट-तंत्र व लूट-तंत्र ।
प्रश्न – ऐसा क्यों और कैसे हुआ ?
उत्तर – सुभाष चंद्र बोस से डरकर अंग्रेजों को मजबूरी में भारत छोड़ना पड़ा था । उसका बदला अंग्रेजों ने भारत से इस प्रकार लिया कि देश की सत्ता गांधी-नेहरू जैसे चरित्रहीन व राष्ट्रद्रोहियों, जोकि अंग्रेजो के दलाल थे ,को ट्रांसफर कर गये थे और फिर गांधी-नेहरू ने राष्ट्र की आत्मा को कुचलने व हिंदू को नपुंसक बनाने के लिए स्कूलों में गंदी शिक्षा व झूठा इतिहास पढ़ाने की साजिश शुरू करके अल्पसंख्यकवाद व तुष्टीकरण का ऐसा जहर फैलाया जो कि लोकतंत्र की आत्मा की मृत्यु व जंगलराज के रूप में सामने है ।
प्रश्न – परंतु वर्तमान सरकारें इसे ठीक क्यों नहीं करती हैं ?
उत्तर- क्योंकि ये सभी भी उक्त गंदी शिक्षा व झूठा इतिहास पढ़कर गांधी – नेहरू के जाल में फंसे हैं ।
प्रश्न – इससे मुक्ति का क्या उपाय है ?
उत्तर- प्रचंड राष्ट्रवाद व धर्म सनातन की ताकत ही उपरोक्त जहर को काट सकती है । अतः इसके लिए हर हालत में प्रत्येक हिंदू सोशल- मीडिया आदि की मदद से भारत का सही इतिहास जाने व एक-जुट हिंदू- शक्ति बनाकर देश को हिंदू-राष्ट्र बनाये । तभी भारत में सच्चा-लोकतंत्र व कानून का शासन स्थापित होकर सभी की जान, माल व इज्जत सुरक्षित होगी । इति ।
“वंदे मातरम – जय हिंद”
प्रस्तुतकर्ता : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”