जिस कांग्रेस पार्टी का दामन देश की स्वतंत्रा के समय से लेकर अभी तक कई सांप्रदायिक दंगों के साथ-साथ लाखों हिंदुओं, मुसलमानों एवं सिखों के खून से रंगा हो, जिस कांग्रेस पार्टी पर हाल में देश को ईसाइयत की तरफ धकेलने का आरोप हो, उस पार्टी के वर्तमान अध्यक्ष का देश की अस्मिता की रक्षा करने वाले देशभक्त संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तुलना मुसलिम ब्रदरहुड जैसे आतंकी संगठन से करना किसी आतंकी हरकत से कम नहीं। हम बात कर रहे हैं कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी की। उन्होंने विदेश में जाकर संघ की तुलना आतंकी संगठन मुसलिम ब्रदरहुड से किया है। इतना ही नहीं उन्होंने जिस प्रकार संघ पर देश की प्रकृति बदलने के प्रयास करने का आरोप लगाया है उससे स्पष्ट हो जाता है कि उन्हें न अपने देश की सभ्यता और संस्कृति की जानकारी है न ही अपनी पार्टी के सांप्रदायिक इतिहास के बारे में।
मुख्य बिंदु
* कांग्रेस का हाथ देश के बंटवारे के समय एक साथ लाखों हिंदू-मुसलिम के खून से रंगे हैं
* 1984 में हजारों सिखों का कत्लेआम करने का दाग इसी कांग्रेस पार्टी के दामन पर लगा हुआ है
यह वही कांग्रेस पार्टी है जिसके राज में स्वतंत्रता के ठीक बाद भड़के सांप्रदायिक दंगों में लाखों हिंदू और मुसलमानों के खून बहा था। उस समय सुलगी सांप्रदायिकता की आग में पूरा देश आज भी झुलस रहा है। यह वही कांग्रेस पार्टी है जिसके शासनकाल के दौरान 1984 में हजारों सिखों का नरसंहार हुआ था। लेकिन राहुल गांधी ये सब नहीं जानते होंगे, क्योंकि उन्हें इस सब की जानकारी नहीं, उन्हें तो तोते की तरह रटा दिया गया है कि संघ, भाजपा और मोदी को गाली दो, इसी से तुम्हारा बेड़ा पार होगा। लेकिन मिस्टर राहुल गांधी अगर भविष्य में देश के प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं तो थोड़ा देश के साथ अपनी पार्टी के इतिहास को भी जान लें।
यह जान लें कि किस प्रकार आपके पिता पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने देश में सबसे बड़ी मॉब लिंचिंग को न सिर्फ उकसाया था बल्कि बढ़ावा दिया था। बात 1984 की है जब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके अपने ही बॉडीगार्ड ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। उस समय सिखों के खिलाफ दंगा भड़काया गया था। उस समय राजीव गांधी ने सिखो के खिलाफ भड़के दंगे को रोकने की बजाए यह कह कर बढ़ावा दिया था कि जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है। राजीव गांधी के इसी बयान के बाद कांग्रेसियों ने सिखों का और बड़े स्तर पर कत्लेआम करना शुरू किया था। भीड़ की हिंसा का इससे बड़ा उदाहरण कोई और नहीं दिखता। राजीव गांधी के साथ कांग्रेस पार्टी के सिखों के खून से सने हाथों को राहुल गांधी कैसे धो सकते है? वहीं कांग्रेस ने जब-जब संघ को फंसाने का फरेब रचा तब-तब उसे मुंह की खानी पड़ी। कांग्रेस ने ही संघ पर महात्मा गांधी की हत्या के बाद प्रतिबंध लगाया था। जांच हुई और कांग्रेस पार्टी को मुंह की खानी पड़ी। अंत में कांग्रेस पार्टी को ही संघ से प्रतिबंध हटाना पड़ा। क्या राहुल गांधी इस सवाल का जवाब देंगे कि क्या कांग्रेस ने तब संघ से प्रतिबंध हटाकर गलत किया?
Rajiv Gandhi, the father of mob lynching, justifying the 1984 Sikh bloodletting… How could Rahul even attempt to whitewash this genocide unleashed by the Congress party? pic.twitter.com/0hMNibHQXK
— Amit Malviya (@amitmalviya) 24 August 2018
दम है तो कांग्रेस शासित राज्यों में संघ पर बैन लगाए राहुल
ये तो इतिहास की बात हुई, तब राहुल गांधी नादान थे, लेकिन 2004 से लेकर 2014 तक देश में उन्हीं की मां सोनिया गांधी के नियंत्रण वाली यूपीए सरकार थी। तब तो राहुल गांधी लोकसभा सदस्य थे। डॉ. मनमोहन सिंह जरूर देश के प्रधानमंत्री थे, लेकिन दुनिया जानती थी राहुल गांधी ने उनकी हैसियत क्या बना रखी थी? आखिर उस समय राहुल गांधी ने संघ पर बैन क्यों नहीं लगाया? जबकि संघ को बदनाम करने का क्या-क्या साजिशें नहीं रची गई थी? उन्हीं के संज्ञान में उनके ताकतवर मंत्रियों में शुमार पी चिदंबरम, सुशील कुमार शिंदे ने हिंदू आतंकवाद शब्द गढ़कर हिंदुओं को बदनाम करने तथा संघ को फंसाने की साजिशें रची थी। इसका खुलासा हाल ही में कई किताबों के जरिए हुआ है। उस समय संघ पर प्रतिबंध लगाने से किसने रोका था? खैर अब आपके हाथ से सत्ता चली गई है, और राहुल गांधी की ऐसी ही करतूत रही तो निकट भविष्य में आने की संभावना भी नहीं है। लेकिन अभी भी देश के कई राज्यों में कांग्रेस की सरकार है। आखिर उन राज्यों की सरकार संघ पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगा देती। राहुल गांधी को इस प्रकार उस संघ को बदनाम करने के प्रयास से बाज आना चाहिए जो आज देश की संस्कृति, सभ्यता और मूल्य का पर्याय है।
. @RahulGandhi You compared RSS with Muslim Brotherhood-A banned terror org ! U were in power from 2004-2014..Right ?What stopped U from banning RSS then ? Can U ban RSS in Congress ruled states ?
Stop maligning a organisation synonym to India’s culture, values & civilisation ! https://t.co/jPJqH0lrsV
— Maj Surendra Poonia,VSM (@MajorPoonia) 24 August 2018
संघ की चौखट पर क्यों जाते रहे हैं कांग्रेसी?
लंदन स्थित अंतरराष्ट्रीय रणनीतिक अध्ययय संस्थान में छात्रों को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने संघ भारत की प्रकृति को बदलने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि संघ के अलावा देश में कोई दूसरा कोई संगठन नहीं है जो भारत की संवैधानिक संस्थाओ पर कब्ज़ा करना चाहता हो। इतना ही नहीं राहुल गांधी ने कहा कि संघ का विचार अरब देशों के मुसलिम ब्रदरहुड जैसे आतंकी संगठन जैसा है। ऐसा नहीं है कि राहुल गांधी ने पहली बार संघ को बदनाम करने का प्रयास किया है। कांग्रेस ने अपना पूरा जीवन ही संघ को बदनाम करने में लगा दिया। लेकिन उसी पार्टी के कई वरिष्ठ और नामी नेता संघ की चौकठ पर शीश भी नवा चुके हैं। सत्ता से अलग होने पर कई वरिष्ठ नेता संघ के कार्यों की प्रशंसा भी कर चुके हैं तथा उनके कार्यक्रम में निमंत्रण मिलने पर शरीक भी हो चुके हैं। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी इसके उदाहरण हैं। संघ पर कुछ भी कहने से पहले राहुल गांधी को इसके बारे में जान लेना चाहिए था।
#WATCH: "RSS is trying to change the nature of India. There is no other organisation in India that wants to capture India's institutions. RSS' idea is similar to idea of Muslim Brotherhood in Arab world, "says Rahul Gandhi at International Institute of Strategic Studies in London pic.twitter.com/HzBg16EKCN
— ANI (@ANI) 24 August 2018
सिखों का कत्लेआम और भागलपुर दंगा किसने कराया?
बर्लिन में राहुल गांधी को संघ और भाजपा के खिलाफ बोलने से पहले अपने गिरेबान में झांक लेना चाहिए। राहुल गांधी ने संघ, भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर देश को बांटने का आरोप लगाया है। हाल ही में जनेऊधारी बनने से लेकर जेएनयूधारी बने राहुल गांधी नहीं जानते कि देश को बांटने का इतिहास उनकी पार्टी कांग्रेस की रही है। कांग्रेस पार्टी ने पहले देश का बंटवारा किया और उसके वर्तमान अध्यक्ष राहुल गांधी देश के टुकड़े-टुकड़े करने वालों के पक्ष में खड़े हो गए। बात यहां जेएनयू मे देश तोड़ने के नारे लगाने वाली घटना की हो रही है। राहुल गांधी से सवाल पूछा जाना चाहिए कि जब 1984 में सिखों का नरसंहार हुआ था तब क्या नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री थे? बिहार के भागलपुर में हुए सांप्रदायिक दंगा के समय में केंद्र और राज्य में किसकी सरकार थी? इसी प्रकार चाहे हाशिमपुरा की घटना हो या मुंबई में हुए सांप्रदायिक दंगा क्या उस समय भी नरेंद्र मोदी के हाथ में सत्ता थी? राहुल गांधी को याद होना चाहिए कि इन सारी घटनाओं में 50 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। इतने लोगों की गई जान के लिए अगर कोई जिम्मेदार है तो वह है कांग्रेस पार्टी और गांधी-नेहरू का पूरा खानदान।
Rahul Gandhi says in Berlin that RSS BJP @narendramodi dividing India!
I guess this Janeudhari morphing into JNU-Dhari now
But atleast we know now Modi was in power in 1984, during Bhagalpur , Hashimpura, Nellie & Mumbai riots & many others which saw over 50000 killed!
— Shehzad Jai Hind (@Shehzad_Ind) 24 August 2018
संघ और भाजपा पर हमला कर स्वयं को मजाक बना रहे राहुल गांधी
वैसे तो राहुल गांधी को पता है कि लोग उन्हें पप्पू मान रहे हैं। हालांकि संसद में उन्होंने इसका आरोप भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा पर लगा दिया। लेकिन वे यह नहीं जानते कि अपना मजाक उड़ाने के लिए वह स्वयं जिम्मेदार हैं। जिस प्रकार बिना तथ्यात्मक जानकारी के वे संघ, भाजपा और मोदी पर हमला करते हैं इससे उनका कम अक्ल होना ही लोगों के सामने उजागर होता है। तभी तो सोशल मीडिया पर उनका मजाक उड़ाया जाता है।
सोशल मीडिया पर राहुल गांधी मजाक का पर्याय बन चुके हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने आईएसआईएस की उत्पति पर प्रकाश डाल कर लोगों की आंखें खोल दी है। राहुल गांधी के मॉब लिंचिंग को बेरोजगारी से जोड़ने वाले बयान हो या पाकिस्तान बनने से लेकर स्वतंत्रता के बाद हुए सांप्रदायिक दंगों पर दिया बयान हो, सभी पर उनका मजाक उड़ाया जा रहा है इससे स्पष्ट है कि लोग उन्हें अब गंभीरता से ले ही नहीं रहे हैं। जब तक राहुल गांधी नहीं बोलते थे तो लोगों को आस थी कि जब बोलेंगे तो सकारात्मक बोलेंगे लेकिन इन्होंने जब बोलना शुरू किया तो खुद को झूठ का स्रोत बना लिया।
URL: Rahul Gandhi comparing rss to a terrorist organization is not less than any terrorist act
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