कहा जाता है कि झूठ के पैर नहीं होते और सच को साक्ष्य की आवश्यकता नहीं होती। लेकिन राहुल गांधी ने भगोड़े विजय माल्या के झूठ को ही सच मान लिया और अरुण जेटली पर माल्या के साथ संबंध होने का आरोप मढ़ते हुए उनसे इस्तीफे की मांग कर दी। राहुल गांधी ने माल्या के झूठ को सच साबित करने के लिए पीएल पुनिया के रूप में साक्ष्य भी खड़ा कर दिया। पुनिया ने 1 मार्च 2016 को 11 बजकर 45 मिनट पर माल्या और जेटली के बीच करीब 20 मिनट तक बातचीत होने का आरोप लगाया है। जबकि सच्चाई ये है कि अरुण जेटली उस दिन 11.45 बजे के बाद संसद में थे ही नहीं। 11 बजे से लेकर 11.45 तक उन्होंने राज्य सभा में एक पेपर प्रेजेंट किया, और फिर उसके बाद विज्ञान भवन जाने के लिए वे संसद से निकल गए। क्योंकि विज्ञान भवन में कैग (कंट्रोलर एंड ऑडिटर जेनरल) के एक कार्यक्रम में भाग लेना था। इस प्रकार अरुण जेटली के खिलाफ राहुल गांधी का एक और आरोप पानी भरते नजर आ रहा है। राहुल गांधी को हिट एंड रन का टैक्टिस छोड़ सच का सामना करना सीखना चाहिए।
मुख्य बिंदु
* माल्या के झूठ को सच साबित करने वाले पुनिया का जेटली पर आरोप भी झूठा निकला
* मीटिंग वाले दिन किसी से मिलने के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली के पास 20 मिनट का समय था ही नहीं
भगोड़ा शराब कारोबारी विजय माल्या ने अरुण जेटली के खिलाफ दिए बयान को कुछ ही देर में वापस ले लिए, लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने उसे वित्त मंत्री अरुण जेटली के खिलाफ उसे बह्रमास्त्र बना लिया। आनन फानन में विजय माल्या के झूठ को सच बनाने के लिए पीएल पुनिया के रूप में साक्ष्य तैयार कर प्रेस कॉन्फेंस तक कर डाला। और जेटली से इस मामले में इस्तीफे की मांग कर डाली। जबकि सच्चाई यह है कि पीएल पुनिया ने जिस समय माल्या के साथ जेटली की मीटिंग की बात कही है वह बिल्कुल झूठ है। पुनिया ने कहा है कि उन दोनों की मीटिंग एक मार्च 2016 को 11 बजकर 45 मिनट पर हुई थी। जबकि सच्चाई यह है कि जेटली 11.45 के बाद संसद से निकल गए थे। और उससे पहले 11 बजे से लेकर 11.45 तक उन्होंने राज्य सभा में पेपर प्रेजेंट किया था। उसके बाद वे विज्ञान भवन में आयोजित कैग के कार्यक्रम में शामिल होने चले गए। जहां पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी भी मौजूद थे। उस कार्यक्रम में जेटली ने 12 बजे दीप प्रज्ज्वलित किया। इसका मतलब है कि कुछ देर पहले तो वे वहां पहुंचे होंगे। इसके बाद 1 बजकर 9 मिनट से लेकर सवा बजे तक वहां मौजूद लोगों को संबोधन किया। इसके बाद वे अन्य कार्यक्रम में व्यस्त हो गए।
जबकि जेटली खुद कह चुके हैं कि माल्या ने उनसे कुछ क्षणों के लिए बात की थी लेकिन उनसे बैंकर्स से बात करने की बात कहकर आगे बढ़ गए। लेकिन राहुल गांधी हैं कि नादान बच्चों की तरह तिल को ताड़ बनाने की जिद्द कर बैठे। राहुल गांधी जी आपकी नादानी घर तक ठीक है लेकिन देश के लिए घातक बनती जा रही है। इसलिए नादानी छोड़िए और हकीकत का सामना करिए। अगर माल्या के झूठ पर इतना बवंडर खड़ा कर सकते हैं तो जेटली की सच्चाई पर प्रेस कांन्फेंस कर उसे स्वीकार कर लीजिए, इससे आपका कुछ घटेगा नहीं बल्कि पार्टी को ही फायदा होगा। वैसे भी माल्या ने भी आपको कम बेवकूफ नहीं बनाया। उसने एक छोटा सा शिगूफा छोड़कर आपको पेड़ पर चढ़ा दिया, लेकिन खुद अपने बयान से पलटकर पेड़ से लगी सीढ़ी खींच ली और आपको पेड़ पर लटका हुआ छोड़ दिया। एक भगोड़े से दोस्ती करना कितना भारी पड़ता है शायद अब आपको समझ आ गया होगा!
URL: Rahul gandhi exposed over Jaitley-Mallya Meet in parliament
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