भुनगे जैसा देश कतर है , उससे भी तो तू डरता है ;
जिसने तुझको वोट दिया, हर जगह वही क्यों मरता है ?
तेरा अच्छा समय जा चुका , अब तो उसे बीतना है ;
तेरा साथ निभाने वाला , वो दल नहीं जीतना है ।
या दल को सद्बुद्धि आये , दल अब तुझसे पल्ला झाड़े ;
उल्टी-गिनती शुरू हो चुकी , अब दुर्भाग्य खड़ा है आड़े ।
अब योगी – हेमंत को लाओ , देश का पीएम उन्हें बनाओ ;
विश्वविजेता भारत होगा , देश को हिंदू – राष्ट्र बनाओ ।
तेरा दल भी बच जायेगा , भला सभी का हो जायेगा ;
धर्म बचेगा , राष्ट्र बचेगा , भारत देश भी बच जायेगा ।
वरना इस नेता के रहते , सब – कुछ स्वाहा हो जायेगा ;
जिसको मुगल न कर पाये थे , वो गजवा हो जायेगा ।
अच्छी तरह से सोचो समझो , भला बुरा अपना पहचानो ;
अभी भी मौका पास तुम्हारे , वरना अपनी दुर्गति जानो ।
अब केवल योगी – हेमंता , ये ही राष्ट्र बचा पायेंगे ;
सारे संकट यही हरेंगे , ये ही धर्म बचा पायेंगे ।
राष्ट्र – धर्म के जो हैं दुश्मन , उनको तो मत गले लगाओ ;
वरना ये निश्चित ही जानो , अपनी पीठ पे खंजर खाओ ।
क्या तुम इतने मूढ़-बुद्धि हो ? अंधी-खाई भी न देखो ;
धर्म तुम्हें आगाह कर रहा , अब तो अपनी मौत को देखो ।
जो भी साथ करे कातिल का , बेमौत उसे मर जाना है ;
धर्म – मार्ग पर चलने वाला , केवल उसे ही बचना है ।
जो करते हैं धर्म की रक्षा , धर्म उन्हीं की रक्षा करता ;
वामी,कामी,जिम्मी,सेक्युलर , ये तो खुद ही फांसी चढ़ता ।
सोया हिंदू जाग रहा है , भला-बुरा पहचान रहा है ;
हिंदू केवल योगी – हेमंत को , अपना नेता मान रहा है ।
अंतिम मौका ओ ! दल वालो , इनमें से कोई भी चुन लो ;
दो साल का समय बहुत है, इसको अभी तुरंत ही कर लो ।
पता नहीं फिर क्या हो जाये ? फिर मौका आये न आये ;
राष्ट्र का हित सर्वोच्च समझकर , यही बात हिंदू मन भाये ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”
रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”