भारत को लेकर चीन की खीझ दिन ब दिन बढ्ती ही जा रही है. और वह भारत की बेवजह आलोचना करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहा है. 6 अक्टूबर को टोक्यो में भारत, जापान, आस्ट्रेलिया और अमरीका के विदेश मंत्रियों की की क्वैड ग्रुपिंग के अंतर्गत बैठक होगी और चीन अब इस बैठक की भी आलोचना कर रहा है.
ये क्वैड ग्रुप के देशों की दूसरी मिनिस्ट्रियल बैठक होगी जिसमे विदेश मंत्री एस जयशंकर भी सम्मिलित होंगे. जयशंकर जापान के विदेश मंत्री तोशीमित्सू मोटेगी (Toshimitsu Motegi ) के साथ द्विपक्षीय वार्ता के लिये अक्टूबर 6 और 7 को जापान में होंगे.
चीन के यह कहकर क्वैड ग्रुपिंग की टोक्यो में होने वाली बैठक की आलोचना की है कि वह इस प्रकार के एकतरफा गठबंधनों के खिलाफ है जिससे किसी तीसरी पार्टी के हितों को नुकसान पहुंचे. तो अर्थ स्पष्ट है .यह तीसरी पार्टी खुद चीन ही है जिसे डर है कि क्वैड ग्रुपिंग की बढ्ती आर्थिक सांझेदारी से उसके आर्थिक हितों को भी भारी नुकसान पहुंच सकता है.
यूं तो क्वैड ग्रुपिंग का मुख्य उद्देश्य इंडो पैसिफिक में चीन के वर्चस्व को रोकने के लिये रणनीतिक सांझेदारी है. इस सांझेदारी के तहत क्वैड देशों की सेनाओं में खासा आपसी सहयोग है और सांझा सैन्य एक्सेर्साइज़ेज़ होती रहती हैं. लेकिन कोरोना वायरस के बाद से क्वैड ग्रुपिंग की आर्थिक सांझेदारी भी सशक्त हुई है. और सभी क्वैड देश – भारत, आस्ट्रेलिया, जापान और अमरीका इसी निष्कर्ष पर पहुंचे है कि वैश्विक सप्लाई और लाजिस्टिक्स चेन की जो चीन पर अत्यधिक निर्भरता है, उसे अब कम करने की ज़रूरत है.
इसके लिये क्वैड ग्रुपिंग के देश वैकलिप्क सप्लाई चेंस बनाने की कोशिश में जुटे हैं ताकि वैश्विक व्यापार चेन की जो चीन पर आवश्यकता से अधिक निर्भरता है, वह कम हो. जापान ने तो अपनी कंपनियों को चीन छोड़्कर भारत में अपना बेस बनाने को प्रोत्साहित करने के लिये आर्थिक सब्सिडी तक की घोषणा कर दी है. तो ज़ाहिर सी बात है कि क्वैड ग्रुपिंग की इस नई आर्थिक सांझेदारी से चीन बुरी तरह घब्बरा गया है और ईसीलिये इस आगामी बैठक पर अपनी नकारात्मक प्रतिक्रिया दे रहा है.