जो क्विंट के मालिक राघव बहल मोदी सरकार के कथित भ्रष्टाचार के मामले को जोर-शोर से उठा रहा था आज उसी के बड़े भ्रष्टाचार का मामला सामने आ गया है। राघव बहल के भ्रष्टाचार पर खड़े उनके मीडिया साम्राज्य पर यह खुलासा चेन्नई आयकर विभाग ने किया है। वैसे तो आयकर विभाग ने कई खुलासे किए हैं लेकिन सबसे बड़ा खुलाका क्विंट के मालिक राघव बहल को लेकर है। आयकर विभाग के मुताबिक 2008 में राघव बहल ने पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम को घूस देकर विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड की मंजूरी हांसिल की थी। मालूम हो कि 2008 में राघव बहल ने अपनी मीडिया कंपनी टीवी-18 के लिए विदेशी निवेश के लिए मंजूरी ली थी। बाद में उसे बेच कर अपना नया वेंचर शुरू किया। राघव बहल अभी क्विंट नाम की वेबसाइट के संचालक हैं।
* चेन्नई आयकर विभाग के मुताबिक कार्ति ने अपने पिता पी चिदंबरम से एफआईपीबी मंजूरी के लिए राघव बहल और पीटर मुखर्जी से ली थी रिश्वत
* राघव बहल ने लंदन बेस्ड अपनी कंपनी आर्टिविया डिजिटल यूके लिमिटेड के 60 हजार शेयर कार्ति की कंपनी के नाम कर दिया था
* वहीं तत्कालीन आईएनएक्स मीडिया के संचालकर पीटर मुखर्जी ने कार्ति को कई किश्तों में नकद भुगतान किया था
आयकर विभाग ने खुलासा किया है कि पीटर मुखर्जी के आईएनएक्स मीडिया के साथ ही राखव बहल की मीडिया कंपनी टीवी-18 ने कार्ति चिदंबरम को घूस देकर उनके पिता पी चिदंबरम से एफआईपीवी की मंजूरी हांसिल की थी। मालूम हो कि पी चिदंबरम 2008 में सोनिया गांधी नियंत्रित यूपीए सरकार में वित्त मंत्री थे। इससे साफ होता है कि राघव बहल की मीडिया कंपनी टीवी-18 भ्रष्टाचार के पैसे से चल रही थी। बाद में राघव बहल ने क्विंट वेबसाइट का संचालन शुरू कर दिया। क्विंट में भी भ्रष्टाचार का पैसा लगने की शंका जताई जा रही है। आयकर विभाग की जांच रिपोर्ट से यह भी खुलासा हुआ है कि पीटर मुखर्जी ने तो कई किश्तों में पीटर मुखर्जी को नकद भुगतान किया था जबकि राघव बहल ने लंदन स्थित अपनी कंपनी आर्टिविया डिजिटल यूके लिमिटेड के 60 हजार शेयर कार्ति चिदंबरम की कंपनी के नाम कर दिया था।
साल 2008 के अगस्त में कार्ति चिदंबरम की एएससीपीएल की सिंगापुर वाली कंपनी को नेटवर्क 18 की लंदन बेस्ड कंपनी आर्टिविया डिजिटल यूके लिमिटेड से 60 लाख शेयर दिया गया। यह सौदा उसी समय तय हुआ जब नेटवर्क-18 ने एफआईपीबी मंजूरी के लिए आवेदन किया था। करीब 25 करोड़ रूपये की रिश्वत तो सिर्फ एफआईपीबी की मंजूरी की प्रक्रिया शुरू करने के लिए दी गई थी। अंदाजा लगा सकते हैं कि एपआईपीबी की मंजूरी मिल जाने के बाद कितनी की घूस दी गई होगी?
कार्ति चिदंबरम को इस शेयर से कितना शुद्द लाभ हुआ इसकी जानकारी प्राप्त करने के लिए अभी और जांच की जरूरत है। उस समय राघव बहल की नेटवर्क 18 की लंदन स्थित कंपनी आर्टिविया डिजिटल यूके लिमिटेड का प्रमुख प्रमोटर मोहन महंका थे। राघव बहल के साथ मोहन महंका ही 2018 में नेटवर्क 18 समूह के चेयरमैन तथा प्रबंध निदेशक थे। आयकर विभाग की जांच के बाद यह भी खुलासा हुआ है कि काफी अच्छा व्यवसाय करने के बावजूद साल 2011 में राघव बहल की लंदन वाली कंपनी आर्टिविया डिजिटल यूके लिमिटेड दिवालिया हो गई थी। आखिर उस साल क्या हुआ या फिर कंपनी को अपने शेयरधारकों से कितना शुद्ध लाभ मिला इसकी अभी जांच करने की जरूरत है।
जिस क्विंट के मालिक राघव बहल ने अपना मीडिया साम्राज्य यूपीए सरकार के भ्रष्टाचार के बल पर खड़ा किया हो वही आज मोदी सरकार के कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान चला रखा है। इससे तो साफ हो गया है कि इस सरकार में इनकी दाल गल नहीं रही है तो फिर इस सरकार को ही क्यों न बदनाम किया जाए। ये भ्रष्टाचारी मीडिया मुगल तो चाहेंगे कि उनके मन पसंद कोई भ्रष्टाचारी सरकार केंद्र में आ जाए ताकि ये लोग खुला खेल फरुखाबादी फिर से कर सकें।
URL: Raghav Behl raised his media empire by bribing Chidambaram’s son Karti